बिहारीमल: Difference between revisions
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'''बिहारीमल''' अथवा '''भारमल''' [[आमेर]] का राजा था, जो राजनीति में यथार्थवाद का अनुगामी था। वह [[राजपूताना]] के उन [[राजपूत]] शासकों में अग्रणी था, जिन्होंने [[मुग़ल|मुग़लों]] का विरोध करने की नीति की निरर्थकता समझ ली थी। उसने [[बाबर]] की और उसके उपरान्त [[हुमायूँ]] की अधीनता स्वीकार कर ली। 1555 ई. में उसकी भेंट [[अकबर]] से हुई, जिसने उसका समुचित सत्कार किया। | |||
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बिहारीमल अथवा भारमल आमेर का राजा था, जो राजनीति में यथार्थवाद का अनुगामी था। वह राजपूताना के उन राजपूत शासकों में अग्रणी था, जिन्होंने मुग़लों का विरोध करने की नीति की निरर्थकता समझ ली थी। उसने बाबर की और उसके उपरान्त हुमायूँ की अधीनता स्वीकार कर ली। 1555 ई. में उसकी भेंट अकबर से हुई, जिसने उसका समुचित सत्कार किया।
- 1561 ई. में अजमेर के ज़ागीरदार ने बिहारीमल पर आक्रमण करके उसके कुछ इलाक़ों को दबा लिया और इसके पुत्र को बंधक के रूप में अपने पास रख लिया।
- बिहारीमल ने अपने राज्य को बचाने के लिए अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली और अपनी पुत्री मरियम उज़-ज़मानी (हीराकुँवारी अथवा हरखाबाई) का विवाह उसके साथ करके मैत्री सम्बन्ध को और भी मज़बूत बना लिया। यह सम्बन्ध सुखद सिद्ध हुआ और यही राजकुमारी अकबर के ज्येष्ठ पुत्र जहाँगीर की माँ बनी।
- राजा बिहारीमल ने अपने पुत्र भगवानदास तथा दत्तक पौत्र मानसिंह के साथ बादशाह अकबर की नौकरी कर ली और इन सबको ऊँचे मनसब दिये गए।
- इस प्रकार बिहारीमल ने अपनी नीति से आमेर (जयपुर) को मुग़लों की लूटपाट तथा बरबादी से बचाकर जयपुर रियासत को राजपूताने की सबसे धनी और कला-कौशल पूर्ण रियासत बना दिया।
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