मार्गशीर्ष कृत्य
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- तमिल देश में पूरे मास भर पवित्र माना जाता है और भजन मण्डलियाँ प्रातःकाल घूमती रहती हैं।[1]; [2]; [3]; [4]
- गीता[5] के अनुसार मासों में मार्गशीर्ष सर्वोत्तम है और वह भगवान कृष्ण के समान माना गया है।
- कृत युग (सतयुग) में देवों ने वर्ष का आरम्भ मार्गशीर्ष की प्रथम तिथि से किया था।
- ऋषि कश्यप ने कश्मीर नामक सुन्दर देश की रचना की थी।
- अतः इस पर उत्सव किया जाना चाहि।
- प्रत्येक द्वादशी पर विष्णु के 'केशव' से लेकर 'दामोदर' के बारह नामों में एक का नाम लेना चाहिए और पूजा करनी चाहिए।
- कर्ता जातिश्मर (जो कि पूर्व जन्मों के कृत्यों को स्मरण कर लेता है) हो जाता है और वहाँ पर पहुँच जाता है, जहाँ पर से लौटना नहीं होता है।[6]; [7]
- मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर विशेषतः चन्द्र की पूजा की जानी चाहिए, क्योंकि उसी समय चन्द्र पर अमृत छिड़का गया था।
- गाय को नमक देना चाहिए।
- माँ, बहन, पुत्री तथा अन्य नारी सम्बन्धियों को नवीन वस्त्रों का जोड़ा देना चाहिए।
- नृत्य गान का उत्सव होना चाहिए, जो लोग मदिरा का सेवन करते हैं, उन्हें उस दिन ताजी मदिरा ग्रहण करनी चाहिए।[8]; [9]
- मार्गशीर्ष; पूर्णिमा पर दत्तात्रेय जयन्ती की जाती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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