गोपीनाथ कविराज

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:14, 7 September 2018 by रविन्द्र प्रसाद (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
गोपीनाथ कविराज
पूरा नाम गोपीनाथ कविराज
जन्म 7 सितम्बर, 1887
जन्म भूमि ढाका (अब बंगलादेश में)
मृत्यु 12 जून, 1976
मृत्यु स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश
अभिभावक वैकुण्ठनाथ बागची
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र संस्कृत के विद्वान् और महान् दार्शनिक
मुख्य रचनाएँ 'विशुद्धानंद' (पाँच खंड), 'विशुद्ध नंद वाणी' (सात खंड), 'अखंड महायोग'
शिक्षा एम. ए.
पुरस्कार-उपाधि पद्म विभूषण, 'महामहोपाध्याय', 'साहित्य वाचस्पति'
नागरिकता भारतीय

गोपीनाथ कविराज (अंग्रेज़ी: Gopinath Kaviraj, जन्म: 7 सितम्बर, 1887; मृत्यु: 12 जून, 1976) संस्कृत के विद्वान् और महान् दार्शनिक थे। इनके पिताजी का नाम वैकुण्ठनाथ बागची था।

जीवन परिचय

योग और तंत्र के प्रकांड विद्वान् डॉ. गोपीनाथ कविराज का जन्म 7 सितम्बर 1887 ई. में ढाका (अब बंगलादेश में) ज़िले के एक गाँव में हुआ था। बचपन में ही माता-पिता का देहांत हो जाने के कारण उनका पालन-पोषण मामा ने किया। उनकी शिक्षा ढाका, कोलकाता, जयपुर और वाराणसी में हुई। सर्वत्र उन्हें छात्रवृत्ति मिलती रही। वाराणसी के क्वींस कॉलेज में संस्कृत में एम.ए. का अध्ययन करते समय उनका आचार्य नरेंद्र देव से परिचय हुआ था। संस्कृत और अंग्रेज़ी के प्रति उनकी रुचि आरम्भ से ही थी। जयपुर के प्रवास काल में उन्होंने वहाँ के समृद्ध पुस्तकालयों का भरपूर लाभ उठाया।

कार्यक्षेत्र

एम. ए. में प्रथम आने पर कविराज को लाहौर और अजमेर में अध्यापक का कार्य मिल रहा था; किंतु उनकी योग्यता से प्रभावित क्वींस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वेनिस ने उन्हें वाराणसी में रोक कर कॉलेज के 'सरस्वती भवन' पुस्तकालय का अध्यक्ष नियुक्त कर लिया। इस पुस्तकालय को वर्तमान समृद्ध रूप प्रदान करने का मुख्य श्रेय कविराज जी को है। 1924 में वे क्वींस कॉलेज के प्रधानाचार्य बनाए गए और 1937 तक इस पद पर रहे।

कृतियाँ

गोपीनाथ कविराज जी की मुख्य प्रकाशित कृत्तियाँ हैं-

  1. 'विशुद्धानंद' (पाँच खंड)
  2. 'विशुद्ध नंद वाणी' (सात खंड)
  3. 'अखंड महायोग'
  4. 'भारतीय संस्कृति की साधना'
  5. 'तांत्रिक वाड्मय में शाक्त दृष्टि'
  6. 'तांत्रिक साहित्य'
  7. काशी की सारस्वत

सम्मान और पुरस्कार

गोपीनाथ कविराज सेवानिवृत्ति के पश्चात्‌ अपना समय प्राचीन ज्ञान-विज्ञान, अध्यात्म आदि पर  चर्चा और  तांत्रिक साधना में ही बिताते रहे। 1934 में सरकार ने उन्हें 'महामहोपाध्याय' की उपाधि प्रदान की। भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म विभूषण' की उपाधि से सम्मानित किया था। इसके अतिरिक्त वे निम्नलिखित सम्मान से भी सम्मानित हो चुके हैं।

निधन

गोपीनाथ कविराज का निधन 12 जून, 1976 को वाराणसी में देहांत हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः