हिमालय के नागरिक: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
 
(2 intermediate revisions by the same user not shown)
Line 3: Line 3:
चंपा लद्दाखी, बाल्टी और दर्दीय लोग उच्च हिमालय पर्वतश्रेणी के उत्तर में कश्मीर हिमालय में रहते हैं। दर्दीय भारतीय-यूरोपीय मूल के हैं, जबकि अन्य तिब्बती-बर्मी मूल के हैं। चंपा लोग ऊपरी [[सिंधु घाटी]] में बंजारे चरवाहों का जीवन व्यतीत करते हैं, लद्दाखी लोग कश्मीर में सिंधु के कगारों तथा जलोढ़ क्षेत्रों में निवास करते हैं। बाल्टी लोग सिंधु घाटी में अधिक नीचे तक फैले हुए हैं। उन्होंने [[इस्लाम धर्म]] अपना लिया है।
चंपा लद्दाखी, बाल्टी और दर्दीय लोग उच्च हिमालय पर्वतश्रेणी के उत्तर में कश्मीर हिमालय में रहते हैं। दर्दीय भारतीय-यूरोपीय मूल के हैं, जबकि अन्य तिब्बती-बर्मी मूल के हैं। चंपा लोग ऊपरी [[सिंधु घाटी]] में बंजारे चरवाहों का जीवन व्यतीत करते हैं, लद्दाखी लोग कश्मीर में सिंधु के कगारों तथा जलोढ़ क्षेत्रों में निवास करते हैं। बाल्टी लोग सिंधु घाटी में अधिक नीचे तक फैले हुए हैं। उन्होंने [[इस्लाम धर्म]] अपना लिया है।


लगभग 200 वर्षों तक [[सिक्किम]] और [[भूटान]] पूर्वी [[नेपाल]] की अतिरिक्त जनसंख्या को अपने में समोकर सुरक्षा वॉल्व का काम करते रहे हैं। माउंट एवरेस्ट के गृहक्षेत्र के मुक़ाबले कहीं अधिक संख्या में शेरपा लोग<ref>नेपाल तथा सिक्किम के पर्वत क्षेत्र में रहने वाले लोग</ref> [[दार्जिलिंग]] क्षेत्र में रहते हैं। पहाड़ी लोग नेपाल से भारत के सिक्किम राज्य तथा [[भूटान]] देश में आए। इस प्रकार, सिक्किम के लोग [[लेप्चा]], [[भूटिया]] और पहाड़ी, तीन भिन्न जातीय समूहों के हैं। आमतौर पर नेपाली और लेप्चा पश्चिमी भूटान में तथा तिब्बती मूल के भूटिया पूर्वी भूटान में रहते हैं।  
लगभग 200 वर्षों तक [[सिक्किम]] और [[भूटान]] पूर्वी [[नेपाल]] की अतिरिक्त जनसंख्या को अपने में समोकर सुरक्षा वॉल्व का काम करते रहे हैं। माउंट एवरेस्ट के गृहक्षेत्र के मुक़ाबले कहीं अधिक संख्या में [[शेरपा]] लोग<ref>नेपाल तथा सिक्किम के पर्वत क्षेत्र में रहने वाले लोग</ref> [[दार्जिलिंग]] क्षेत्र में रहते हैं। पहाड़ी लोग नेपाल से भारत के सिक्किम राज्य तथा [[भूटान]] देश में आए। इस प्रकार, सिक्किम के लोग [[लेप्चा]], [[भूटिया]] और पहाड़ी, तीन भिन्न जातीय समूहों के हैं। आमतौर पर नेपाली और लेप्चा पश्चिमी भूटान में तथा तिब्बती मूल के भूटिया पूर्वी भूटान में रहते हैं।  


[[अरुणाचल प्रदेश]] में औबोर या आदि, आका, आप्तानी, [[डफला (जाति)|डफला]], खंपती, खोवा, मिशमी मोंबा, मिरी और सिंग्फो आदि कई समूहों का आवास है। जातीय रूप से ये सभी समूह भारतीय-एशियाई हैं। भाषाई रूप से ये तिब्बती-बर्मी हैं। प्रत्येक समूह एक अलग नदी घाटी में रहता है और ये झूम खेती करते हैं।
[[अरुणाचल प्रदेश]] में औबोर या आदि, आका, [[आप्तानी]], [[डफला (जाति)|डफला]], खंपती, खोवा, [[मिश्मी|मिशमी]], मोंबा, मिरी और सिंग्फो आदि कई समूहों का आवास है। जातीय रूप से ये सभी समूह भारतीय-एशियाई हैं। भाषाई रूप से ये तिब्बती-बर्मी हैं। प्रत्येक समूह एक अलग नदी घाटी में रहता है और ये झूम खेती करते हैं।


{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार= |प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
Line 12: Line 12:
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{हिमालय}}
{{हिमालय}}{{जातियाँ और जन जातियाँ}}
[[Category:हिमालय]]
[[Category:हिमालय]][[Category:जातियाँ और जन जातियाँ]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 12:59, 29 September 2014

भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले चार प्रमुख जातीय समूहों, भारतीय-यूरोपीय, तिब्बती-बर्मी, ऑस्ट्रो-एशियाई और द्रविड़ में से पहले दो समूह हिमालय क्षेत्र में काफ़ी संख्या में पाए जाते हैं, हालांकि विभिन्न क्षेत्रों में ये अलग-अलग अनुपात में घुले-मिले हुए हैं। इनका वितरण पश्चिम से यूरोपीय समूहों, दक्षिण से भारतीय लोगों और पूर्व व उत्तर से एशियाई जनजातियों की घुसपैठ के लंबे इतिहास का परिणाम है। हिमालय के मध्यवर्ती तिहाई हिस्से नेपाल में ये समूह अंतमिश्रित हैं। लघु हिमालय में घुसपैठ से दक्षिण एशिया के नदी मैदानों के रास्तों में और उनसे होते हुए प्रवास का मार्ग प्रशस्त हुआ। आमतौर पर यह कहा जा सकता है कि उच्च हिमालय तथा टेथिस हिमालय में तिब्बती व अन्य तिब्बती-बर्मी लोगों का निवास है तथा निम्न हिमालय में लंबे, गोरे भारोपीय लोगों का वास है। जम्मू कश्मीर के बाह्य हिमालय क्षेत्र में भारोपीय लोगों को डोगरी वंश का कहा जाता है। कश्मीर घाटी में यह समूह कश्मीरी लोगों के रूप में है। लघु हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले गद्दी और गूजर भी यूरोपीय समूह से संबंध रखते हैं। गद्दी निश्चित रूप से पर्वतीय लोग हैं, वे भेड़-बकरियों के बड़े-बड़े झुंड पालते हैं। और सिर्फ़ जाड़े में बाह्य हिमालय के अपने बर्फ़ीले इलाक़े से नीचे आते हैं तथा जून में वे फिर सबसे ऊँचे चरागाहों में लौट जाते हैं। गूजर लोग प्रवासी चरगाहे होते हैं। जो अपनी भेड़ों, बकरियों और कुछ मवेशियों पर गुज़ारा करते हैं। और पशुओं की आवश्यकतानुसार विभिन्न ऊँचाइयों पर स्थित चरागाहों की खोज करते रहते हैं।

चंपा लद्दाखी, बाल्टी और दर्दीय लोग उच्च हिमालय पर्वतश्रेणी के उत्तर में कश्मीर हिमालय में रहते हैं। दर्दीय भारतीय-यूरोपीय मूल के हैं, जबकि अन्य तिब्बती-बर्मी मूल के हैं। चंपा लोग ऊपरी सिंधु घाटी में बंजारे चरवाहों का जीवन व्यतीत करते हैं, लद्दाखी लोग कश्मीर में सिंधु के कगारों तथा जलोढ़ क्षेत्रों में निवास करते हैं। बाल्टी लोग सिंधु घाटी में अधिक नीचे तक फैले हुए हैं। उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया है।

लगभग 200 वर्षों तक सिक्किम और भूटान पूर्वी नेपाल की अतिरिक्त जनसंख्या को अपने में समोकर सुरक्षा वॉल्व का काम करते रहे हैं। माउंट एवरेस्ट के गृहक्षेत्र के मुक़ाबले कहीं अधिक संख्या में शेरपा लोग[1] दार्जिलिंग क्षेत्र में रहते हैं। पहाड़ी लोग नेपाल से भारत के सिक्किम राज्य तथा भूटान देश में आए। इस प्रकार, सिक्किम के लोग लेप्चा, भूटिया और पहाड़ी, तीन भिन्न जातीय समूहों के हैं। आमतौर पर नेपाली और लेप्चा पश्चिमी भूटान में तथा तिब्बती मूल के भूटिया पूर्वी भूटान में रहते हैं।

अरुणाचल प्रदेश में औबोर या आदि, आका, आप्तानी, डफला, खंपती, खोवा, मिशमी, मोंबा, मिरी और सिंग्फो आदि कई समूहों का आवास है। जातीय रूप से ये सभी समूह भारतीय-एशियाई हैं। भाषाई रूप से ये तिब्बती-बर्मी हैं। प्रत्येक समूह एक अलग नदी घाटी में रहता है और ये झूम खेती करते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. नेपाल तथा सिक्किम के पर्वत क्षेत्र में रहने वाले लोग

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख