रज़्मनामा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (गोविन्द राम ने रज्मनामा पृष्ठ रज़्मनामा पर स्थानांतरित किया)
 
(3 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
'''रज्मनामा''' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के प्रसिद्ध [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] का [[फ़ारसी भाषा]] में किया गया अनुवाद है। महाभारत का फ़ारसी अनुवाद [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] के आदेश से [[बदायूँनी]], नकीब ख़ाँ और अब्दुल कादिर ने 'रज्मनामा' नाम से किया था। रज्मनामा' [[पाण्डुलिपि]] को [[मुग़ल चित्रकला]] के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।  
'''रज्मनामा''' [[हिन्दू|हिन्दुओं]] के प्रसिद्ध [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] का [[फ़ारसी भाषा]] में किया गया अनुवाद है। महाभारत का फ़ारसी अनुवाद [[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] के आदेश से [[बदायूँनी]], नकीब ख़ाँ और अब्दुल कादिर ने 'रज्मनामा' नाम से किया था। रज्मनामा' [[पाण्डुलिपि]] को [[मुग़ल चित्रकला]] के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।
{{tocright}}
==प्रसंग चित्र==
==प्रसंग चित्र==
बादशाह अकबर ने रज्मनामा के प्रसंगों पर चित्र बनाने के लिए खास तौर पर अपने दरबार के दो विख्यात चित्रकारों 'दशवंत' और 'वशावंत' को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। इसकी कई प्रतियाँ भी बनीं। मुख्य प्रति अकबर ने अपने लिए बनवायी थी, जो [[जयपुर]] के संग्रहालय में रखी गई है। रज्मनामा के चित्रों के बारे में सबसे पहले प्रसिद्ध [[अंग्रेज़]] कलाविद डॉ. रॉबर्ट स्कैल्टन ने शोध करके यह निष्कर्ष निकाला कि इस [[ग्रंथ]] में 29 चित्र और लगभग 200 लिखित पृष्ठ होने चाहिए। यह चित्र 1585 में बनवाए गए थे। डॉ. स्कैल्टन का कहना था कि इन चित्रों पर हालांकि फ़ारसी प्रभाव है, लेकिन यह [[मुग़ल काल]] की उस सामाजिक विशेषता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं, जो भारतीय तत्वों से भरपूर रही है।
बादशाह अकबर ने रज्मनामा के प्रसंगों पर चित्र बनाने के लिए ख़ास तौर पर अपने दरबार के दो विख्यात चित्रकारों 'दशवंत' और 'वशावंत' को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। इसकी कई प्रतियाँ भी बनीं। मुख्य प्रति अकबर ने अपने लिए बनवायी थी, जो [[जयपुर]] के संग्रहालय में रखी गई है। रज्मनामा के चित्रों के बारे में सबसे पहले प्रसिद्ध [[अंग्रेज़]] कलाविद डॉ. रॉबर्ट स्कैल्टन ने शोध करके यह निष्कर्ष निकाला कि इस [[ग्रंथ]] में 29 चित्र और लगभग 200 लिखित पृष्ठ होने चाहिए। यह चित्र 1585 में बनवाए गए थे। डॉ. स्कैल्टन का कहना था कि इन चित्रों पर हालांकि फ़ारसी प्रभाव है, लेकिन यह [[मुग़ल काल]] की उस सामाजिक विशेषता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं, जो भारतीय तत्वों से भरपूर रही है।
====मुख्य विषय====
====मुख्य विषय====
रज्मनामा के चित्रों में भगवान [[श्रीकृष्ण]] एवं [[बलराम]] का [[जरासंध]] के साथ युद्ध, राजाओं की सभा में कृष्ण का सिंहासनारोहण, राज्यसभा में [[भीष्म]] द्वारा कृष्ण की अगवानी, [[पारिजात]] हरण, निकुम्भ वध, कृष्ण और [[बाणासुर]] का युद्ध, [[द्रौपदी]] का स्वयंवर, [[खाण्डव वन]] दहन, [[शिशुपाल वध]], [[शाल्व]] वध, कृष्ण का [[हस्तिनापुर]] आगमन, कृष्ण यादवी युद्ध, बलराम का देह त्याग, कृष्ण का देवलोक गमन आदि प्रसंग मुख्य हैं। चित्रों की इसी श्रृंखला में बनाया गया [[मुग़ल काल]] का एक शानदार चित्र [[लंदन]] के ब्रिटिश संग्रहालय में है, जिसमें कृष्ण को अपने घोडे़ को पानी पिलाते हुए दिखाया गया है। इनसे यह भी सिद्ध होता है कि कृष्ण की मनोहारी लीलाएँ बिना किसी धार्मिक भेदभाव के प्रत्येक युग में आकर्षण का केन्द्र रही हैं।<ref>{{cite web |url=http://hindi.in.com/latest-news/money-and-life/Mugals-Also-Likes-Krishna-Janmashtami-490482.html|title=मुग़ल भी थे कृष्णलीला के दीवाने|accessmonthday=06 अगस्त|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
रज्मनामा के चित्रों में भगवान [[श्रीकृष्ण]] एवं [[बलराम]] का [[जरासंध]] के साथ युद्ध, राजाओं की सभा में कृष्ण का सिंहासनारोहण, राज्यसभा में [[भीष्म]] द्वारा कृष्ण की अगवानी, [[पारिजात]] हरण, निकुम्भ वध, कृष्ण और [[बाणासुर]] का युद्ध, [[द्रौपदी]] का स्वयंवर, [[खाण्डव वन]] दहन, [[शिशुपाल वध]], [[शाल्व]] वध, कृष्ण का [[हस्तिनापुर]] आगमन, कृष्ण यादवी युद्ध, बलराम का देह त्याग, कृष्ण का देवलोक गमन आदि प्रसंग मुख्य हैं। चित्रों की इसी श्रृंखला में बनाया गया [[मुग़ल काल]] का एक शानदार चित्र [[लंदन]] के ब्रिटिश संग्रहालय में है, जिसमें कृष्ण को अपने घोडे़ को पानी पिलाते हुए दिखाया गया है। इनसे यह भी सिद्ध होता है कि कृष्ण की मनोहारी लीलाएँ बिना किसी धार्मिक भेदभाव के प्रत्येक युग में आकर्षण का केन्द्र रही हैं।<ref>{{cite web |url=http://hindi.in.com/latest-news/money-and-life/Mugals-Also-Likes-Krishna-Janmashtami-490482.html|title=मुग़ल भी थे कृष्णलीला के दीवाने|accessmonthday=06 अगस्त|accessyear=2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref>
Line 10: Line 11:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{मुग़ल साम्राज्य}}
{{मुग़ल साम्राज्य}}
[[Category:मुग़लकालीन साहित्य]][[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:पुस्तक कोश]][[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:मुग़लकालीन साहित्य]][[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:फ़ारसी साहित्य]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:पुस्तक कोश]][[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

