लोहार

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लोहार (अंग्रेज़ी: Blacksmith) उस व्यक्ति को कहते हैं, जो लोहा या इस्पात का उपयोग करके विभिन्न वस्तुएँ बनाता है। हथौड़ा, छेनी, धौंकनी आदि औजारों का पयोग करके लोहार फाटक, ग्रिल, रेलिंग, खेती के औजार, बर्तन एवं हथियार आदि बनाता है।

  • भारत में लोहार एक प्रमुख व्यावसायिक जाति है। जाति के आधार से लोहार पिछड़े वर्ग में आता है और वर्ण के अनुसार शूद्र वर्ण में आता है।
  • लोहार दो भागों में विभाजित हैं[1]-
  1. गाडिया लोहार
  2. मालविया लोहार


  • गाडिया लोहार एक स्थान पर स्थाई रूप से नहीं रहते। अपने गाडों पर औजार लिये एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवार के साथ घूमते रहते हैं। ये राजपूतों के वंशज हैं। चित्तौड़ पर मुसलमानों के आक्रमण के बाद से ही ये खानाबदोश की तरह जीवन जीते हैं।
  • मालविया लोहारों का मानना है कि ये मालवा से आये हैं। इस कारण से ये मालविया कहलाते हैं। ये सुथार का कार्य भी करते हैं। ये शक्ति की पूजा करते हैं एवं अग्नि पूजक भी हैं। अपने मृतकों को गाड़ते हैं।
  • मुसलमान लोहार भी दो भागों में विभाजित है- 'मूलतानी' और 'नागौरी'। इनके आपसी वैवाहिक संबंध होते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लोहार/लुहार (हिंदी) rajfolkpedia.com। अभिगमन तिथि: 12 अक्टूबर, 2017।

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