Difference between revisions of "ज़ोहरा सहगल"

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'''ज़ोहरा सहगल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Zohra Sehgal'') प्रसिद्ध [[अभिनेत्री]] एवं [[रंगमंच]] कलाकार हैं। इनका मूल नाम 'साहिबजादी ज़ोहरा बेगम मुमताजुल्ला ख़ान' है। थियेटर को अपना पहला प्यार मानने वाली ज़ोहरा ने [[पृथ्वीराज कपूर]] के पृथ्वी थियेटर में क़रीब 14 साल तक काम किया। इस दौरान उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया। जिनमें हम दिल दे चुके सनम, बेंड इट लाइक बेकहम और चीनी कम जैसी फिल्में शामिल हैं। ज़ोहरा को 1998 में [[पद्मश्री]], 2002 में [[पद्मभूषण]] और 2010 में [[पद्म विभूषण]] से नवाजा जा चुका है।
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'''ज़ोहरा सहगल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Zohra Sehgal'') प्रसिद्ध [[अभिनेत्री]] एवं [[रंगमंच]] कलाकार हैं। इनका मूल नाम 'साहिबजादी ज़ोहरा बेगम मुमताजुल्ला ख़ान' है। थियेटर को अपना पहला प्यार मानने वाली ज़ोहरा ने [[पृथ्वीराज कपूर]] के पृथ्वी थियेटर में क़रीब 14 साल तक काम किया। इस दौरान उन्होंने कई फ़िल्मों में भी काम किया। जिनमें हम दिल दे चुके सनम, बेंड इट लाइक बेकहम और चीनी कम जैसी फ़िल्में शामिल हैं। ज़ोहरा को 1998 में [[पद्मश्री]], 2002 में [[पद्मभूषण]] और 2010 में [[पद्म विभूषण]] से नवाजा जा चुका है।
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
 
उनका जन्म [[27 अप्रैल]] [[1912]] को [[उत्तर प्रदेश]] में [[रामपुर]] के रोहिल्ला पठान [[परिवार]] में हुआ। वे मुमताजुल्ला खान और नातीक बेगम की सात में से तीसरी संतान हैं। पारंपरिक [[सुन्नी]] [[मुस्लिम]] परिवार में पली-बढ़ी ज़ोहरा बचपन से ही विद्रोही स्वभाव की थीं। खेलना-कूदना और धूम मचाना उन्हें पसंद था। बचपन में ही अपने चाचा के साथ [[भारत]] [[एशिया]] और [[यूरोप]] की सैर कार से की। लौटने पर उन्हें [[लाहौर]] के क्वीन मैरी कॉलेज में दाखिल करा दिया गया। उसके बाद 1935 में नृत्य गुरु उदय शंकर के नृत्य समूह से जुड़ गई और कई देशों की यात्रा की। आठ साल तक वह उनसे जुड़ी रहीं। वहीं ज़ोहरा की अपने पति कामेश्वर नाथ सहगल से मुलाकात हुईं। वे उनसे आठ साल छोटे थे। कामेश्वर [[इंदौर]] के युवा वैज्ञानिक, पेंटर और डांसर थे। शुरूआती विरोध के बाद यह शादी हो गई। वे ज़ोहरा के लिए धर्म परिवर्तन को तैयार थे लेकिन ज़ोहरा ने कहा इसकी कोई जरूरत नहीं। [[अगस्त]] [[1942]] में दोनों ने शादी कर ली। इस शादी में [[जवाहर लाल नेहरू]] शामिल हाने वाले थे लेकिन [[भारत छोड़ो आंदोलन]] के चलते उन्हें जेल जाना पड़ा। दोनों ने नृत्य समूह के साथ [[अल्मोड़ा]] में काम किया, जब यह बंद हो गया तब वे लाहौर चले गए और वहां अपना नृत्य समूह बनाया उनके दो बच्चे हुए। उन्हें भी आजादी थी अपनी मर्जी का धर्म चुनने की। इस बीच ज़ोहरा नास्तिक हो चली थीं और उनके पति यूं भी कोई धार्मिक नहीं थे। बेटी किरण सहगल औडिसी नृत्यांगना हैं और बेटे पवन विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़े हैं। उन्होंने [[प्रेमचंद|मुंशी प्रेमचंद]] की पोती सीमा राय से शादी की है।<ref name="डेली न्यूज़">{{cite web |url=http://www.dailynewsnetwork.in/news/25042012/Khushboo/61102.html |title=जिंदादिली के 100 साल |accessmonthday=8 फ़रवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=डेली न्यूज़ |language=हिंदी }}</ref>  
 