Latest revision as of 11:33, 2 November 2017

रज्मनामा हिन्दुओं के प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत का फ़ारसी भाषा में किया गया अनुवाद है। महाभारत का फ़ारसी अनुवाद मुग़ल बादशाह अकबर के आदेश से बदायूँनी, नकीब ख़ाँ और अब्दुल कादिर ने 'रज्मनामा' नाम से किया था। रज्मनामा' पाण्डुलिपि को मुग़ल चित्रकला के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।

प्रसंग चित्र

बादशाह अकबर ने रज्मनामा के प्रसंगों पर चित्र बनाने के लिए ख़ास तौर पर अपने दरबार के दो विख्यात चित्रकारों 'दशवंत' और 'वशावंत' को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। इसकी कई प्रतियाँ भी बनीं। मुख्य प्रति अकबर ने अपने लिए बनवायी थी, जो जयपुर के संग्रहालय में रखी गई है। रज्मनामा के चित्रों के बारे में सबसे पहले प्रसिद्ध अंग्रेज़ कलाविद डॉ. रॉबर्ट स्कैल्टन ने शोध करके यह निष्कर्ष निकाला कि इस ग्रंथ में 29 चित्र और लगभग 200 लिखित पृष्ठ होने चाहिए। यह चित्र 1585 में बनवाए गए थे। डॉ. स्कैल्टन का कहना था कि इन चित्रों पर हालांकि फ़ारसी प्रभाव है, लेकिन यह मुग़ल काल की उस सामाजिक विशेषता का भी प्रतिनिधित्व करते हैं, जो भारतीय तत्वों से भरपूर रही है।

मुख्य विषय

रज्मनामा के चित्रों में भगवान श्रीकृष्ण एवं बलराम का जरासंध के साथ युद्ध, राजाओं की सभा में कृष्ण का सिंहासनारोहण, राज्यसभा में भीष्म द्वारा कृष्ण की अगवानी, पारिजात हरण, निकुम्भ वध, कृष्ण और बाणासुर का युद्ध, द्रौपदी का स्वयंवर, खाण्डव वन दहन, शिशुपाल वध, शाल्व वध, कृष्ण का हस्तिनापुर आगमन, कृष्ण यादवी युद्ध, बलराम का देह त्याग, कृष्ण का देवलोक गमन आदि प्रसंग मुख्य हैं। चित्रों की इसी श्रृंखला में बनाया गया मुग़ल काल का एक शानदार चित्र लंदन के ब्रिटिश संग्रहालय में है, जिसमें कृष्ण को अपने घोडे़ को पानी पिलाते हुए दिखाया गया है। इनसे यह भी सिद्ध होता है कि कृष्ण की मनोहारी लीलाएँ बिना किसी धार्मिक भेदभाव के प्रत्येक युग में आकर्षण का केन्द्र रही हैं।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मुग़ल भी थे कृष्णलीला के दीवाने (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 06 अगस्त, 2013।

संबंधित लेख