मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर: Difference between revisions

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'''मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर''' ने लम्बे समय 1719 से 1748 ई. तक [[मुग़ल साम्राज्य]] पर शासन किया। [[रफ़ीउद्दौला]] की मृत्यु के बाद [[सैयद बन्धु|सैय्यद बन्धुओं]] ने उसको गद्दी पर बैठाया था। वह [[जहानशाह]] का चौथा बेटा था। इसके काल में [[बंगाल]], [[बिहार]] तथा [[उड़ीसा]] में [[मुर्शिद कुली ख़ाँ]], [[अवध]] में सआदत ख़ाँ तथा दक्कन में निजामुलमुल्क ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर लीं। इसके अतिरिक्त इसके काल में [[गंगा]] तथा [[दोआब]] क्षेत्र में रोहिला सरदारों ने भी अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी।
'''मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर''' ने लम्बे समय 1719 से 1748 ई. तक [[मुग़ल साम्राज्य]] पर शासन किया। [[रफ़ीउद्दौला]] की मृत्यु के बाद [[सैयद बन्धु|सैय्यद बन्धुओं]] ने उसको गद्दी पर बैठाया था। वह [[जहानशाह]] का चौथा बेटा था। इसके काल में [[बंगाल]], [[बिहार]] तथा [[उड़ीसा]] में [[मुर्शिद कुली ख़ाँ]], [[अवध]] में [[सआदत ख़ाँ]] तथा दक्कन में निजामुलमुल्क ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर लीं। इसके अतिरिक्त इसके काल में [[गंगा]] तथा [[दोआब]] क्षेत्र में रोहिला सरदारों ने भी अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी।


*मुहम्मदशाह एक अयोग्य शासक था। वह अपना अधिकांश समय पशुओं की लड़ाई देखने तथा वेश्याओं और मदिरा के बीच गुजारता था।
*मुहम्मदशाह एक अयोग्य शासक था। वह अपना अधिकांश समय पशुओं की लड़ाई देखने तथा वेश्याओं और मदिरा के बीच गुजारता था।
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*[[बाजीराव प्रथम]] के नेतृत्व में 500 घुड़सवार लेकर मार्च, 1737 ई. में उसने दिल्ली पर चढ़ाई की, परन्तु सम्राट ने इसका कोई विरोध नहीं किया।
*[[बाजीराव प्रथम]] के नेतृत्व में 500 घुड़सवार लेकर मार्च, 1737 ई. में उसने दिल्ली पर चढ़ाई की, परन्तु सम्राट ने इसका कोई विरोध नहीं किया।


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Revision as of 08:34, 25 April 2013

मुहम्मदशाह रौशन अख़्तर ने लम्बे समय 1719 से 1748 ई. तक मुग़ल साम्राज्य पर शासन किया। रफ़ीउद्दौला की मृत्यु के बाद सैय्यद बन्धुओं ने उसको गद्दी पर बैठाया था। वह जहानशाह का चौथा बेटा था। इसके काल में बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में मुर्शिद कुली ख़ाँ, अवध में सआदत ख़ाँ तथा दक्कन में निजामुलमुल्क ने अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर लीं। इसके अतिरिक्त इसके काल में गंगा तथा दोआब क्षेत्र में रोहिला सरदारों ने भी अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित कर ली थी।

  • मुहम्मदशाह एक अयोग्य शासक था। वह अपना अधिकांश समय पशुओं की लड़ाई देखने तथा वेश्याओं और मदिरा के बीच गुजारता था।
  • इसी कारण उसे 'रंगीला' के उपनाम से भी जाना जाता था।
  • दरबार में सैय्यद बन्धुओं के बढ़ते हुए प्रभुत्व के कारण एक रोष उत्पन्न हुआ तथा उन्हें समाप्त करने का षडयंत्र किया गया।
  • इस षडयंत्र में ईरानी दल का नेता मुहम्मद अमीन ख़ाँ, मुहम्मदशाह तथा राजमाता कुदसिया बेगम शामिल थीं।
  • 8 अक्टूबर, 1720 को हैदर बेग़ ने छुरा घोपकर हुसैन अली की हत्या कर दी।
  • अपने भाई का बदला लेने के लिए अब्दुल्ला ख़ाँ ने विशाल सेना लेकर मुहम्मदशाह के विरुद्ध चढ़ाई कर दी।
  • 13 नवम्बर, 1720 को हसनपुर के स्थान पर अब्दुल्ला ख़ाँ हार गया, उसे बन्दी बना लिया गया और विष देकर मार डाला गया।
  • इस प्रकार मुहम्मदशाह के शासनकाल में सैय्यद बन्धुओं का पूरी तरह से अन्त हो गया।
  • फ़ारस के शासक नादिरशाह ने 1739 में मुहम्मदशाह के समय में ही दिल्ली पर आक्रमण किया था।
  • बाजीराव प्रथम के नेतृत्व में 500 घुड़सवार लेकर मार्च, 1737 ई. में उसने दिल्ली पर चढ़ाई की, परन्तु सम्राट ने इसका कोई विरोध नहीं किया।


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