बसावन

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बसावन (उत्कर्ष- 16वीं शताब्दी, मध्यकालीन भारत) एक श्रेष्ठ मुग़ल चित्रकार था, जिसकी ख्याति एक बेहतरीन रंगकार व मानव स्वभाव के संवेदनशाली द्रष्टा के रूप में होती हैं। उसके नाम से संकेत मिलता है कि वह आधुनिक उत्तर प्रदेश की किसी 'अहीर' या 'ग्वाला' जाति से था।

  • बसावन लगभग 1680 ई. से 1600 ई. के दौरान सर्वाधिक सक्रिय रहा। उसका नाम 100 से भी अधिक चित्राकृतियों के हाशिये पर बहुधा ऐसे रूपांकनकार के रूप में मौजूद है, जिसने अपनी कृति में एक अन्य कलाकार के साथ मिलकर रंग भरा है।[1]
  • उसके पुत्र मनोहर ने भी जानवरों के चित्र तथा व्यक्ति चित्र बनाने में प्रसिद्धि पाई थी।
  • बादशाह अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फ़ज़ल ने बसावन के बारे में लिखा है कि- "रूपांकन व व्यक्ति चित्र बनाने, रंग भरने और मायावी कलाकृति बनाने में विश्व में उसका कोई सानी नहीं हैं।"
  • बसावन स्थान-संयोजन की खोज, चमकीले रंगों की गहराई व प्रचुरता और उससे भी बढ़कर तीव्र निरीक्षण तथा संवेदनशील और मर्मस्पर्शी चित्रांकन के लिए विख्यात था। उसके थोड़े-से लघुचित्रों में, जो निश्चित ही अकेले उसके द्वारा बनाए गये थे, उसमें फ़ारसी कवि 'जामी' की गद्य व पद्य रचना 'बहारिस्तान' को चित्रांकनत किया है। इनमें एक मौलवी या धार्मिक नेता को एक दरवेश को उसके अहंकार के किए डांटते हुए दिखाया गया हैं।[2]
  • एक अन्य चित्र ब्रिटिश संग्रहालय में रखा हुआ 'दरब-नामा' (डेरियस की किताब) है।
  • बसावन के बहुत-से चित्र जयपुर के 'रज़्मनामा' (महाभारत का फ़ारसी नाम), पटना के 'तैमूरनामा' (तैमूर की किताब), विक्टोरिया व एल्बर्ट संग्रहालय में अकबर के आधिकारिक इतिहास की प्रतिलिपि 'अकबरनामा' में हैं।
  • बसावन द्वारा बनाये गए चित्रों में पश्चिमी प्रभाव दृष्टिगोचर नहीं होता, तथापि ऐसा प्रतीत होता है कि उसने बादशाह अकबर के दरबार में ईसाई मिशनरियों द्वारा लाये गए यूरोपीय चित्रों का बहुत ही गहन अध्ययन किया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत ज्ञानकोश, खण्ड-3 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 349 |
  2. बॉदलियन पुस्तकालय, ऑक्सफ़ोर्ड

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