Difference between revisions of "ज़मींदार"

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'''ज़मींदार''' [[भारत]] में ज़मीन के मालिक या क़ाबिज़ को कहते हैं। मूलतः [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] से व्युत्पन्न इस शब्द का व्यापक रूप से प्रयोग उन सभी जगहों पर हुआ, जहाँ [[मुग़ल]] या अन्य भारतीय [[मुसलमान|मुस्लिम]] राजवंशों द्वारा फ़ारसी प्रभाव फैलाया गया। इस शब्द से कई अर्थ जुड़े हुए थे।
'''ज़मींदार''' [[भारत]] में ज़मीन का मालिक या क़ाबिज़ को कहते है। मूलतः [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] से व्युत्पन्न इस शब्द का व्यापर रूप से प्रयोग उन सभी जगहों पर हुआ, जहाँ [[मुग़ल]] या अन्य भारतीय मुस्लिम राजवंशों द्वारा फ़ारसी प्रभाव फैलाया गया। इस शब्द से कई अर्थ जुड़े हुए थे।  
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*[[बंगाल]] में इसका प्रयोग ऐसे वंशानुगत कर वसूलने वालों के रूप में होता था, जो राज्य के लिए वसूले गए राजस्व में से 10 प्रतिशत अपने पास रखने के अधिकारी होते थे।  
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*[[बंगाल]] में ज़मींदार शब्द का प्रयोग ऐसे वंशानुगत कर वसूलने वालों के रूप में होता था, जो [[राज्य]] के लिए वसूले गए राजस्व में से 10 प्रतिशत अपने पास रखने के अधिकारी होते थे।
*18वीं [[सदी]] के अंत में ब्रिटिश सरकार ने इन ज़मीदारों को भू-स्वामी बना दिया और इस तरह बंगाल और [[बिहार]] में एक ऐसा कुलीन भूपति वर्ग़ सामने आया, जो [[1947]] में भारत की आज़ादी तक बना रहा।
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*18वीं [[सदी]] के अंत में ब्रिटिश सरकार ने इन ज़मीदारों को भू-स्वामी बना दिया और इस तरह बंगाल और [[बिहार]] में एक ऐसा कुलीन भूपति वर्ग़ सामने आया, जो [[1947]] में [[भारत]] की आज़ादी तक बना रहा।
*[[उत्तरी भारत]] के कुछ हिस्सों (मसलन [[उत्तर प्रदेश]]) में, ज़मींदार शब्द से तात्पर्य एक ऐसे बड़े भू-स्वामी से होता था, जिसे भूमि पर संपूर्ण स्वामित्व अधिकार प्राप्त होते थे।  
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*[[उत्तरी भारत]] के कुछ हिस्सों (मसलन [[उत्तर प्रदेश]]) में ज़मींदार शब्द से तात्पर्य एक ऐसे बड़े भू-स्वामी से होता था, जिसे भूमि पर संपूर्ण स्वामित्व अधिकार प्राप्त होते थे।
*उत्तर भारत में इससे भी ज़्यादा प्रचलित अर्थ में ज़मींदार ज़मीन जोतने वालों या गांवों की गोचर भूमियों के साझा उत्तराधिकारियों को कहा जाता था।  
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*उत्तर भारत में इससे भी ज़्यादा प्रचलित अर्थ में ज़मींदार ज़मीन जोतने वालों या गांवों की गोचर भूमियों के साझा उत्तराधिकारियों को कहा जाता था।
 
*[[मराठा]] इलाकों में यह नाम सामान्यतः सभी वंशानुगत अधिकारियों के लिए प्रयोग किया जाता था।
 
*[[मराठा]] इलाकों में यह नाम सामान्यतः सभी वंशानुगत अधिकारियों के लिए प्रयोग किया जाता था।
  
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==संबंधित लेख==
 
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[[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:मध्य काल]][[Category:इतिहास कोश]]
 
 
 
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Revision as of 09:34, 4 August 2014

zamiandar bharat mean zamin ke malik ya qabiz ko kahate haian. moolatah farasi se vyutpann is shabd ka vyapak roop se prayog un sabhi jagahoan par hua, jahaan mugal ya any bharatiy muslim rajavanshoan dvara farasi prabhav phailaya gaya. is shabd se kee arth ju de hue the.

  • bangal mean zamiandar shabd ka prayog aise vanshanugat kar vasoolane valoan ke roop mean hota tha, jo rajy ke lie vasoole ge rajasv mean se 10 pratishat apane pas rakhane ke adhikari hote the.
  • 18vian sadi ke aant mean british sarakar ne in zamidaroan ko bhoo-svami bana diya aur is tarah bangal aur bihar mean ek aisa kulin bhoopati varg samane aya, jo 1947 mean bharat ki azadi tak bana raha.
  • uttari bharat ke kuchh hissoan (masalan uttar pradesh) mean zamiandar shabd se tatpary ek aise b de bhoo-svami se hota tha, jise bhoomi par sanpoorn svamitv adhikar prapt hote the.
  • uttar bharat mean isase bhi zyada prachalit arth mean zamiandar zamin jotane valoan ya gaanvoan ki gochar bhoomiyoan ke sajha uttaradhikariyoan ko kaha jata tha.
  • maratha ilakoan mean yah nam samanyatah sabhi vanshanugat adhikariyoan ke lie prayog kiya jata tha.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh