पंचकोसी: Difference between revisions
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*पाँच कोस (लगभग 5 मील) की लम्बाई-चौड़ाई के अन्तर्गत यह परिक्रमा सम्पन्न होती है। | *पाँच कोस (लगभग 5 मील) की लम्बाई-चौड़ाई के अन्तर्गत यह परिक्रमा सम्पन्न होती है। | ||
*प्राचीन काल में काशी भूतनाथ शिव की नगरी थी, जो [[वेद]] विद्या, ज्योतिष, [[तंत्र]] आदि के लिए [[जंबूद्वीप]] में विख्यात थी।<ref>प्रा.भा.सं.को., पृष्ठ 212</ref> | *प्राचीन काल में काशी भूतनाथ शिव की नगरी थी, जो [[वेद]] विद्या, ज्योतिष, [[तंत्र]] आदि के लिए [[जंबूद्वीप]] में विख्यात थी।<ref>प्रा.भा.सं.को., पृष्ठ 212</ref> | ||
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पंचकोसी पवित्र नगरी काशी की पुण्य भूमि की परिक्रमा को कहा जाता है। काशी का विस्तार गंगा नदी के दो संगमों वरुणा और असी नदी के संगम के बीच बताया जाता है। इन संगमों के बीच की दूरी लगभग 2.5 मील है। शिव की नगरी काशी मूलत: पांच कोस के अंदर ही अवस्थित थी।
- हिन्दू धर्म के मानने वालों में इस परिक्रमा का बहुत ही महत्त्व है।
- वरुणा और असी नदी के संगमों के बीच की दूरी की परिक्रमा हिन्दुओं में पंचकोसी यात्रा या पंचकोसी परिक्रमा कहलाती है।
- पाँच कोस (लगभग 5 मील) की लम्बाई-चौड़ाई के अन्तर्गत यह परिक्रमा सम्पन्न होती है।
- प्राचीन काल में काशी भूतनाथ शिव की नगरी थी, जो वेद विद्या, ज्योतिष, तंत्र आदि के लिए जंबूद्वीप में विख्यात थी।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय संस्कृति कोश, भाग-2 |प्रकाशक: यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन, नई दिल्ली-110002 |संपादन: प्रोफ़ेसर देवेन्द्र मिश्र |पृष्ठ संख्या: 458 |
- ↑ प्रा.भा.सं.को., पृष्ठ 212
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