दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था

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  • दिल्ली ने प्रशासनिक व्यवस्था में कई फेरबदल देखे हैं।
  • 2 अगस्त, 1858 को ब्रिटिश संसद ने भारत सरकार अधिनियम पारित किया, जिसने भारत की अंग्रेज़ी सत्ता को ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश राज में स्थानांतरित कर दिया।
  • 1876 में महारानी विक्टोरिया के शासनाधिकार में 'भारत की सम्राज्ञी' पदवी शामिल हो गई।
  • 1947 तक दिल्ली मुख्य आयुक्त की अध्यक्षता में ब्रिटिश प्रांत रही।
  • आज़ादी के बाद 1952 में यह केन्द्रशासित राज्य बनी लेकिन 1956 में इसका दर्जा बदल गया तथा यह केंद्र सरकार के अधीन केन्द्रशासित प्रदेश हो गई।
  • 1958 में शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक एकीकृत नियम की स्थापना की गई।
  • दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था में अधिनियम 1966 के तहत फिर परिवर्तन किया गया तथा तीन स्तरीय प्रणाली लागू की गई, जो एक उपराज्यपाल और एक कार्यकारी परिषद, एक निर्वाचित महानगरीय परिषद तथा नगर को मिलाकर बनाई गई है।
  • संविधान के 69 वें संशोधन द्वारा इसे 1991 में विशिष्ट राज्य का दर्जा एवं निर्वाचित विधान सभा दी गई।
  • राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत उप–राज्यपाल दिल्ली का प्रमुख होता है और प्रशासन मुख्यमंत्री चलाता है, जो निर्वाचित दल द्वारा नियुक्त किया जाता है।


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