प्रांगण:मुखपृष्ठ/कला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
m (Text replace - "इतिहास" to "इतिहास")
m (Text replace - "पर्यटन" to "पर्यटन")
Line 8: Line 8:
| class="portal-menu" style="width:10%;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/भारत गणराज्य|गणराज्य]]
| class="portal-menu" style="width:10%;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/भारत गणराज्य|गणराज्य]]
| class="portal-menu" style="width:8%;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/इतिहास|इतिहास]]
| class="portal-menu" style="width:8%;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/इतिहास|इतिहास]]
| class="portal-menu" style="width:7%;"|[[प्रांगण:पर्यटन|पर्यटन]]
| class="portal-menu" style="width:7%;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/पर्यटन|पर्यटन]]
| class="portal-menu" style="width:8%;"|[[प्रांगण:साहित्य|साहित्य]]
| class="portal-menu" style="width:8%;"|[[प्रांगण:साहित्य|साहित्य]]
| class="portal-menu" style="width:7%;"|[[प्रांगण:जीवनी|जीवनी]]
| class="portal-menu" style="width:7%;"|[[प्रांगण:जीवनी|जीवनी]]

Revision as of 06:40, 3 April 2011

मुखपृष्ठ गणराज्य इतिहास पर्यटन साहित्य जीवनी दर्शन धर्म संस्कृति भूगोल कला भाषा सभी विषय
  • यहाँ हम भारतीय कला से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • स्वतंत्रता के बाद भारतीय साहित्य, संगीत, नाटक और चित्रकला आदि को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय और राज्य कला अकादमियों की स्थापना की गयी।
  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...

link=:श्रेणी:कला कोश|कला श्रेणी के सभी लेख

center center

  • भारतीय संस्कृति के विविध आयामों में व्याप्त मानवीय और रसात्मक तत्त्व उसके कला रूपों में प्रकट हुए हैं।
  • मानवीय संबंधों और स्थितियों की विविध भावलीलाओं और उसके माध्यम से चेतना को 'कला' उजागार करती है।
  • कला का सत्य जीवन की परिधि में सौन्दर्य के माध्यम द्वारा व्यक्त अखण्ड सत्य है। -महादेवी वर्मा
विशेष आलेख

right|100px|भरतनाट्यम नृत्य|link=भरतनाट्यम नृत्य

  • जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है।
  • 'नृत्य में करण, अंगहार, विभाव, भाव, अनुभाव और रसों की अभिव्यक्ति की जाती है। नृत्य के दो प्रकार हैं- नाट्य और अनाट्य
  • स्वर्ग-नरक या पृथ्वी के निवासियों की कृतिका अनुकरण को 'नाट्य' कहा जाता है और अनुकरण-विरहित नृत्य को 'अनाट्य' कहा जाता है।
  • भारत में शास्त्रीय और लोक परम्पराओं के ज़रिये एक प्रकार की नृत्य-नाटिका का उदय हुआ है। जो पूर्णतः एक नाट्य स्वरूप है।
  • भारत में नृत्य की जड़ें प्राचीन परंपराओं में है। इस विशाल उपमहाद्वीप में नृत्यों की विभिन्न विधाओं ने जन्म- लिया है।
  • वर्तमान समय में भारत में नृत्य की लोकप्रियता इस तथ्य से आंकी जा सकती है कि शायद ही कोई ऐसी भारतीय फ़िल्म होगी, जिसमें आधे दर्जन नृत्य न हों।
  • भारत की सभी संस्कृतियों में किसी न किसी रूप में नृत्य विद्यमान है। .... और पढ़ें
चयनित चित्र

300px|सितार|center


कुछ लेख
कला श्रेणी वृक्ष
चयनित लेख

right|70px|बुद्ध|link=बुद्ध

  • मथुरा की कलाकृतियों में पत्थर की प्रतिमाओं तथा प्राचीन वास्तुखण्डों के अतिरिक्त मिट्टी के खिलौनों का भी समावेश होता है।
  • चीनी यात्री हुएनसांग के लेखानुसार यहाँ पर अशोक के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है।
  • लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां यक्षों की हैं।
  • यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। पुराणों के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon>
  • मथुरा शहर और उसके आसपास के क्षेत्र से यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं। .... और पढ़ें
विविध नृत्य कला


संबंधित लेख