बुन्देला: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('*'''बुन्देला''' देशज मूल के राजपूतों का एक गोत्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "शृंखला" to "श्रृंखला")
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
*'''बुन्देला''' देशज मूल के [[राजपूत|राजपूतों]] का एक गोत्र था।
*'''बुन्देला''' देशज मूल के [[राजपूत|राजपूतों]] का एक [[गोत्र]] था।
*ये चौदहवीं शताब्दी के मध्य में [[यमुना नदी|यमुना]] के दक्षिण और [[विन्ध्याचल पर्वतमाला|विन्ध्य पर्वतश्रृंखला]] के उत्तर में पड़ने वाले प्रदेश में शक्ति सम्पन्न हो गये थे।
*ये चौदहवीं शताब्दी के मध्य में [[यमुना नदी|यमुना]] के दक्षिण और [[विन्ध्याचल पर्वतमाला|विन्ध्य पर्वतश्रृंखला]] के उत्तर में पड़ने वाले प्रदेश में शक्ति सम्पन्न हो गये थे।
*इससे पहले यह क्षेत्र [[जेजाकभुक्ति]] के नाम से प्रसिद्ध था, जिस पर [[चन्देल वंश|चन्देल]] शासक राज्य करते थे।
*इससे पहले यह क्षेत्र [[जेजाकभुक्ति]] के नाम से प्रसिद्ध था, जिस पर [[चन्देल वंश|चन्देल]] शासक राज्य करते थे।
Line 9: Line 9:


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location =  भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =  हिन्दी| pages = 291| chapter =}}
{{cite book | last = भट्टाचार्य| first = सच्चिदानन्द | title = भारतीय इतिहास कोश | edition = द्वितीय संस्करण-1989| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान| location =  भारत डिस्कवरी पुस्तकालय| language =  हिन्दी| pages = 291| chapter =}}

Latest revision as of 11:22, 9 February 2021

  • बुन्देला देशज मूल के राजपूतों का एक गोत्र था।
  • ये चौदहवीं शताब्दी के मध्य में यमुना के दक्षिण और विन्ध्य पर्वतश्रृंखला के उत्तर में पड़ने वाले प्रदेश में शक्ति सम्पन्न हो गये थे।
  • इससे पहले यह क्षेत्र जेजाकभुक्ति के नाम से प्रसिद्ध था, जिस पर चन्देल शासक राज्य करते थे।
  • बुन्देला लोग युद्ध प्रिय थे, और जिस भूमि पर शासन करते थे, वह उनके नाम से बुन्देलखण्ड कहलाने लगी।
  • बुन्देलों ने भी भारत की अन्य जातियों की भाँति अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी।
  • बाद के समय में औरंगज़ेब के शासनकाल में बुन्देला सरदार छत्रसाल ने काफ़ी प्रसिद्धि पाई।
  • छत्रसाल पूर्वी मालवा में अपने लिए एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना करने में सफल हो गया, जिसकी राजधानी पन्ना थी।
  • बाद में इस राज्य ने अंग्रेज़ों की संम्प्रभुता स्वीकार कर ली थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 291।

संबंधित लेख