पूतना वध: Difference between revisions
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[[कंस]] को जब [[कृष्ण]] की उत्पत्ति तथा उनके बच जाने का रहस्य-ज्ञात हुआ तो वह क्रोध से आग बबूला हो गया। उसने किसी न किसी प्रकार अपने शत्रु-शिशु को सदा के लिए दूर करने की ठानी। पहले पूतना नाम की स्त्री इस कार्य के लिए भेजी गई। वह अपने स्तनों पर विष का लेप कर [[गोकुल]] गई और कृष्ण को दूध पिलाना चाहा, किन्तु उसका षड्यंत्र सफल न हो सका और उसे स्वयं अपने प्राणों से हाथ धोना | [[कंस]] को जब [[कृष्ण]] की उत्पत्ति तथा उनके बच जाने का रहस्य-ज्ञात हुआ तो वह क्रोध से आग बबूला हो गया। उसने किसी न किसी प्रकार अपने शत्रु-शिशु को सदा के लिए दूर करने की ठानी। पहले [[पूतना]] नाम की स्त्री इस कार्य के लिए भेजी गई। वह अपने स्तनों पर विष का लेप कर [[गोकुल]] गई और कृष्ण को [[दूध]] पिलाना चाहा, किन्तु उसका षड्यंत्र सफल न हो सका और उसे स्वयं अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। [[हरिवंश पुराण|हरिवंश]] के अनुसार पूतना कंस की धात्री (दाई मां) थी और `शकुनी' चिड़िया का रूप बना कर गोकुल गई। [[ब्रह्म वैवर्त पुराण]] के अनुसार वह कंस की बहन थी ओर [[मथुरा]] से ब्राह्मणी बनकर कृष्ण को देखने के बहाने गई। इस [[पुराण]] में आया है कि वह पहले [[बलि]] की पुत्री रत्नमाला थी और वामन के प्रति मातृभावना से प्रेरित थी। इसीलिए वामन के रूप कृष्ण ने स्तन-पान करते समय उसके प्राण खींच लिये। [[ब्रजभाषा]] तथा [[गुजराती भाषा|गुजराती]] के कुछ [[कवि|कवियों]] ने पूतना को `बकी' लिखा है। [[सूरदास]] तथा गुजराती कवि [[नरसी मेहता]], [[परमानंददास]] आदि ने अन्य कई छोटी कथाओं का पूतना-वध के बाद उल्लेख किया है, जो पुराणों में नहीं मिलतीं। | ||
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Revision as of 07:51, 15 February 2012
कंस को जब कृष्ण की उत्पत्ति तथा उनके बच जाने का रहस्य-ज्ञात हुआ तो वह क्रोध से आग बबूला हो गया। उसने किसी न किसी प्रकार अपने शत्रु-शिशु को सदा के लिए दूर करने की ठानी। पहले पूतना नाम की स्त्री इस कार्य के लिए भेजी गई। वह अपने स्तनों पर विष का लेप कर गोकुल गई और कृष्ण को दूध पिलाना चाहा, किन्तु उसका षड्यंत्र सफल न हो सका और उसे स्वयं अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। हरिवंश के अनुसार पूतना कंस की धात्री (दाई मां) थी और `शकुनी' चिड़िया का रूप बना कर गोकुल गई। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार वह कंस की बहन थी ओर मथुरा से ब्राह्मणी बनकर कृष्ण को देखने के बहाने गई। इस पुराण में आया है कि वह पहले बलि की पुत्री रत्नमाला थी और वामन के प्रति मातृभावना से प्रेरित थी। इसीलिए वामन के रूप कृष्ण ने स्तन-पान करते समय उसके प्राण खींच लिये। ब्रजभाषा तथा गुजराती के कुछ कवियों ने पूतना को `बकी' लिखा है। सूरदास तथा गुजराती कवि नरसी मेहता, परमानंददास आदि ने अन्य कई छोटी कथाओं का पूतना-वध के बाद उल्लेख किया है, जो पुराणों में नहीं मिलतीं।
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