देवार

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देवार छत्तीसगढ़ की भ्रमणशील, घुमंतू जाति है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध देवार लोकगीत इसी जाति के लोगों द्वारा गाये जाते हैं।

  • देवार अधिकांशत: यहाँ-वहाँ घूमने वाली भ्रमणशील जाति है। सम्भवत: इसीलिए इनके गीतों में रोचकता दिखाई देती है।
  • इस जाति के लोगों के बारे में अनेकों कहानियाँ प्रचलित हैं, जैसे एक कहानी में कहा जाता है कि देवार जाति के लोग गोंड राजाओं के दरबार में गाया करते थे। किसी कारणवश इन्हें राजदरबार से निकाल दिया गया और तब से घुमंतू जीवन अपनाकर ये कभी इधर तो कभी उधर घूमते रहते हैं। जिन्दगी को और नज़दीक से देखते हुए गीत रचते हैं, नृत्य करते हैं। इनके गीतों में संघर्ष, आनन्द और मस्ती का भाव है।
  • देवार लोगों द्वारा गाये जाने वाले गीत रुजू, ठुंगरु, मांदर के साथ गाये जाते हैं। गीत मौखिक परम्परा पर आधारित होते हैं।


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