उनका जन्म [[27 अप्रैल]] [[1912]] को [[उत्तर प्रदेश]] में [[रामपुर]] के रोहिल्ला पठान [[परिवार]] में हुआ। वे मुमताजुल्ला खान और नातीक बेगम की सात में से तीसरी संतान हैं। पारंपरिक [[सुन्नी]] [[मुस्लिम]] परिवार में पली-बढ़ी ज़ोहरा बचपन से ही विद्रोही स्वभाव की थीं। खेलना-कूदना और धूम मचाना उन्हें पसंद था। बचपन में ही अपने चाचा के साथ [[भारत]] [[एशिया]] और [[यूरोप]] की सैर कार से की। लौटने पर उन्हें [[लाहौर]] के क्वीन मैरी कॉलेज में दाखिल करा दिया गया। उसके बाद 1935 में नृत्य गुरु उदय शंकर के नृत्य समूह से जुड़ गई और कई देशों की यात्रा की। आठ साल तक वह उनसे जुड़ी रहीं। वहीं ज़ोहरा की अपने पति कामेश्वर नाथ सहगल से मुलाकात हुईं। वे उनसे आठ साल छोटे थे। कामेश्वर [[इंदौर]] के युवा वैज्ञानिक, पेंटर और डांसर थे। शुरूआती विरोध के बाद यह शादी हो गई। वे ज़ोहरा के लिए धर्म परिवर्तन को तैयार थे लेकिन ज़ोहरा ने कहा इसकी कोई जरूरत नहीं। [[अगस्त]] [[1942]] में दोनों ने शादी कर ली। इस शादी में [[जवाहर लाल नेहरू]] शामिल हाने वाले थे लेकिन [[भारत छोड़ो आंदोलन]] के चलते उन्हें जेल जाना पड़ा। दोनों ने नृत्य समूह के साथ [[अल्मोड़ा]] में काम किया, जब यह बंद हो गया तब वे लाहौर चले गए और वहां अपना नृत्य समूह बनाया उनके दो बच्चे हुए। उन्हें भी आजादी थी अपनी मर्जी का धर्म चुनने की। इस बीच ज़ोहरा नास्तिक हो चली थीं और उनके पति यूं भी कोई धार्मिक नहीं थे। बेटी किरण सहगल औडिसी नृत्यांगना हैं और बेटे पवन विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़े हैं। उन्होंने [[प्रेमचंद|मुंशी प्रेमचंद]] की पोती सीमा राय से शादी की है।<ref name="डेली न्यूज़">{{cite web |url=http://www.dailynewsnetwork.in/news/25042012/Khushboo/61102.html |title=जिंदादिली के 100 साल |accessmonthday=8 फ़रवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=डेली न्यूज़ |language=हिंदी }}</ref>  
 
==कार्यक्षेत्र==
 
==कार्यक्षेत्र==
[[1959]] में अपने पति कामेश्वर के असमय निधन के बाद ज़ोहरा [[दिल्ली]] आ गई और नवस्थापित नाट्य अकादमी की निदेशक बन गई। 1962 में वे एक ड्रामा स्कॉलरशिप पर [[लंदन]] गई, जहां उनकी मुलाकात भारतीय मूल के भरतनाट्यम नर्तक रामगोपाल से हुई और उन्होंने चेलेसी स्थित उनके स्कूल में 1963 में उदयशंकर शैली के [[नृत्य]] सिखाना शुरू कर दिया। यहीं उन्हें [[1964]] में बीबीसी पर रूडयार्ड किपलिंग की कहानी में काम करने का मौका मिला। ब्रिटिश टेलीविजन पर यह उनकी पहली भूमिका थी। आगे चलकर पृथ्वी थिएटर से जुड़ीं, वहां चार सौ रूपए वेतन पर काम किया। [[रंगमंच]] से उनका जुड़ाव बना रहा और वह वामपंथी विचारधारा से प्रेरित रंगमंच ग्रुप [[इप्टा]] में शामिल हुईं। 1946 में ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में इप्टा के पहले फिल्म प्रोडक्शन धरती के लाल और फिर इप्टा के सहयोग से बनी [[चेतन आनंद]] की फिल्म 'नीचा नगर' में उन्होंने काम किया। नीचा नगर पहली ऐसी फिल्म थी जिसे अंतरराष्ट्रीय कांस फिल्म समारोह में गोल्डन पाम पुरस्कार मिला। फिल्मों में काम करने के साथ उन्होंने [[गुरु दत्त]] की 'बाज़ी' (1951) [[राज कपूर]] की आवारा समेत कुछ हिन्दी फिल्मों के लिए नृत्य संयोजन भी किया। कुछ फिल्मों का कला निर्देशन और फिर निर्देशन भी उन्होंने किया। कमाल का तर्कशक्ति हैं ज़ोहरा के पास। खुद पर हंसने का हुनर भी आता है उन्हें। उनका एक कोट बहुत मशहूर है- '''तुम क्या अब मुझे इस तरह देखते हो जब में बूढ़ी और बदसूरत हो गई हूं, तब देखते जब मैं जवान और बदसूरत थी।''' ज़ोहरा की एक बहन उजरा बंटवारे के बाद [[पाकिस्तान]] चली गई थीं। चालीस साल तक दोनों बहनों की मुलाकात नहीं हुई। उजरा भी ज़ोहरा की ही तरह नृत्य और अभिनय में पारंगत थीं। जब [[1980]] के दशक में वह दोनों मिलीं तो वो लम्हा यादगार बन गया। इस लम्हे को नाटक को पिरोया गया।<ref name="डेली न्यूज़"/>
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[[1959]] में अपने पति कामेश्वर के असमय निधन के बाद ज़ोहरा [[दिल्ली]] आ गई और नवस्थापित नाट्य अकादमी की निदेशक बन गई। 1962 में वे एक ड्रामा स्कॉलरशिप पर [[लंदन]] गई, जहां उनकी मुलाकात भारतीय मूल के भरतनाट्यम नर्तक रामगोपाल से हुई और उन्होंने चेलेसी स्थित उनके स्कूल में 1963 में उदयशंकर शैली के [[नृत्य]] सिखाना शुरू कर दिया। यहीं उन्हें [[1964]] में बीबीसी पर रूडयार्ड किपलिंग की कहानी में काम करने का मौका मिला। ब्रिटिश टेलीविजन पर यह उनकी पहली भूमिका थी। आगे चलकर पृथ्वी थिएटर से जुड़ीं, वहां चार सौ रूपए वेतन पर काम किया। [[रंगमंच]] से उनका जुड़ाव बना रहा और वह वामपंथी विचारधारा से प्रेरित रंगमंच ग्रुप [[इप्टा]] में शामिल हुईं। 1946 में ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में इप्टा के पहले फ़िल्म प्रोडक्शन धरती के लाल और फिर इप्टा के सहयोग से बनी [[चेतन आनंद]] की फ़िल्म 'नीचा नगर' में उन्होंने काम किया। नीचा नगर पहली ऐसी फ़िल्म थी जिसे अंतरराष्ट्रीय कांस फ़िल्म समारोह में गोल्डन पाम पुरस्कार मिला। फ़िल्मों में काम करने के साथ उन्होंने [[गुरु दत्त]] की 'बाज़ी' (1951) [[राज कपूर]] की आवारा समेत कुछ हिन्दी फ़िल्मों के लिए नृत्य संयोजन भी किया। कुछ फ़िल्मों का कला निर्देशन और फिर निर्देशन भी उन्होंने किया। कमाल का तर्कशक्ति हैं ज़ोहरा के पास। खुद पर हंसने का हुनर भी आता है उन्हें। उनका एक कोट बहुत मशहूर है- '''तुम क्या अब मुझे इस तरह देखते हो जब में बूढ़ी और बदसूरत हो गई हूं, तब देखते जब मैं जवान और बदसूरत थी।''' ज़ोहरा की एक बहन उजरा बंटवारे के बाद [[पाकिस्तान]] चली गई थीं। चालीस साल तक दोनों बहनों की मुलाकात नहीं हुई। उजरा भी ज़ोहरा की ही तरह नृत्य और अभिनय में पारंगत थीं। जब [[1980]] के दशक में वह दोनों मिलीं तो वो लम्हा यादगार बन गया। इस लम्हे को नाटक को पिरोया गया।<ref name="डेली न्यूज़"/>
 
==फ़िल्मी सफ़र==
 
==फ़िल्मी सफ़र==
 
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* वर्ष [[1945]] में पृथ्वी थियेटर में 400 रुपये मासिक वेतन पर काम शुरू किया। इसी दौरान [[इप्टा]] समूह में शामिल हुईं।
 
* वर्ष [[1945]] में पृथ्वी थियेटर में 400 रुपये मासिक वेतन पर काम शुरू किया। इसी दौरान [[इप्टा]] समूह में शामिल हुईं।
* वर्ष [[1946]] में ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में 'धरती के लाल' और [[चेतन आनंद]] की फिल्म नीचा सागर में काम किया। 'धरती के लाल' भारत की पहली फिल्म थी, जिसे कान फिल्म समारोह में गोल्डन पाम पुरस्कार मिला।
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* वर्ष [[1946]] में ख्वाजा अहमद अब्बास के निर्देशन में 'धरती के लाल' और [[चेतन आनंद]] की फ़िल्म नीचा सागर में काम किया। 'धरती के लाल' भारत की पहली फ़िल्म थी, जिसे कान फ़िल्म समारोह में गोल्डन पाम पुरस्कार मिला।
 
* [[मुंबई]] में ज़ोहरा ने इब्राहीम अल्काजी के प्रसिद्ध नाटक दिन के अंधेरे में बेगम कुदसिया की भूमिका निभाई।
 
* [[मुंबई]] में ज़ोहरा ने इब्राहीम अल्काजी के प्रसिद्ध नाटक दिन के अंधेरे में बेगम कुदसिया की भूमिका निभाई।
* [[गुरुदत्त]] की वर्ष [[1951]] में आई फिल्म बाज़ी तथा [[राजकपूर]] की फिल्म 'आवारा' के प्रसिद्ध स्वप्न गीत की कोरियोग्राफी भी की।
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* [[गुरुदत्त]] की वर्ष [[1951]] में आई फ़िल्म बाज़ी तथा [[राजकपूर]] की फ़िल्म 'आवारा' के प्रसिद्ध स्वप्न गीत की कोरियोग्राफी भी की।
 
*  उन्होंने [[1960]] के दशक के मध्य में रूडयार्ड किपलिंग की 'द रेस्कयू ऑफ प्लूफ्लेस' में काम किया।
 
*  उन्होंने [[1960]] के दशक के मध्य में रूडयार्ड किपलिंग की 'द रेस्कयू ऑफ प्लूफ्लेस' में काम किया।
 
* [[1964]] में बीबीसी पर रुडयार्ड किपलिंग की कहानी में काम करने के साथ ही 1976-77 में बीबीसी की टेलीविजन शृंखला पड़ोसी नेबर्स की 26 कडि़यों में प्रस्तोता की भूमिका निभाई।
 
* [[1964]] में बीबीसी पर रुडयार्ड किपलिंग की कहानी में काम करने के साथ ही 1976-77 में बीबीसी की टेलीविजन शृंखला पड़ोसी नेबर्स की 26 कडि़यों में प्रस्तोता की भूमिका निभाई।
* उल्लेखनीय फिल्मों में भाजी ऑन द बीच, दिल से, ख्वाहिश, हम दिल दे चुके सनम, बेण्ड इट लाइक बेकहम, साया, वीर-जारा, चिकन टिक्का मसाला, मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेज, चीनी कम, साँवरिया शामिल हैं।  
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* उल्लेखनीय फ़िल्मों में भाजी ऑन द बीच, दिल से, ख्वाहिश, हम दिल दे चुके सनम, बेण्ड इट लाइक बेकहम, साया, वीर-जारा, चिकन टिक्का मसाला, मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेज, चीनी कम, साँवरिया शामिल हैं।  
 
* ज़ोहरा [[1998]] में [[पद्मश्री]], [[2002]] में [[पद्मभूषण]] और [[2010]] में [[पद्म विभूषण]] के अतिरिक्त्त [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार|संगीत नाटक अकादमी सम्मान]] और [[राष्ट्रीय कालिदास सम्मान]] से भी नवाजा जा चुका है।
 
* ज़ोहरा [[1998]] में [[पद्मश्री]], [[2002]] में [[पद्मभूषण]] और [[2010]] में [[पद्म विभूषण]] के अतिरिक्त्त [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार|संगीत नाटक अकादमी सम्मान]] और [[राष्ट्रीय कालिदास सम्मान]] से भी नवाजा जा चुका है।
 
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==अभिनय क्षमता==
 
==अभिनय क्षमता==
ज़ोहरा जी अपनी उपस्थिति में, संवाद अदायगी और अभिव्यक्ति में जितनी खूबियों के साथ हमारे सामने होती हैं, अद्भुत और असाधारण होती हैं। 'चीनी कम' में इन्होंने [[अमिताभ बच्चन]] की माँ की भूमिका निभायी है। इस फिल्म में वे एक श्रेष्ठ और प्रभावी सितारे की उपस्थिति से भी निष्प्रभावी नजर आती हैं। अमिताभ बच्चन के साथ उनके दृश्य कमाल के हैं, जो दिलचस्प भी लगते हैं और मनोरंजक भी। ज़ोहरा सहगल लगभग चालीस के दशक से लगातार काम कर रही हैं। वे पश्चिम में प्रख्यात बैले कलाकार उदयशंकर के बैले ग्रुप की एक प्रस्तुति से प्रभावित होकर पहले नृत्य के क्षेत्र में आयीं फिर कोरियोग्राफर के रूप में सक्रिय हुईं। उन्होंने उदयशंकर के ग्रुप में लम्बे समय काम किया और अल्मोड़ा में उनकी संस्था की लम्बे समय संचालक रहीं। ज़ोहरा सहगल के पति कामेश्वर सहगल, एक वैज्ञानिक होने के साथ-साथ [[चित्रकार]] और नृत्यकार भी थे। यायावरी रंगकर्म के अकेले उदाहरण स्वर्गीय [[पृथ्वीराज कपूर]] के साथ जुड़कर उन्होंने उनके साथ कई नाटकों में काम किया। बीच में दशकों के अन्तराल के बाद ज़ोहरा सहगल अंग्रेजी धारावाहिकों और फिल्मों, खासकर एनआरआई फिल्मों से एक बार फिर सक्रिय हुईं। ग़ज़ब यह है कि यह सक्रियता उन्होंने अस्सी साल की उम्र के बाद दिखायी।<ref>{{cite web |url=http://mishrsunil.blogspot.in/2011/06/blog-post_18.html |title=सौवें बसन्त में एक नायाब कलाकार ज़ोहरा सहगल |accessmonthday=8 फ़रवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=सुनील मिश्र |language=हिंदी }}</ref>
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ज़ोहरा जी अपनी उपस्थिति में, संवाद अदायगी और अभिव्यक्ति में जितनी खूबियों के साथ हमारे सामने होती हैं, अद्भुत और असाधारण होती हैं। 'चीनी कम' में इन्होंने [[अमिताभ बच्चन]] की माँ की भूमिका निभायी है। इस फ़िल्म में वे एक श्रेष्ठ और प्रभावी सितारे की उपस्थिति से भी निष्प्रभावी नजर आती हैं। अमिताभ बच्चन के साथ उनके दृश्य कमाल के हैं, जो दिलचस्प भी लगते हैं और मनोरंजक भी। ज़ोहरा सहगल लगभग चालीस के दशक से लगातार काम कर रही हैं। वे पश्चिम में प्रख्यात बैले कलाकार उदयशंकर के बैले ग्रुप की एक प्रस्तुति से प्रभावित होकर पहले नृत्य के क्षेत्र में आयीं फिर कोरियोग्राफर के रूप में सक्रिय हुईं। उन्होंने उदयशंकर के ग्रुप में लम्बे समय काम किया और अल्मोड़ा में उनकी संस्था की लम्बे समय संचालक रहीं। ज़ोहरा सहगल के पति कामेश्वर सहगल, एक वैज्ञानिक होने के साथ-साथ [[चित्रकार]] और नृत्यकार भी थे। यायावरी रंगकर्म के अकेले उदाहरण स्वर्गीय [[पृथ्वीराज कपूर]] के साथ जुड़कर उन्होंने उनके साथ कई नाटकों में काम किया। बीच में दशकों के अन्तराल के बाद ज़ोहरा सहगल अंग्रेजी धारावाहिकों और फ़िल्मों, खासकर एनआरआई फ़िल्मों से एक बार फिर सक्रिय हुईं। ग़ज़ब यह है कि यह सक्रियता उन्होंने अस्सी साल की उम्र के बाद दिखायी।<ref>{{cite web |url=http://mishrsunil.blogspot.in/2011/06/blog-post_18.html |title=सौवें बसन्त में एक नायाब कलाकार ज़ोहरा सहगल |accessmonthday=8 फ़रवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=सुनील मिश्र |language=हिंदी }}</ref>
 
==प्रमुख फ़िल्में==
 
==प्रमुख फ़िल्में==
'तन्दूरी नाइट्स' को उनका श्रेष्ठ टीवी धारावाहिक माना जाता है और उल्लेखनीय फिल्मों में भाजी ऑन द बीच, दिल से, ख्वाहिश, हम दिल दे चुके सनम, बेण्ड इट लाइक बेकहम, साया, वीर-जारा, चिकन टिक्का मसाला, मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेज, चीनी कम, साँवरिया शामिल हैं। इसके अलावा वह पहली ऐसी भारतीय हैं, जिसने सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय मंच का अनुभव किया। उन्होंने 1960 के दशक के मध्य में रूडयार्ड किपलिंग की 'द रेस्कयू ऑफ प्लूफ्लेस' में काम किया।
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'तन्दूरी नाइट्स' को उनका श्रेष्ठ टीवी धारावाहिक माना जाता है और उल्लेखनीय फ़िल्मों में भाजी ऑन द बीच, दिल से, ख्वाहिश, हम दिल दे चुके सनम, बेण्ड इट लाइक बेकहम, साया, वीर-जारा, चिकन टिक्का मसाला, मिस्ट्रेस ऑफ स्पाइसेज, चीनी कम, साँवरिया शामिल हैं। इसके अलावा वह पहली ऐसी भारतीय हैं, जिसने सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय मंच का अनुभव किया। उन्होंने 1960 के दशक के मध्य में रूडयार्ड किपलिंग की 'द रेस्कयू ऑफ प्लूफ्लेस' में काम किया।
 
==सम्मान और पुरस्कार==
 
==सम्मान और पुरस्कार==
 
* [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार|संगीत नाटक अकादमी सम्मान]]
 
* [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार|संगीत नाटक अकादमी सम्मान]]
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* [[पद्म विभूषण]]  
 
* [[पद्म विभूषण]]  
 
==सदी की लाडली==
 
==सदी की लाडली==
[[भारतीय सिनेमा]] की शुरुआत से एक वर्ष पूर्व पैदा हुई [[सिनेमा]] की जानी-मानी कलाकार ज़ोहरा सहगल [[27 अप्रैल]] [[2012]] को 100 बरस की हो गईं। मजे की बात यह है कि [[भारतीय सिनेमा]] की लाडली कहलाने वाली ज़ोहरा के जीवन की यादें भी उतनी ही रंगीन हैं, जितना की भारतीय सिनेमा। फिल्म उद्योग के अनुभवी लोगों का भी यही कहना है कि ज़ोहरा का जीवन, ज्ञान और आकर्षण के प्रति उत्साह लगातार नई पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा, इसका कोई मुकाबला नहीं है। फिल्म निदेशक आर. बाल्की के अनुसार,  मैं अभी तक जितनी भी महिलाओं से मिला हूं उनमें से वह बहुत असाधारण महिला हैं और अब तक मुझे मिली सबसे बढ़िया अभिनेत्रियों में से वह एक हैं। ज़ोहरा ने बाल्की की [[2007]] में आई फिल्म 'चीनी कम' में [[अमिताभ बच्चन]] की 'बिंदास' मां का किरदार निभाया था। वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनपीएफ)-लाडली मीडिया अवार्डस ने उन्हें 'सदी की लाडली' के रूप में नामित किया था।<ref>{{cite web |url=http://zeenews.india.com/hindi/news/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%A8/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%88%E0%A4%82-%E0%A4%B8%E0%A5%8C-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%80/124137 |title=सिनेमा की 'लाडली' ज़ोहरा हुईं सौ साल की |accessmonthday=8 फ़रवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=ज़ी न्यूज |language=हिंदी }}</ref>
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[[भारतीय सिनेमा]] की शुरुआत से एक वर्ष पूर्व पैदा हुई [[सिनेमा]] की जानी-मानी कलाकार ज़ोहरा सहगल [[27 अप्रैल]] [[2012]] को 100 बरस की हो गईं। मजे की बात यह है कि [[भारतीय सिनेमा]] की लाडली कहलाने वाली ज़ोहरा के जीवन की यादें भी उतनी ही रंगीन हैं, जितना की भारतीय सिनेमा। फ़िल्म उद्योग के अनुभवी लोगों का भी यही कहना है कि ज़ोहरा का जीवन, ज्ञान और आकर्षण के प्रति उत्साह लगातार नई पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा, इसका कोई मुकाबला नहीं है। फ़िल्म निदेशक आर. बाल्की के अनुसार,  मैं अभी तक जितनी भी महिलाओं से मिला हूं उनमें से वह बहुत असाधारण महिला हैं और अब तक मुझे मिली सबसे बढ़िया अभिनेत्रियों में से वह एक हैं। ज़ोहरा ने बाल्की की [[2007]] में आई फ़िल्म 'चीनी कम' में [[अमिताभ बच्चन]] की 'बिंदास' मां का किरदार निभाया था। वर्ष 2008 में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनपीएफ)-लाडली मीडिया अवार्डस ने उन्हें 'सदी की लाडली' के रूप में नामित किया था।<ref>{{cite web |url=http://zeenews.india.com/hindi/news/%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A4%A8/%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%A1%E0%A4%B2%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%81%E0%A4%88%E0%A4%82-%E0%A4%B8%E0%A5%8C-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B2-%E0%A4%95%E0%A5%80/124137 |title=सिनेमा की 'लाडली' ज़ोहरा हुईं सौ साल की |accessmonthday=8 फ़रवरी |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=ज़ी न्यूज |language=हिंदी }}</ref>
  
  

Revision as of 07:20, 22 July 2013

zohara sahagal
poora nam sahibajadi zohara begam mumatajulla khan
prasiddh nam zohara sahagal
janm 27 aprail 1912

(ayu- 112 varsh)

janm bhoomi ramapur, uttar pradesh
pati/patni kameshvar nath sahagal
karm bhoomi mumbee
karm-kshetr abhinetri, nrityaangana
mukhy filmean bhaji aaun d bich, dil se, khvahish, ham dil de chuke sanam, bend it laik bekaham, saya, vir-jara adi
puraskar-upadhi padmashri, padmabhooshan, padm vibhooshan, sangit natak akadami samman, rashtriy kalidas samman
nagarikata bharatiy
any janakari zohara sahagal ne prithviraj kapoor ke prithvi thiyetar mean qarib 14 sal tak kam kiya.

