भगवानदास: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''भगवानदास''' आमेर के राजा भारमल का पुत्र था। ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replace - " खिलाफ " to " ख़िलाफ़ ")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
'''भगवानदास''' [[आमेर]] के [[भारमल|राजा भारमल]] का पुत्र था। [[अकबर|बादशाह अकबर]] के दरबार की शान बढ़ाने वाला [[राजा मानसिंह]] भगवानदास का ही पुत्र था।
'''भगवानदास''' [[आमेर]] के [[भारमल|राजा भारमल]] का पुत्र था। [[अकबर|बादशाह अकबर]] के दरबार की शान बढ़ाने वाला [[राजा मानसिंह]] भगवानदास का ही पुत्र था। [[मुग़ल]] दरबार में भगवानदास को ऊँचा [[मनसब]] प्राप्त था। इसके अलावा वह एक उत्कृष्ट योद्धा था, जिसने [[आमेर]] से बाहर जाकर [[पश्चिमी भारत|पश्चिमी]] और [[उत्तरी भारत]] में कई बड़ी जंगें लड़ीं और उनमें विजय प्राप्त  की।


*भगवान के [[पिता]] राजा भारमल को मुग़ल दरबार में काफ़ी ऊँचा पद प्राप्त हुआ था।
*[[पिता]] राजा भारमल की मौत के बाद भगवानदास सन 1573 में [[आमेर]] का राजा बना।
*भारमल का पुत्र भगवानदास पांचहज़ारी [[मनसब]] तक पहुँचा था और उसका पोता मानसिंह सात हज़ारी मनसब तक।
*अपने पिता के समान ही भगवानदास को भी [[मुग़ल]] दरबार में काफ़ी ऊँचा पद प्राप्त हुआ था। वह पांच हज़ारी [[मनसब]] तक पहुँचा था।
*[[आमेर]] के भगवानदास को [[लाहौर]] का संयुक्त गवर्नर बनाया गया था, जबकि उसका पुत्र मानसिंह क़ाबुल में नियुक्त हुआ।
*भगवानदास को [[लाहौर]] का संयुक्त गवर्नर बनाया गया था, जबकि उसका पुत्र [[मानसिंह]] [[क़ाबुल]] में नियुक्त हुआ।
*जब मिर्ज़ा हाकिम ने लाहौर पर आक्रमण किया, तब उसे पराजित करने में भगवानदास का बहुत बड़ा हाथ था।
*जब मिर्ज़ा हाकिम ने लाहौर पर आक्रमण किया, तब उसे पराजित करने में भगवानदास का बहुत बड़ा हाथ था।
*[[मानसी गंगा गोवर्धन|मानसी गंगा]], [[गोवर्धन]] के तटों को पत्थरों से सीढ़ियों सहित बनवाने का श्रेय भगवानदास को प्राप्त है। श्रद्धालु मानसी गंगा के चारों और दर्शनीय स्थानों के दर्शन करते हुए परिक्रमा लगाते हैं।
*1585 में भगवानदास को [[कश्मीर]] के सुल्तान यूसुफ़ ख़ान के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए भेजा गया, जहां उससे डरकर सुल्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस उपलब्धि पर उसके नाम से सिक्का भी प्रचलित किया गया।
 
*अपने जीवन के अंतिम वर्षों में भगवानदास राजा टोडरमल के साथ [[पंजाब]] का संयुक्त सूबेदार रहा।
*[[13 नवंबर]], 1589 को लाहौर में भगवानदास का निधन हुआ।
*'[[मानसी गंगा गोवर्धन|मानसी गंगा]]', [[गोवर्धन]] के तटों को पत्थरों से सीढ़ियों सहित बनवाने का श्रेय भगवानदास को प्राप्त है। श्रद्धालु मानसी गंगा के चारों और दर्शनीय स्थानों के दर्शन करते हुए परिक्रमा लगाते हैं।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 14:31, 1 November 2014

भगवानदास आमेर के राजा भारमल का पुत्र था। बादशाह अकबर के दरबार की शान बढ़ाने वाला राजा मानसिंह भगवानदास का ही पुत्र था। मुग़ल दरबार में भगवानदास को ऊँचा मनसब प्राप्त था। इसके अलावा वह एक उत्कृष्ट योद्धा था, जिसने आमेर से बाहर जाकर पश्चिमी और उत्तरी भारत में कई बड़ी जंगें लड़ीं और उनमें विजय प्राप्त की।

  • पिता राजा भारमल की मौत के बाद भगवानदास सन 1573 में आमेर का राजा बना।
  • अपने पिता के समान ही भगवानदास को भी मुग़ल दरबार में काफ़ी ऊँचा पद प्राप्त हुआ था। वह पांच हज़ारी मनसब तक पहुँचा था।
  • भगवानदास को लाहौर का संयुक्त गवर्नर बनाया गया था, जबकि उसका पुत्र मानसिंह क़ाबुल में नियुक्त हुआ।
  • जब मिर्ज़ा हाकिम ने लाहौर पर आक्रमण किया, तब उसे पराजित करने में भगवानदास का बहुत बड़ा हाथ था।
  • 1585 में भगवानदास को कश्मीर के सुल्तान यूसुफ़ ख़ान के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए भेजा गया, जहां उससे डरकर सुल्तान ने आत्मसमर्पण कर दिया। इस उपलब्धि पर उसके नाम से सिक्का भी प्रचलित किया गया।
  • अपने जीवन के अंतिम वर्षों में भगवानदास राजा टोडरमल के साथ पंजाब का संयुक्त सूबेदार रहा।
  • 13 नवंबर, 1589 को लाहौर में भगवानदास का निधन हुआ।
  • 'मानसी गंगा', गोवर्धन के तटों को पत्थरों से सीढ़ियों सहित बनवाने का श्रेय भगवानदास को प्राप्त है। श्रद्धालु मानसी गंगा के चारों और दर्शनीय स्थानों के दर्शन करते हुए परिक्रमा लगाते हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख