तालीकोट का युद्ध: Difference between revisions
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Revision as of 12:16, 27 April 2011
विजयनगर के हिन्दू राजा और भारत के दक्कन के बीजापुर, बीदर, अहमदनगर तथा गोलकुंडा के चार सुल्तानों के बीच 23 जनवरी 1565 ई. को हुआ। इस युद्ध में रामराजा परास्त होकर वीरगति को प्राप्त हुआ एवं विजयनगर की सेना पूर्णतः ध्वस्त हो गयी। यह एक निर्णायक युद्ध था जिसके परिणामस्वरूप विजयनगर के हिन्दू राज्य का पूर्णरूपेण पतन हो गया। इसमें कई लाख सैनिकों और हाथियों के कई दलों ने हिस्सा लिया था। मुस्लिम तोपखानों ने युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई और सत्तारूढ़ हिन्दू मंत्री राम राय को पकड़कर मौत के घाट उतार दिया गया। राजधानी विजयनगर पर क़ब्जा कर लिया गया और पाँच महीने में उसे नेस्तनाबूद किया गया। उसे फिर कभी बसाया नहीं गया। राजा और राम राय के भाई तिरुमला ने पेनकोंडा में शरण ली, जहाँ तिरुमला ने गद्दी हथिया (1570) ली। यह युद्ध विजयनगर साम्राज्य, जो तमिल तथा दक्षिणी कन्नड़ पर तेलुगु आधिपत्य का प्रतीक था, के विखंडन में निर्णायक साबित हुआ। इसी से मुसलमानों की अंतिम घुसपैठ भी शुरू हुई, जो 18वीं शताब्दी के अंत तक चलती रही।
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