महात्मा गाँधी के अनमोल वचन: Difference between revisions
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*महाभारत के रचयिता ने भौतिक युद्ध की अनिवार्यता का नहीं वरन् उसकी निरर्थकता का प्रतिपादन किया है। | *महाभारत के रचयिता ने भौतिक युद्ध की अनिवार्यता का नहीं वरन् उसकी निरर्थकता का प्रतिपादन किया है। | ||
*मनुष्य तभी विजयी होगा जब वह जीवन-संघर्ष के बजाय परस्पर-सेवा हेतु संघर्ष करेगा। | *मनुष्य तभी विजयी होगा जब वह जीवन-संघर्ष के बजाय परस्पर-सेवा हेतु संघर्ष करेगा। | ||
* | *मज़दूर के दो हाथ जो अर्जित कर सकते हैं वह मालिक अपनी पूरी संपत्ति द्वारा भी प्राप्त नहीं कर सकता। | ||
*'''अहिंसा''' एक [[विज्ञान]] है। विज्ञान के शब्दकोश में 'असफलता' का कोई स्थान नहीं। | *'''अहिंसा''' एक [[विज्ञान]] है। विज्ञान के शब्दकोश में 'असफलता' का कोई स्थान नहीं। | ||
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*हम धर्म के नाम पर गौ-रक्षा की दुहाई देते हैं किंतु बाल-विधवा के रूप में मौजूद उस मानवीय गाय की सुरक्षा से इंकार कर देते हैं। | *हम धर्म के नाम पर गौ-रक्षा की दुहाई देते हैं किंतु बाल-विधवा के रूप में मौजूद उस मानवीय गाय की सुरक्षा से इंकार कर देते हैं। | ||
*हमें बच्चों को ऐसी शिक्षा नहीं देनी चाहिए जिससे वे श्रम का तिरस्कार करें। | *हमें बच्चों को ऐसी शिक्षा नहीं देनी चाहिए जिससे वे श्रम का तिरस्कार करें। | ||
*हमारा समाजवाद अथवा साम्यवाद अहिंसा पर आधारित होना चाहिए जिसमें मालिक | *हमारा समाजवाद अथवा साम्यवाद अहिंसा पर आधारित होना चाहिए जिसमें मालिक मज़दूर एवं जमपदार किसान के मध्य परस्पर सद्भावपूर्ण सहयोग हो। | ||
*यदि समाजवाद का अर्थ शत्रु के प्रति मित्रता का भाव रखना है तो मुझे एक सच्चा समाजवादी समझा जाना चाहिए। | *यदि समाजवाद का अर्थ शत्रु के प्रति मित्रता का भाव रखना है तो मुझे एक सच्चा समाजवादी समझा जाना चाहिए। |
Revision as of 14:58, 6 April 2015
महात्मा गाँधी के अनमोल वचन |
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- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ गांधीजी के शब्दों में (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल)। । अभिगमन तिथि: 20 जनवरी, 2011।
- ↑ साहस / निर्भीकता / पराक्रम/ आत्म्विश्वास / प्रयत्न (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) hindisikhen। अभिगमन तिथि: 14 अप्रॅल, 2011।