पंचमहल: Difference between revisions
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==स्थापत्य== | |||
फ़तेहपुर सीकरी में 'जोधाबाई महल' से निकल कर सामने की ओर ही सुनहरा मकान और 'पंचमहल' है। पंचमहल के बारे में कहा जाता है कि शाम के वक्त बादशाह यहाँ अपनी बेगमों के साथ हवाखोरी करता था। 176 भव्य नक्काशीदार खंम्भों पर पंचमहल खडा है। प्रत्येक खम्भे की नक्काशी अलग किस्म की है। सबसे नीचे की मंजिल पर 84 और सब से ऊपर की मंजिल पर 4 खम्भे हैं। पंचमहल इमारत [[नालन्दा]] में निर्मित [[बौद्ध विहार|बौद्ध विहारों]] से प्रेरित लगती है। नीचे से ऊपर की ओर जाने पर मंजिलें क्रमशः छोटी होती गई हैं। महल के खम्बों पर [[फूल]]-पत्तियाँ, [[रुद्राक्ष]] के दानों से सुन्दर सजावट की गई है। [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] के इस निर्माण कार्य में बौद्ध विहारों एवं [[हिन्दू धर्म]] का प्रभाव स्पष्टतः दिखाई पड़ता है। | |||
====हिन्दुत्व का प्रभाव==== | |||
पंचमहल के समीप ही मुग़ल राजकुमारियों का मदरसा है। मरियम-उज़्-ज़मानी का महल प्राचीन घरों के ढंग का बनवाया गया था। इसके बनवाने तथा सजाने में अकबर ने अपने रानी की [[हिन्दू]] भावनाओं का विशेष ध्यान रखा था। भवन के अंदर आंगन में [[तुलसी]] के बिरवे का थांवला है और सामने दालान में एक मंदिर के चिह्न हैं। दीवारों में मूर्तियों के लिए आले बने हैं। कहीं-कहीं दीवारों पर [[कृष्णलीला]] के चित्र हैं, जो बहुत मद्धिम पड़ गए है। मंदिर के घंटों के चिह्न पत्थरों पर अंकित हैं। इस तीन मंज़िले घर के ऊपर के कमरों को ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन महल कहा जाता था। ग्रीष्मकालीन महल में पत्थर की बारीक जालियों में से ठंडी हवा छन-छन कर आती थी। | |||
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Revision as of 06:07, 12 December 2012
पंचमहल का निर्माण मुग़ल बादशाह अकबर द्वारा करवाया गया था। यह इमारत फ़तेहपुर सीकरी क़िले की सबसे ऊँची इमारत है। पिरामिड आकार में बने पंचमहल को 'हवामहल' भी कहा जाता है। इसकी पहली मंजिल के खम्भों पर शेष मंजिलों का सम्पूर्ण भार है। पंचमहल या हवामहल मरियम-उज़्-ज़मानी के सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बनवाया गया था। यहीं से अकबर की मुस्लिम बेगमें ईद का चाँद देखती थी।
स्थापत्य
फ़तेहपुर सीकरी में 'जोधाबाई महल' से निकल कर सामने की ओर ही सुनहरा मकान और 'पंचमहल' है। पंचमहल के बारे में कहा जाता है कि शाम के वक्त बादशाह यहाँ अपनी बेगमों के साथ हवाखोरी करता था। 176 भव्य नक्काशीदार खंम्भों पर पंचमहल खडा है। प्रत्येक खम्भे की नक्काशी अलग किस्म की है। सबसे नीचे की मंजिल पर 84 और सब से ऊपर की मंजिल पर 4 खम्भे हैं। पंचमहल इमारत नालन्दा में निर्मित बौद्ध विहारों से प्रेरित लगती है। नीचे से ऊपर की ओर जाने पर मंजिलें क्रमशः छोटी होती गई हैं। महल के खम्बों पर फूल-पत्तियाँ, रुद्राक्ष के दानों से सुन्दर सजावट की गई है। मुग़ल बादशाह अकबर के इस निर्माण कार्य में बौद्ध विहारों एवं हिन्दू धर्म का प्रभाव स्पष्टतः दिखाई पड़ता है।
हिन्दुत्व का प्रभाव
पंचमहल के समीप ही मुग़ल राजकुमारियों का मदरसा है। मरियम-उज़्-ज़मानी का महल प्राचीन घरों के ढंग का बनवाया गया था। इसके बनवाने तथा सजाने में अकबर ने अपने रानी की हिन्दू भावनाओं का विशेष ध्यान रखा था। भवन के अंदर आंगन में तुलसी के बिरवे का थांवला है और सामने दालान में एक मंदिर के चिह्न हैं। दीवारों में मूर्तियों के लिए आले बने हैं। कहीं-कहीं दीवारों पर कृष्णलीला के चित्र हैं, जो बहुत मद्धिम पड़ गए है। मंदिर के घंटों के चिह्न पत्थरों पर अंकित हैं। इस तीन मंज़िले घर के ऊपर के कमरों को ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन महल कहा जाता था। ग्रीष्मकालीन महल में पत्थर की बारीक जालियों में से ठंडी हवा छन-छन कर आती थी।
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