सांसी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 13:16, 8 October 2014 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs) (''''सांसी''' एक ख़ानाबदोश आपराधिक जनजाति है, जो मूलत: [[भा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

सांसी एक ख़ानाबदोश आपराधिक जनजाति है, जो मूलत: भारत के पश्चिमोत्तर क्षेत्र राजपूताना में केंद्रित रही, लेकिन 13वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा खदेड़ दी गई। अब यह जनजाति मुख्यत: राजस्थान में संकेंद्रित है और शेष भारत में बिखरी हुई भी है।

  • सांसी लोग राजपूतों से अपनी वंशोत्पत्ति का दावा करते हैं, लेकिन लोककथा के अनुसार इनके पूर्वज बेड़िया थे, जो एक अन्य आपराधिक जाति है।
  • जीवन यापन के लिए पशुओं की चोरी तथा अन्य छोटे-छोटे अपराधों पर निर्भर रहने वाले सांसियों का उल्लेख अपराधी जनजाति क़ानूनों 1871, 1911 और 1924 में किया गया है, जिनमें उनके ख़ानाबदोश जीवन को ग़ैर क़ानूनी कहा गया।
  • 'भारत सरकार' द्वारा प्रारंभ किए गए सुधारों के कार्यान्वयन में भी कठिनाई आती रही, क्योंकि इन्हें अछूत जाति में गिना जाता है और इन्हें दी गई कोई भी भूमि या पशु इनके द्वारा बेच दी जाती है या ये उसका विनिमय कर लेते हैं।
  • वर्ष 1961 में इनकी संख्या लगभग 59,073 थी।
  • सांसी जनजाति के लोग हिन्दी भाषा बोलते हैं और स्वयं को दो वर्गों में विभाजित करते हैं-
  1. 'खरे' यानी शुद्ध
  2. अपहरणों के परिणामस्वरूप उत्पन्न 'मल्ला' यानी अर्द्ध जातीय
  • इस जनजाति में कुछ लोग कृषक और श्रमिक हैं, यद्यपि अधिकांश लोग अभी भी घुमंतू जीवन जीते हैं।
  • सांसी लोग अपनी वंश परंपरा पितृ सत्तात्मक मानते हैं और जाटों की पारिवारिक परंपरा के अनुसार चलते हैं।
  • इनका धर्म सामान्य हिन्दू धर्म है, लेकिन कुछ लोग इस्लाम में धर्मान्तरित हो गए हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः