कुकी जनजाति: Difference between revisions

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'''कुकी''' [[भारत]] और [[म्यांमार]] के बीच की सीमा की मिज़ो पहाड़ियों पर रहने वाले दक्षिण-पूर्वी एशियाई लोग है। इस जनजाति की जनसंख्या [[1970]] के दशक में लगभग 12,000 थी। ये मुख्यतः अधिक संख्या वाले मिज़ो लोगों में उनकी प्रथाएँ व [[भाषा]] अपनाकर घुलमिल गए हैं।
'''कुकी''' [[भारत]] और [[म्यांमार]] के बीच की सीमा की मिज़ो पहाड़ियों पर रहने वाले दक्षिण-पूर्वी एशियाई लोग है। इस जनजाति की जनसंख्या [[1970]] के दशक में लगभग 12,000 थी। ये मुख्यतः अधिक संख्या वाले मिज़ो लोगों में उनकी प्रथाएँ व [[भाषा]] अपनाकर घुलमिल गए हैं। इसके बोंजुंग कुकी, बायटे कुकी, खेलमा कुकी आदि कई कुलवाची भेद हैं। ये बलिष्ठ एवं ठिंगने होते हैं और नागा लोगों की अपेक्षा अधिक खूंखार समझे जाते हैं। आज से लगभग सौ वर्ष पूर्व लुशाई और कुकी लोगों में युद्ध हुआ जिसमें कुकी लोगों की हार हुई और वे अपना निवास छोड़कर काचार में आ बसे। उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने प्रश्रय दिया और 200 कुकियों को सीमांत रक्षार्थ सैनिक शिक्षा दी।
==सरदार==
कुकी लोग अपने सरदार की आज्ञा का पालन अपना [[धर्म]] समझते हैं सरदार उनका एक प्रकार से राजा होता है और समझा जाता है कि वह दैवी अंश है। इस कारण वे लोग उसका कभी अनादर करने का साहस नहीं करते वरन्‌ वह जो आदेश देता है उसका [[आँख |आँख]] मूँदकर पालन करते हैं। विशेष अवसर आने पर सरदार संकेत द्वारा आदेश जारी करता है। यदि कोई व्यक्ति सरदार का भाला सुसज्जित रूप में लेकर [[गाँव]] में घूमता है तो उसका अर्थ होता है कि सरदार ने सब लोगों को अविलंब बुलाया है। इस वर्ग का प्रत्येक व्यक्ति अपने सरदार को प्रति वर्ष कर स्वरूप एक टोकरी [[चावल]], एक बकरी, एक कुक्कुट और अपने शिकार का चौथा भाग प्रदान करता है और चार दिन की कमाई देता है। सरदार की सहायता के लिए एक मंत्रिमंडल होता है जिसकी सहायता से वह न्याय करता है।
*कुकी लोगों में विश्वासघात की सजा मृत्यु है। खून के [[अपराध]] में खूनी और उसके परिवार को गुलामी करनी होती है। स्त्रियों को किसी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं है उनपर सरदार का आदेश लागू होता है। कुकी लोग उथेन नामक देवता की पूजा करते हैं।  
==परंपरा==
==परंपरा==
परंपरागत रूप से कुकी जंगलों में छोटी बस्तियों में रहते थे, जिनमें प्रत्येक उसके अपने प्रमुख द्वारा शासित होती थी। मुखिया का सबसे छोटा पुत्र अपने पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी होता था, जबकि अन्य पुत्रों का गाँव की लड़कियों से [[विवाह]] करवाकर उन्हें स्वयं अपने गाँव स्थापित करने हेतु भेज दिया जाता था। कुकी [[बाँस]] के जंगलों में एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं, जो इन्हें निर्माण व हस्तकला सामाग्रियाँ उपलब्ध कराते हैं। ये जंगल को जलाकर भूमि साफ़ करके [[चावल]] उगाते है, जंगली जानवरों का शिकार करते हैं और कुत्ते, [[सूअर]], [[भैंस]], बकरी व मुर्गियां पालते हैं।
परंपरागत रूप से कुकी जंगलों में छोटी बस्तियों में रहते थे, जिनमें प्रत्येक उसके अपने प्रमुख द्वारा शासित होती थी। मुखिया का सबसे छोटा पुत्र अपने पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी होता था, जबकि अन्य पुत्रों का गाँव की लड़कियों से [[विवाह]] करवाकर उन्हें स्वयं अपने गाँव स्थापित करने हेतु भेज दिया जाता था। कुकी [[बाँस]] के जंगलों में एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं, जो इन्हें निर्माण व हस्तकला सामाग्रियाँ उपलब्ध कराते हैं। ये जंगल को जलाकर भूमि साफ़ करके [[चावल]] उगाते है, जंगली जानवरों का शिकार करते हैं और कुत्ते, [[सूअर]], [[भैंस]], बकरी व मुर्गियां पालते हैं।


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Revision as of 09:43, 25 July 2018

thumb|250px|कुकी जनजाति कुकी भारत और म्यांमार के बीच की सीमा की मिज़ो पहाड़ियों पर रहने वाले दक्षिण-पूर्वी एशियाई लोग है। इस जनजाति की जनसंख्या 1970 के दशक में लगभग 12,000 थी। ये मुख्यतः अधिक संख्या वाले मिज़ो लोगों में उनकी प्रथाएँ व भाषा अपनाकर घुलमिल गए हैं। इसके बोंजुंग कुकी, बायटे कुकी, खेलमा कुकी आदि कई कुलवाची भेद हैं। ये बलिष्ठ एवं ठिंगने होते हैं और नागा लोगों की अपेक्षा अधिक खूंखार समझे जाते हैं। आज से लगभग सौ वर्ष पूर्व लुशाई और कुकी लोगों में युद्ध हुआ जिसमें कुकी लोगों की हार हुई और वे अपना निवास छोड़कर काचार में आ बसे। उन्हें तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने प्रश्रय दिया और 200 कुकियों को सीमांत रक्षार्थ सैनिक शिक्षा दी।

सरदार

कुकी लोग अपने सरदार की आज्ञा का पालन अपना धर्म समझते हैं सरदार उनका एक प्रकार से राजा होता है और समझा जाता है कि वह दैवी अंश है। इस कारण वे लोग उसका कभी अनादर करने का साहस नहीं करते वरन्‌ वह जो आदेश देता है उसका आँख मूँदकर पालन करते हैं। विशेष अवसर आने पर सरदार संकेत द्वारा आदेश जारी करता है। यदि कोई व्यक्ति सरदार का भाला सुसज्जित रूप में लेकर गाँव में घूमता है तो उसका अर्थ होता है कि सरदार ने सब लोगों को अविलंब बुलाया है। इस वर्ग का प्रत्येक व्यक्ति अपने सरदार को प्रति वर्ष कर स्वरूप एक टोकरी चावल, एक बकरी, एक कुक्कुट और अपने शिकार का चौथा भाग प्रदान करता है और चार दिन की कमाई देता है। सरदार की सहायता के लिए एक मंत्रिमंडल होता है जिसकी सहायता से वह न्याय करता है।

  • कुकी लोगों में विश्वासघात की सजा मृत्यु है। खून के अपराध में खूनी और उसके परिवार को गुलामी करनी होती है। स्त्रियों को किसी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं है उनपर सरदार का आदेश लागू होता है। कुकी लोग उथेन नामक देवता की पूजा करते हैं।

परंपरा

परंपरागत रूप से कुकी जंगलों में छोटी बस्तियों में रहते थे, जिनमें प्रत्येक उसके अपने प्रमुख द्वारा शासित होती थी। मुखिया का सबसे छोटा पुत्र अपने पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी होता था, जबकि अन्य पुत्रों का गाँव की लड़कियों से विवाह करवाकर उन्हें स्वयं अपने गाँव स्थापित करने हेतु भेज दिया जाता था। कुकी बाँस के जंगलों में एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं, जो इन्हें निर्माण व हस्तकला सामाग्रियाँ उपलब्ध कराते हैं। ये जंगल को जलाकर भूमि साफ़ करके चावल उगाते है, जंगली जानवरों का शिकार करते हैं और कुत्ते, सूअर, भैंस, बकरी व मुर्गियां पालते हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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