Difference between revisions of "पहाड़ी जाति"

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'''पहाड़ी जाति / Pahadi'''<br />
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*पहाड़ी, ख़ासा या छेत्री कहलाने वाले, मिश्रित उद्गम के लोग हैं, जो [[नेपाल]] की आबादी का 3/5 तथा पड़ोसी [[हिमालय]] [[भारत]], [[हिमाचल प्रदेश]] तथा [[उत्तराखंड|उत्तरांचल]] की बहुसंख्यक आबादी हैं। ये भारोपीय परिवार की भारतीय-आर्य शाख से संबंधित भाषाएं बोलते हैं; ऐतिहासिक रूप से लोग प्राचीन उत्पत्ति के हैं। इनके बारे में [[प्लिनी]] तथा [[हेरोडोटस]] जैसे लेखक ने लिखा है और महाकाव्य [[महाभारत]] में भी इनका ज़िक्र है।  
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*20वीं [[सदी]] के अंत में इनकी संख्या अनुमानत: लगभग दो करोड़ थी।
*पहाड़ी, खासा या छेत्री कहलाने वाले, मिश्रित उद्गम के लोग हैं, जो [[नेपाल]] की आबादी का 3/5 तथा पड़ोसी [[हिमालय]] [[भारत]], [[हिमाचल प्रदेश]] तथा [[उत्तराखंड|उत्तरांचल]] की बहुसंख्यक आबादी हैं। ये भारोपीय परिवार की भारतीय-आर्य शाख से संबंधित भाषाएं बोलते हैं; ऐतिहासिक रूप से लोग प्राचीन उत्पत्ति के हैं। इनके बारे में [[प्लिनी]] तथा [[हेरोडोटस]] जैसे लेखक ने लिखा है और महाकाव्य [[महाभारत]] में भी इनका ज़िक्र है।  
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*अधिकांश पहाड़ी [[हिन्दू]] हैं, लेकिन इनकी जातीय संरचना मैदानी लोगों की अपेक्षा कम [[रूढ़िवाद|रूढ़िवादी]] तथा कम जटिल है। आमतौर पर इनका उच्च 'शुध्द' या 'द्विज' जाति 'खासिया' या 'का' और निम्न 'अशुध्द' या 'अपवित्र' जाति 'डोम' के रूप में वर्गीकरण किया जाता है।  
*20वीं सदी के अंत में इनकी संख्या अनुमानत: लगभग दो करोड़ थी।
 
*अधिकांश पहाड़ी हिंदू हैं, लेकिन इनकी जातीय संरचना मैदानी लोगों की अपेक्षा कम रूढ़िवादी तथा कम जटिल है। आमतौर पर इनका उच्च 'शुध्द' या 'द्विज' जाति 'खासिया' या 'का' और निम्न 'अशुध्द' या 'अपवित्र' जाति 'डोम' के रूप में वर्गीकरण किया जाता है।  
 
 
*अधिकांश उच्च जाति वाले पहाड़ी कृषक है; डोम विभिन्न व्यवसायों में संलग्न होते हैं तथा ये सुनार, चर्मकार, दर्जी, संगीतकार, ढोलकिया तथा सफ़ाईकर्मी हो सकते हैं।
 
*अधिकांश उच्च जाति वाले पहाड़ी कृषक है; डोम विभिन्न व्यवसायों में संलग्न होते हैं तथा ये सुनार, चर्मकार, दर्जी, संगीतकार, ढोलकिया तथा सफ़ाईकर्मी हो सकते हैं।
 
*इस जाति में बहुपति प्रथा बहुतायत में दिखाई देती है, विशेषकर, कई भाई एक या अधिक पत्नियों की हिस्सेदारी करते हैं।  
 
*इस जाति में बहुपति प्रथा बहुतायत में दिखाई देती है, विशेषकर, कई भाई एक या अधिक पत्नियों की हिस्सेदारी करते हैं।  
 
*अन्य वैवाहिक व्यवस्थाएं निश्चित ही अधिक सामान्य हैं; कुछ परिवारों में पति पत्नी की संख्या बराबर होती है; कुछ में, एक पति की कई पत्नियां होती हैं; और कुछ परिवारों में केवल एक की पति तथा एक ही पत्नी होते हैं। अधिकांश लड़कियों की शादी 10 वर्ष की आयु पूर्ण करने से पूर्व ही हो जाती है। हालांकि परिपक्व होने तक वे अपने पतियों के साथ सहवास नहीं करती हैं।
 
*अन्य वैवाहिक व्यवस्थाएं निश्चित ही अधिक सामान्य हैं; कुछ परिवारों में पति पत्नी की संख्या बराबर होती है; कुछ में, एक पति की कई पत्नियां होती हैं; और कुछ परिवारों में केवल एक की पति तथा एक ही पत्नी होते हैं। अधिकांश लड़कियों की शादी 10 वर्ष की आयु पूर्ण करने से पूर्व ही हो जाती है। हालांकि परिपक्व होने तक वे अपने पतियों के साथ सहवास नहीं करती हैं।
 
*महिलाओं के लिए लैंगिक व्यवहार का दोहरा मापदंड है, जिनहें अपने पतियों के साथ रहते हुए उनके लिए निष्ठावान होना चाहिये। तथापि जब कोई विवाहिक महिला अपने अभिभावकों से मिलने घर जाती है, उसे अविवाहित लड़की की तरह ही आज़ादी मिलती है।
 
*महिलाओं के लिए लैंगिक व्यवहार का दोहरा मापदंड है, जिनहें अपने पतियों के साथ रहते हुए उनके लिए निष्ठावान होना चाहिये। तथापि जब कोई विवाहिक महिला अपने अभिभावकों से मिलने घर जाती है, उसे अविवाहित लड़की की तरह ही आज़ादी मिलती है।
*पहाड़ी लोग कृषक होते हैं। और पहाड़ी भूमि पर सीढ़ीदार खेती करते हैं । इनकी मुखय फ़सलें आलू तथा चावल हैं, अन्य फ़सलों में गेहूं,जौ,प्याज, टमाटर, तंबाकू और विभिन्न सब्जियां शामिल हैं। वे भेड़, बकरियां तथा मवेशी भी पालते हैं। सभी लोग ऊन की कताई करते हैं जबकि बुनाई निम्न जाति के लोग करते हैं।
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*पहाड़ी लोग कृषक होते हैं। और पहाड़ी भूमि पर सीढ़ीदार खेती करते हैं । इनकी मुखय फ़सलें [[आलू]] तथा [[चावल]] हैं, अन्य फ़सलों में [[गेहूँ]], जौ, प्याज, [[टमाटर]], तंबाकू और विभिन्न [[भारत की शाक-सब्ज़ी|सब्जियाँ]] शामिल हैं। वे भेड़, बकरियां तथा मवेशी भी पालते हैं। सभी लोग ऊन की कताई करते हैं जबकि बुनाई निम्न जाति के लोग करते हैं।
 
 
 
 
 
 
  
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Latest revision as of 13:30, 1 November 2014

  • paha di, khasa ya chhetri kahalane vale, mishrit udgam ke log haian, jo nepal ki abadi ka 3/5 tatha p dosi himalay bharat, himachal pradesh tatha uttaraanchal ki bahusankhyak abadi haian. ye bharopiy parivar ki bharatiy-ary shakh se sanbandhit bhashaean bolate haian; aitihasik roop se log prachin utpatti ke haian. inake bare mean plini tatha herodotas jaise lekhak ne likha hai aur mahakavy mahabharat mean bhi inaka zikr hai.
  • 20vian sadi ke aant mean inaki sankhya anumanat: lagabhag do karo d thi.
  • adhikaansh paha di hindoo haian, lekin inaki jatiy sanrachana maidani logoan ki apeksha kam roodhivadi tatha kam jatil hai. amataur par inaka uchch 'shudhd' ya 'dvij' jati 'khasiya' ya 'ka' aur nimn 'ashudhd' ya 'apavitr' jati 'dom' ke roop mean vargikaran kiya jata hai.
  • adhikaansh uchch jati vale paha di krishak hai; dom vibhinn vyavasayoan mean sanlagn hote haian tatha ye sunar, charmakar, darji, sangitakar, dholakiya tatha safaeekarmi ho sakate haian.
  • is jati mean bahupati pratha bahutayat mean dikhaee deti hai, visheshakar, kee bhaee ek ya adhik patniyoan ki hissedari karate haian.
  • any vaivahik vyavasthaean nishchit hi adhik samany haian; kuchh parivaroan mean pati patni ki sankhya barabar hoti hai; kuchh mean, ek pati ki kee patniyaan hoti haian; aur kuchh parivaroan mean keval ek ki pati tatha ek hi patni hote haian. adhikaansh l dakiyoan ki shadi 10 varsh ki ayu poorn karane se poorv hi ho jati hai. halaanki paripakv hone tak ve apane patiyoan ke sath sahavas nahian karati haian.
  • mahilaoan ke lie laiangik vyavahar ka dohara mapadand hai, jinahean apane patiyoan ke sath rahate hue unake lie nishthavan hona chahiye. tathapi jab koee vivahik mahila apane abhibhavakoan se milane ghar jati hai, use avivahit l daki ki tarah hi azadi milati hai.
  • paha di log krishak hote haian. aur paha di bhoomi par sidhidar kheti karate haian . inaki mukhay fasalean aloo tatha chaval haian, any fasaloan mean gehooan, jau, pyaj, tamatar, tanbakoo aur vibhinn sabjiyaan shamil haian. ve bhe d, bakariyaan tatha maveshi bhi palate haian. sabhi log oon ki kataee karate haian jabaki bunaee nimn jati ke log karate haian.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

sanbandhit lekh