अश्मक जाति: Difference between revisions

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'''अश्मक जाति''' दक्षिणापथ की जाति थी, जिसे [[संस्कृत साहित्य]] में 'अश्मक' कहा गया है। अश्मकों का निवास [[गोदावरी नदी]] के तीर के आस-पास ही कहीं पर था। 'पोतलि' अथवा '[[पोतन]]' उनका प्रधान नगर था, परन्तु '[[अंगुत्तरनिकाय]]' की तालिका से ज्ञात होता है कि वे बाद में उत्तर की ओर जा बसे थे और सम्भवत: उनकी आवास-भूमि [[मथुरा]] और [[अवन्ती]] के बीच थी। प्रगट है कि [[बुद्ध]] के समय दक्षिण में ही उनका निवास था।


*अंगुत्तरनिकायवाली तालिका निश्चय ही कुछ बाद की है, जब यह जाति दक्षिण से उत्तर की ओर संक्रमण कर गई थी।
*अंगुत्तरनिकायवाली तालिका निश्चय ही कुछ बाद की है, जब यह जाति दक्षिण से उत्तर की ओर संक्रमण कर गई थी।

Revision as of 10:47, 17 May 2012

अश्मक जाति दक्षिणापथ की जाति थी, जिसे संस्कृत साहित्य में 'अश्मक' कहा गया है। अश्मकों का निवास गोदावरी नदी के तीर के आस-पास ही कहीं पर था। 'पोतलि' अथवा 'पोतन' उनका प्रधान नगर था, परन्तु 'अंगुत्तरनिकाय' की तालिका से ज्ञात होता है कि वे बाद में उत्तर की ओर जा बसे थे और सम्भवत: उनकी आवास-भूमि मथुरा और अवन्ती के बीच थी। प्रगट है कि बुद्ध के समय दक्षिण में ही उनका निवास था।

  • अंगुत्तरनिकायवाली तालिका निश्चय ही कुछ बाद की है, जब यह जाति दक्षिण से उत्तर की ओर संक्रमण कर गई थी।
  • पुराणों में महापद्मनंद द्वारा अश्मकों के पराभव की भी कथा लिखी है।
  • सिकन्दर के इतिहासकारों ने उसके आक्रमण के समय अस्सकेनोई नामक पराक्रमी जाति द्वारा 20 हज़ार घुड़सवारों, 30 हज़ार पैदलों और 30 हाथियों के साथ उसकी राह रोकने की बात लिखी है।
  • अश्मकों के पराक्रम की बात लिखते और उनके प्रति विजेता की अनुदारता प्रकाशित करने में वे झिझकते नहीं।
  • यदि यह अस्सकेनोई जाति, जिसके दुर्ग मस्सग के अमर युद्ध का वर्णन ग्रीक इतिहासकारों ने किया है, अश्मक ही हैं, तो इस जाति के शौर्य की कथा निसन्देह अमर है।
  • साथ ही यह एकीकरण यह भी प्रमाणित करता है कि अस्सकों या अश्मकों का गोदावरी तथा अवन्ती के निकटवर्ती जनपद के अतिरिक्त एक तीसरा निवास भी था।
  • सम्भवत: उस जाति का पूर्वतम निवास पश्चिमी पाकिस्तान में था, जिसकी विजय सिकन्दर ने यूसुफज़यी इलाके के चारसद्दा इलाके में पुष्करावती की विजय से भी पहले की थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय संस्कृति कोश, भाग-1 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 66 |


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