आभीर गण: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''आभीर गण''' का उल्लेख [[पतंजलि]] के [[महाभाष्य]] में मिलता है। | '''आभीर गण''' का उल्लेख [[पतंजलि]] के [[महाभाष्य]] में मिलता है। | ||
*वे [[सिन्धु नदी]] के निचले काँठे और पश्चिमी [[राजस्थान]] में रहते थे। | *वे [[सिन्धु नदी]] के निचले काँठे और पश्चिमी [[राजस्थान]] में रहते थे। | ||
*'पेरिप्लस' नामक ग्रन्थ तथा टालेमी के [[भूगोल]] में भी आभीर गण का उल्लेख है। | *'पेरिप्लस' नामक ग्रन्थ तथा [[टालेमी]] के [[भूगोल]] में भी आभीर गण का उल्लेख है। | ||
*ईसा की दूसरी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आभीर राजा पश्चिमी [[भारत]] के [[शक]] शासकों के अधीन थे। | *ईसा की दूसरी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आभीर राजा पश्चिमी [[भारत]] के [[शक]] शासकों के अधीन थे। | ||
*ईश्वरदत्त नामक आभीर राजा महाक्षत्रप बन गया था। | *ईश्वरदत्त नामक आभीर राजा महाक्षत्रप बन गया था। |
Revision as of 14:26, 27 March 2015
आभीर गण का उल्लेख पतंजलि के महाभाष्य में मिलता है।
- वे सिन्धु नदी के निचले काँठे और पश्चिमी राजस्थान में रहते थे।
- 'पेरिप्लस' नामक ग्रन्थ तथा टालेमी के भूगोल में भी आभीर गण का उल्लेख है।
- ईसा की दूसरी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आभीर राजा पश्चिमी भारत के शक शासकों के अधीन थे।
- ईश्वरदत्त नामक आभीर राजा महाक्षत्रप बन गया था।
- ईसवीं तीसरी शताब्दी में आभीर राजाओं ने सातवाहन राजवंश के पराभव में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
- समुद्रगुप्त के इलाहाबाद के स्तम्भ लेख में आभीरों का उल्लेख उन गणों के साथ किया गया है, जिन्होंने गुप्त सम्राट की अधीनता स्वीकार कर ली थी।
|
|
|
|
|