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zohara sahagal (aangrezi: Zohra Sehgal) prasiddh abhinetri evan rangamanch kalakar haian. inaka mool nam 'sahibajadi zohara begam mumatajulla khan' hai. thiyetar ko apana pahala pyar manane vali zohara ne prithviraj kapoor ke prithvi thiyetar mean qarib 14 sal tak kam kiya. is dauran unhoanne kee filmoan mean bhi kam kiya. jinamean ham dil de chuke sanam, beand it laik bekaham aur chini kam jaisi filmean shamil haian. zohara ko 1998 mean padmashri, 2002 mean padmabhooshan aur 2010 mean padm vibhooshan se navaja ja chuka hai.

jivan parichay

unaka janm 27 aprail 1912 ko uttar pradesh mean ramapur ke rohilla pathan parivar mean hua. ve mumatajulla khan aur natik begam ki sat mean se tisari santan haian. paranparik sunni muslim parivar mean pali-badhi zohara bachapan se hi vidrohi svabhav ki thian. khelana-koodana aur dhoom machana unhean pasand tha. bachapan mean hi apane chacha ke sath bharat eshiya aur yoorop ki sair kar se ki. lautane par unhean lahaur ke kvin mairi k aaulej mean dakhil kara diya gaya. usake bad 1935 mean nrity guru uday shankar ke nrity samooh se ju d gee aur kee deshoan ki yatra ki. ath sal tak vah unase ju di rahian. vahian zohara ki apane pati kameshvar nath sahagal se mulakat hueean. ve unase ath sal chhote the. kameshvar iandaur ke yuva vaijnanik, peantar aur daansar the. shurooati virodh ke bad yah shadi ho gee. ve zohara ke lie dharm parivartan ko taiyar the lekin zohara ne kaha isaki koee jaroorat nahian. agast 1942 mean donoan ne shadi kar li. is shadi mean javahar lal neharoo shamil hane vale the lekin bharat chho do aandolan ke chalate unhean jel jana p da. donoan ne nrity samooh ke sath almo da mean kam kiya, jab yah band ho gaya tab ve lahaur chale ge aur vahaan apana nrity samooh banaya unake do bachche hue. unhean bhi ajadi thi apani marji ka dharm chunane ki. is bich zohara nastik ho chali thian aur unake pati yooan bhi koee dharmik nahian the. beti kiran sahagal audisi nrityaangana haian aur bete pavan vishv svasthy sangathan se ju de haian. unhoanne muanshi premachand ki poti sima ray se shadi ki hai.[1]

karyakshetr

1959 mean apane pati kameshvar ke asamay nidhan ke bad zohara dilli a gee aur navasthapit naty akadami ki nideshak ban gee. 1962 mean ve ek drama sk aaularaship par landan gee, jahaan unaki mulakat bharatiy mool ke bharatanatyam nartak ramagopal se huee aur unhoanne chelesi sthit unake skool mean 1963 mean udayashankar shaili ke nrity sikhana shuroo kar diya. yahian unhean 1964 mean bibisi par roodayard kipaliang ki kahani mean kam karane ka mauka mila. british telivijan par yah unaki pahali bhoomika thi. age chalakar prithvi thietar se ju dian, vahaan char sau roope vetan par kam kiya. rangamanch se unaka ju dav bana raha aur vah vamapanthi vicharadhara se prerit rangamanch grup ipta mean shamil hueean. 1946 mean khvaja ahamad abbas ke nirdeshan mean ipta ke pahale film prodakshan dharati ke lal aur phir ipta ke sahayog se bani chetan anand ki film 'nicha nagar' mean unhoanne kam kiya. nicha nagar pahali aisi film thi jise aantararashtriy kaans film samaroh mean goldan pam puraskar mila. filmoan mean kam karane ke sath unhoanne guru datt ki 'bazi' (1951) raj kapoor ki avara samet kuchh hindi filmoan ke lie nrity sanyojan bhi kiya. kuchh filmoan ka kala nirdeshan aur phir nirdeshan bhi unhoanne kiya. kamal ka tarkashakti haian zohara ke pas. khud par hansane ka hunar bhi ata hai unhean. unaka ek kot bahut mashahoor hai- tum kya ab mujhe is tarah dekhate ho jab mean boodhi aur badasoorat ho gee hooan, tab dekhate jab maian javan aur badasoorat thi. zohara ki ek bahan ujara bantavare ke bad pakistan chali gee thian. chalis sal tak donoan bahanoan ki mulakat nahian huee. ujara bhi zohara ki hi tarah nrity aur abhinay mean parangat thian. jab 1980 ke dashak mean vah donoan milian to vo lamha yadagar ban gaya. is lamhe ko natak ko piroya gaya.[1]

filmi safar

  • varsh 1945 mean prithvi thiyetar mean 400 rupaye masik vetan par kam shuroo kiya. isi dauran ipta samooh mean shamil hueean.
  • varsh 1946 mean khvaja ahamad abbas ke nirdeshan mean 'dharati ke lal' aur chetan anand ki film nicha sagar mean kam kiya. 'dharati ke lal' bharat ki pahali film thi, jise kan film samaroh mean goldan pam puraskar mila.
  • muanbee mean zohara ne ibrahim alkaji ke prasiddh natak din ke aandhere mean begam kudasiya ki bhoomika nibhaee.
  • gurudatt ki varsh 1951 mean aee film bazi tatha rajakapoor ki film 'avara' ke prasiddh svapn git ki koriyographi bhi ki.
  • unhoanne 1960 ke dashak ke madhy mean roodayard kipaliang ki 'd reskayoo aauph ploophles' mean kam kiya.
  • 1964 mean bibisi par rudayard kipaliang ki kahani mean kam karane ke sath hi 1976-77 mean bibisi ki telivijan shriankhala p dosi nebars ki 26 kadi़yoan mean prastota ki bhoomika nibhaee.
  • ullekhaniy filmoan mean bhaji aaun d bich, dil se, khvahish, ham dil de chuke sanam, bend it laik bekaham, saya, vir-jara, chikan tikka masala, mistres aauph spaisej, chini kam, saanvariya shamil haian.
  • zohara 1998 mean padmashri, 2002 mean padmabhooshan aur 2010 mean padm vibhooshan ke atiriktt sangit natak akadami samman aur rashtriy kalidas samman se bhi navaja ja chuka hai.

abhinay kshamata

zohara ji apani upasthiti mean, sanvad adayagi aur abhivyakti mean jitani khoobiyoan ke sath hamare samane hoti haian, adbhut aur asadharan hoti haian. 'chini kam' mean inhoanne amitabh bachchan ki maan ki bhoomika nibhayi hai. is film mean ve ek shreshth aur prabhavi sitare ki upasthiti se bhi nishprabhavi najar ati haian. amitabh bachchan ke sath unake drishy kamal ke haian, jo dilachasp bhi lagate haian aur manoranjak bhi. zohara sahagal lagabhag chalis ke dashak se lagatar kam kar rahi haian. ve pashchim mean prakhyat baile kalakar udayashankar ke baile grup ki ek prastuti se prabhavit hokar pahale nrity ke kshetr mean ayian phir koriyographar ke roop mean sakriy hueean. unhoanne udayashankar ke grup mean lambe samay kam kiya aur almo da mean unaki sanstha ki lambe samay sanchalak rahian. zohara sahagal ke pati kameshvar sahagal, ek vaijnanik hone ke sath-sath chitrakar aur nrityakar bhi the. yayavari rangakarm ke akele udaharan svargiy prithviraj kapoor ke sath ju dakar unhoanne unake sath kee natakoan mean kam kiya. bich mean dashakoan ke antaral ke bad zohara sahagal aangreji dharavahikoan aur filmoan, khasakar enaraee filmoan se ek bar phir sakriy hueean. gazab yah hai ki yah sakriyata unhoanne assi sal ki umr ke bad dikhayi.[2]

pramukh filmean

'tandoori naits' ko unaka shreshth tivi dharavahik mana jata hai aur ullekhaniy filmoan mean bhaji aaun d bich, dil se, khvahish, ham dil de chuke sanam, bend it laik bekaham, saya, vir-jara, chikan tikka masala, mistres aauph spaisej, chini kam, saanvariya shamil haian. isake alava vah pahali aisi bharatiy haian, jisane sabase pahale aantarrashtriy manch ka anubhav kiya. unhoanne 1960 ke dashak ke madhy mean roodayard kipaliang ki 'd reskayoo aauph ploophles' mean kam kiya.

samman aur puraskar

sadi ki ladali

bharatiy sinema ki shuruat se ek varsh poorv paida huee sinema ki jani-mani kalakar zohara sahagal 27 aprail 2012 ko 100 baras ki ho geean. maje ki bat yah hai ki bharatiy sinema ki ladali kahalane vali zohara ke jivan ki yadean bhi utani hi rangin haian, jitana ki bharatiy sinema. film udyog ke anubhavi logoan ka bhi yahi kahana hai ki zohara ka jivan, jnan aur akarshan ke prati utsah lagatar nee pidhiyoan ko prerit karata rahega, isaka koee mukabala nahian hai. film nideshak ar. balki ke anusar, maian abhi tak jitani bhi mahilaoan se mila hooan unamean se vah bahut asadharan mahila haian aur ab tak mujhe mili sabase badhiya abhinetriyoan mean se vah ek haian. zohara ne balki ki 2007 mean aee film 'chini kam' mean amitabh bachchan ki 'biandas' maan ka kiradar nibhaya tha. varsh 2008 mean sanyukt rashtr janasankhya kosh (yooenapieph)-ladali midiya avardas ne unhean 'sadi ki ladali' ke roop mean namit kiya tha.[3]


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

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tika tippani aur sandarbh

  1. 1.0 1.1 jiandadili ke 100 sal (hiandi) (ech.ti.em.el) deli nyooz. abhigaman tithi: 8 faravari, 2013.
  2. sauvean basant mean ek nayab kalakar zohara sahagal (hiandi) (ech.ti.em.el) sunil mishr. abhigaman tithi: 8 faravari, 2013.
  3. sinema ki 'ladali' zohara hueean sau sal ki (hiandi) (ech.ti.em.el) zi nyooj. abhigaman tithi: 8 faravari, 2013.

bahari k diyaan

sanbandhit lekh

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