जोधाबाई: Difference between revisions
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*अपने जीवन काल में [[इस्लाम]] और उसके रीति-रिवाजों के प्रति आदर रखते हुए जोधाबाई अपनी आस्था हिन्दू धर्म में बनाए रही, किंतु उसकी [[अंत्येष्टि संस्कार|अंत्येष्टि]] इस्लाम के अनुरूप हुई। उसकी | *अपने जीवन काल में [[इस्लाम]] और उसके रीति-रिवाजों के प्रति आदर रखते हुए जोधाबाई अपनी आस्था हिन्दू धर्म में बनाए रही, किंतु उसकी [[अंत्येष्टि संस्कार|अंत्येष्टि]] इस्लाम के अनुरूप हुई। उसकी क़ब्र अकबर के मक़बरे के निकट [[सिकंदरा आगरा|सिकंदरा]], [[आगरा]] में है। | ||
*जोधाबाई अथवा जगत् मुसाई नामक एक दूसरी राजपूतनी का [[विवाह]] [[जहाँगीर]] से 1586 ई. में हुआ था। वह मोटा राजा उदयसिंह की पुत्री थी और उसी के गर्भ से खुर्रम ([[शाहजहाँ]]) उत्पन्न हुआ था। | *जोधाबाई अथवा जगत् मुसाई नामक एक दूसरी राजपूतनी का [[विवाह]] [[जहाँगीर]] से 1586 ई. में हुआ था। वह मोटा राजा उदयसिंह की पुत्री थी और उसी के गर्भ से खुर्रम ([[शाहजहाँ]]) उत्पन्न हुआ था। | ||
Revision as of 12:02, 5 July 2017
जोधबाई मुग़ल बादशाह अकबर की रानी और कछवाहा राजा भारमल की पुत्री थी। जनवरी, 1562 ई. में निर्बल भारमल ने अजमेर के मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की तीर्थयात्रा पर आ रहे बादशाह अकबर की अधीनता संगनेर जाकर स्वीकार कर ली। सम्राट की प्रेरणा, स्वार्थ और कृतज्ञतावश उसने जोधाबाई को साँभर में अकबर से ब्याह दिया।[1]
- इस वैवाहिक संबंध से मुग़ल साम्राज्य को अत्यधिक प्रभावित करने वाली अकबर की हिन्दू नीति प्रारंभ हुई।
- जोधाबाई को अकबर ने समुचित आदर दिया। उसके गर्भ से मुग़ल साम्राज्य के उत्तराधिकारी सलीम (जहाँगीर) का जन्म होने के बाद अकबर की पत्नियों में उसका विशिष्ट स्थान हो गया और उसे 'मरियम-उज-जमानी' की उपाधि मिली।
- फ़तेहपुर सीकरी में अकबर ने एक जोधाबाई महल बनवाया था, जो आज भी खड़ा है।
- जोधाबाई के संपर्क में आकर ही अकबर हिन्दू धर्म की ओर आकृष्ट हुआ था।
- अपने जीवन काल में इस्लाम और उसके रीति-रिवाजों के प्रति आदर रखते हुए जोधाबाई अपनी आस्था हिन्दू धर्म में बनाए रही, किंतु उसकी अंत्येष्टि इस्लाम के अनुरूप हुई। उसकी क़ब्र अकबर के मक़बरे के निकट सिकंदरा, आगरा में है।
- जोधाबाई अथवा जगत् मुसाई नामक एक दूसरी राजपूतनी का विवाह जहाँगीर से 1586 ई. में हुआ था। वह मोटा राजा उदयसिंह की पुत्री थी और उसी के गर्भ से खुर्रम (शाहजहाँ) उत्पन्न हुआ था।
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