सतीश धवन: Difference between revisions

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'''सतीश धवन''' (जन्म- [[25 सितंबर]], [[1920]]; मृत्यु- [[3 जनवरी]], [[2002]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक थे। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाईयों पर पहुँचाने में उनका बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान था। एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ प्रोफ़ेसर सतीश धवन एक बेहतरीन इनसान और कुशल शिक्षक भी थे। उन्हें भारतीय प्रतिभाओं पर बहुत भरोसा था। सतीश धवन को विक्रम साराभाई के बाद देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वे '[[इसरो]]' के अध्यक्ष भी नियुक्त किये गए थे। प्रोफ़ेसर धवन ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में कई सकारात्मक बदलाव किए थे। उन्होंने संस्थान में अपने देश के अलावा विदेशों से भी युवा प्रतिभाओं को शामिल किया। उन्होंने कई नए विभाग भी शुरू किए और छात्रों को विविध क्षेत्रों में शोध के लिए प्रेरित किया। सतीश धवन के प्रयासों से ही संचार उपग्रह इन्सैट, दूरसंवेदी उपग्रह आईआरएस और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी का सपना साकार हो पाया था।
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'''सतीश धवन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Satish Dhawan'', जन्म- [[25 सितंबर]], [[1920]]; मृत्यु- [[3 जनवरी]], [[2002]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक थे। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाईयों पर पहुँचाने में उनका बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान था। एक महान् वैज्ञानिक होने के साथ-साथ प्रोफ़ेसर सतीश धवन एक बेहतरीन इनसान और कुशल शिक्षक भी थे। उन्हें भारतीय प्रतिभाओं पर बहुत भरोसा था। सतीश धवन को विक्रम साराभाई के बाद देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वे '[[इसरो]]' के अध्यक्ष भी नियुक्त किये गए थे। प्रोफ़ेसर धवन ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में कई सकारात्मक बदलाव किए थे। उन्होंने संस्थान में अपने देश के अलावा विदेशों से भी युवा प्रतिभाओं को शामिल किया। उन्होंने कई नए विभाग भी शुरू किए और छात्रों को विविध क्षेत्रों में शोध के लिए प्रेरित किया। सतीश धवन के प्रयासों से ही संचार उपग्रह इन्सैट, दूरसंवेदी उपग्रह आईआरएस और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी का सपना साकार हो पाया था।
==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==
प्रोफ़ेसर सतीश धवन का जन्म [[श्रीनगर]] में हुआ था। उनकी शिक्षा का विवरण इस प्रकार से है-
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#वैमानिकी और गणित में पी.एच.डी, 1951
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उन्होंने [[1972]] में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक 'विक्रम साराभाई' का स्थान ग्रहण किया था। वे अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के सचिव भी रहे थे। उनकी नियुक्ति के बाद के दशक में उन्होंने असाधारण विकास और शानदार उपलब्धियों के दौर से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्देशित किया।
उन्होंने [[1972]] में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक 'विक्रम साराभाई' का स्थान ग्रहण किया था। वे अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के सचिव भी रहे थे। उनकी नियुक्ति के बाद के दशक में उन्होंने असाधारण विकास और शानदार उपलब्धियों के दौर से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्देशित किया।
==उपलब्धियाँ==
==उपलब्धियाँ==
जिस समय सतीश धवन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अध्यक्ष थे, उस समय भी उन्होंने परिसीमा परत अनुसंधान के लिए पर्याप्त प्रयास समर्पित किया। उनके सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान हर्मन शिलिच्टिंग की मौलिक पुस्तक 'बाउंड्री लेटर' में प्रस्तुत है। वे [[बैंगलूर]] स्थित 'भारतीय विज्ञान संस्थान' (आईआईएससी) के लोकप्रिय प्रोफ़ेसर थे। उन्हें आईआईएससी में भारत के सर्वप्रथम सुपरसोनिक विंड टनल स्थापित करने का श्रेय जाता है। उन्होंने वियुक्त परिसीमा स्तर प्रवाह, तीन-आयामी परिसीमा परत और ट्राइसोनिक प्रवाहों की पुनर्परतबंदी पर अनुसंधान का भी बीड़ा उठाया था।
जिस समय सतीश धवन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अध्यक्ष थे, उस समय भी उन्होंने परिसीमा परत अनुसंधान के लिए पर्याप्त प्रयास समर्पित किया। उनके सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान हर्मन शिलिच्टिंग की मौलिक पुस्तक 'बाउंड्री लेटर' में प्रस्तुत है। वे [[बैंगलूर]] स्थित 'भारतीय विज्ञान संस्थान' (आईआईएससी) के लोकप्रिय प्रोफ़ेसर थे। उन्हें आईआईएससी में भारत के सर्वप्रथम सुपरसोनिक विंड टनल स्थापित करने का श्रेय जाता है। उन्होंने वियुक्त परिसीमा स्तर प्रवाह, तीन-आयामी परिसीमा परत और ट्राइसोनिक प्रवाहों की पुनर्परतबंदी पर अनुसंधान का भी बीड़ा उठाया था।


सतीश धवन ने ग्रामीण शिक्षा, सुदूर संवेदन और उपग्रह संचार पर अग्रगामी प्रयोग किए। उनके प्रयासों से इन्सैट-एक दूरसंचार उपग्रह, आईआरएस-भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह और [[ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान]] (पीएसएलवी) जैसी प्रचालनात्मक प्रणालियों का मार्ग प्रशस्त हुआ, जिसने [[भारत]] को अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले राष्ट्रों के संघ में खड़ा कर दिया।
सतीश धवन ने ग्रामीण शिक्षा, सुदूर संवेदन और उपग्रह संचार पर अग्रगामी प्रयोग किए। उनके प्रयासों से इन्सैट-एक दूरसंचार उपग्रह, आईआरएस-भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह और [[ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान]] (पीएसएलवी) जैसी प्रचालनात्मक प्रणालियों का मार्ग प्रशस्त हुआ, जिसने [[भारत]] को अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले राष्ट्रों के संघ में खड़ा कर दिया।
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==संबंधित लेख==
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Latest revision as of 07:12, 25 December 2021

सतीश धवन
जन्म 25 सितंबर, 1920
जन्म भूमि श्रीनगर
मृत्यु 3 जनवरी, 2002
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी
शिक्षा बी.ए, एम.ए., बी.ई. (1945), वैमानिक इंजीनियरिंग में एम.एस. (1947), वैमानिकी और गणित में पी.एच.डी (1951)
विद्यालय पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर (अविभाजित भारत); मिनेसोटा विश्वविद्यालय, मिनियापोलिस; कैलिफ़ोर्निया इन्स्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी
पुरस्कार-उपाधि पद्म विभूषण (1981), इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार (1999), विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, कैलिफ़ोर्निया इन्स्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलोजी (1969) आदि।
प्रसिद्धि वैज्ञानिक तथा 'इसरो' के भूतपूर्व अध्यक्ष
विशेष योगदान आपके प्रयासों से ही इन्सैट-एक दूरसंचार उपग्रह, आईआरएस-भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह और 'ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान' (पीएसएलवी) जैसी प्रणालियों का मार्ग भारत में प्रशस्त हुआ।
नागरिकता भारतीय

सतीश धवन (अंग्रेज़ी: Satish Dhawan, जन्म- 25 सितंबर, 1920; मृत्यु- 3 जनवरी, 2002) भारत के प्रसिद्ध रॉकेट वैज्ञानिक थे। देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊँचाईयों पर पहुँचाने में उनका बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान था। एक महान् वैज्ञानिक होने के साथ-साथ प्रोफ़ेसर सतीश धवन एक बेहतरीन इनसान और कुशल शिक्षक भी थे। उन्हें भारतीय प्रतिभाओं पर बहुत भरोसा था। सतीश धवन को विक्रम साराभाई के बाद देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वे 'इसरो' के अध्यक्ष भी नियुक्त किये गए थे। प्रोफ़ेसर धवन ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में कई सकारात्मक बदलाव किए थे। उन्होंने संस्थान में अपने देश के अलावा विदेशों से भी युवा प्रतिभाओं को शामिल किया। उन्होंने कई नए विभाग भी शुरू किए और छात्रों को विविध क्षेत्रों में शोध के लिए प्रेरित किया। सतीश धवन के प्रयासों से ही संचार उपग्रह इन्सैट, दूरसंवेदी उपग्रह आईआरएस और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी का सपना साकार हो पाया था।

जन्म तथा शिक्षा

प्रोफ़ेसर सतीश धवन का जन्म श्रीनगर में हुआ था। उनकी शिक्षा का विवरण इस प्रकार से है-

  1. गणित और भौतिक शास्त्र में बी.ए.
  2. अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए.
  3. मेकानिकल इंजीनियरिंग में बी.ई, 1945
  • मिनेसोटा विश्वविद्यालय, मिनियापोलिस-
  1. वैमानिक इंजीनियरिंग में एमएस, 1947
  • कैलिफ़ोर्निया इन्स्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलोजी
  1. वैमानिक इंजीनियर की डिग्री, 1949
  2. वैमानिकी और गणित में पी.एच.डी, 1951

उन्होंने 1972 में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' (इसरो) के अध्यक्ष के रूप में भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक 'विक्रम साराभाई' का स्थान ग्रहण किया था। वे अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार के सचिव भी रहे थे। उनकी नियुक्ति के बाद के दशक में उन्होंने असाधारण विकास और शानदार उपलब्धियों के दौर से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्देशित किया।

उपलब्धियाँ

जिस समय सतीश धवन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अध्यक्ष थे, उस समय भी उन्होंने परिसीमा परत अनुसंधान के लिए पर्याप्त प्रयास समर्पित किया। उनके सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान हर्मन शिलिच्टिंग की मौलिक पुस्तक 'बाउंड्री लेटर' में प्रस्तुत है। वे बैंगलूर स्थित 'भारतीय विज्ञान संस्थान' (आईआईएससी) के लोकप्रिय प्रोफ़ेसर थे। उन्हें आईआईएससी में भारत के सर्वप्रथम सुपरसोनिक विंड टनल स्थापित करने का श्रेय जाता है। उन्होंने वियुक्त परिसीमा स्तर प्रवाह, तीन-आयामी परिसीमा परत और ट्राइसोनिक प्रवाहों की पुनर्परतबंदी पर अनुसंधान का भी बीड़ा उठाया था।

सतीश धवन ने ग्रामीण शिक्षा, सुदूर संवेदन और उपग्रह संचार पर अग्रगामी प्रयोग किए। उनके प्रयासों से इन्सैट-एक दूरसंचार उपग्रह, आईआरएस-भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) जैसी प्रचालनात्मक प्रणालियों का मार्ग प्रशस्त हुआ, जिसने भारत को अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले राष्ट्रों के संघ में खड़ा कर दिया।

निधन

2002 में सतीश धवन की मृत्यु के बाद, दक्षिण भारत के चेन्नई की उत्तरी दिशा में लगभग 100 कि.मी. की दूरी पर श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में स्थित 'भारतीय उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र' का 'प्रोफ़ेसर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र' के रूप में पुनर्नामकरण किया गया।

राष्ट्रीय मान्यता

पद्म विभूषण, इंदिरा गाँधी पुरस्कार

क्षेत्र

यांत्रिकी और वांतरिक्ष इंजीनियरिंग

संस्थान

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भारतीय विज्ञान संस्थान, कैलिफ़ोर्निया इन्स्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलोजी, नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरीज़, भारतीय विज्ञान अकादमी और भारतीय अंतरिक्ष आयोग

डॉक्टोरल परामर्शदाता

डॉ. हैन्स डब्ल्यू. लीपमैन के लिए विख्यात

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम

कॅरिअर

इंडियन इन्स्टीट्यूट ऑफ़ साइंस, बेंगलूर, भारत
  • वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी, 1951
  • प्रोफ़ेसर और अध्यक्ष वैमानिकीय इंजीनियरिंग विभाग, 1955
  • निदेशक, 1962-1981
कैलिफ़ोर्निया इन्स्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलोजी, यू.एस.ए.
  • विज़िटिंग प्रोफ़ेसर, 1971-1972
राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाएँ, बेंगलूर, भारत
  • अध्यक्ष, अनुसंधान परिषद, 1984-1993
भारतीय विज्ञान अकादमी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
भारतीय अंतरिक्ष आयोग

पुरस्कार

  • पद्म विभूषण - (भारत का द्वितीय सर्वोच्च नागरिक सम्मान), 1981
  • इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, 1999
  • विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, भारतीय विज्ञान संसाधन
  • विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार, कैलिफ़ोर्निया इन्स्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नॉलोजी, 1969


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