Difference between revisions of "बैसवाड़ी बोली"

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'बैसवाड़ी' नाम का प्रयोग एकाधिक अर्थों में हुआ है। केलॉग ने जिसे 'पुरानी बैसवाड़ी' (Old Baiswari) कहा है, वह वस्तुत: 'पुरानी अवधी' ही है। इसीलिए वे (या बीम्स भी) [[तुलसीदास|तुलसी]] की [[भाषा]] को 'पुरानी बैसवाड़ी' कहते हैं। कुछ लोगों ने 'बैसवाड़ी' के अंतर्गत '[[अवधी भाषा|अवधी]]' और 'बघेली' दोनों को रखा है। इस प्रकार एक प्रयोग में यह 'अवधी' का समानार्थी है, तो दूसरे में उससे भी व्यापक। किंतु अब यह नाम, उपर्युक्त दोनों के, किसी भी अर्थ में प्रयुक्त नहीं होता। 'बैसवाड़ी' अब अवधी की एक उपबोली मानी जाती है, जो उन्नाव एवं रायबरेली ज़िलों के बीच के क्षेत्र में बोली जाती है 'बैस' राजपूतों के प्राधान्य के कारण, इस प्रदेश को 'बैसवाड़ा' कहते हैं। 'बैसवाड़ा' क्षेत्र में [[उन्नाव]] और [[रायबरेली]] के बीच के रायबरेली, बछरावाँ, डलमउ, लिरों, सरोनी, मोरावाँ, पुरावा, पनहन, पाटन, मगड़ायर, घाटमपुर, भगवंतपुर, बिहार और डोंड़िया- खेरा आदि 14- 15 परगने आते हैं। इसे 'बैसवाड़ी अवधी' भी कहते हैं। लोगों का कहना है कि 'बैसवाड़ी' अवधी के अन्य रूपों की तुलना में कुछ कर्णकटु है। 'बैसवाड़ी' का [[साहित्य]] में प्रयोग नहीं हुआ है। इसके आधुनिक कवियों में [[चन्द्रभूषण द्विवेदी]] 'रमई काका' प्रसिद्ध हैं। उनकी प्रमुख पुस्तकें 'बौछार', 'फुहार' एवं 'रतौंधी आदि हैं। 'बराती' भी इसके अच्छे साहित्यकार हैं।
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*'बैसवाड़ी' नाम का प्रयोग एकाधिक अर्थों में हुआ है।  
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*केलॉग ने जिसे 'पुरानी बैसवाड़ी' (Old Baiswari) कहा है, वह वस्तुत: 'पुरानी अवधी' ही है। इसीलिए वे (या बीम्स भी) [[तुलसीदास|तुलसी]] की [[भाषा]] को 'पुरानी बैसवाड़ी' कहते हैं।  
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*कुछ लोगों ने 'बैसवाड़ी' के अंतर्गत '[[अवधी भाषा|अवधी]]' और 'बघेली' दोनों को रखा है। इस प्रकार एक प्रयोग में यह 'अवधी' का समानार्थी है, तो दूसरे में उससे भी व्यापक। किंतु अब यह नाम, उपर्युक्त दोनों के, किसी भी अर्थ में प्रयुक्त नहीं होता।  
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*'बैसवाड़ी' अब अवधी की एक उपबोली मानी जाती है, जो उन्नाव एवं [[रायबरेली]] ज़िलों के बीच के क्षेत्र में बोली जाती है|
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*'बैस' राजपूतों के प्राधान्य के कारण, इस प्रदेश को 'बैसवाड़ा' कहते हैं। 'बैसवाड़ा' क्षेत्र में [[उन्नाव]] और [[रायबरेली]] के बीच के रायबरेली, बछरावाँ, डलमउ, लिरों, सरोनी, मोरावाँ, पुरावा, पनहन, पाटन, मगड़ायर, घाटमपुर, भगवंतपुर, [[बिहार]] और डोंड़िया- खेरा आदि 14- 15 परगने आते हैं।  
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*इसे 'बैसवाड़ी अवधी' भी कहते हैं। लोगों का कहना है कि 'बैसवाड़ी' अवधी के अन्य रूपों की तुलना में कुछ कर्णकटु है।  
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*'बैसवाड़ी' का [[साहित्य]] में प्रयोग नहीं हुआ है।  
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*इसके आधुनिक कवियों में [[चन्द्रभूषण द्विवेदी]] 'रमई काका' प्रसिद्ध हैं। उनकी प्रमुख पुस्तकें 'बौछार', 'फुहार' एवं 'रतौंधी आदि हैं। 'बराती' भी इसके अच्छे साहित्यकार हैं।
  
  
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==संबंधित लेख==
 
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{{भाषा और लिपि}}
 
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Latest revision as of 08:54, 14 October 2011

  • 'baisava di' nam ka prayog ekadhik arthoan mean hua hai.
  • kel aaug ne jise 'purani baisava di' (Old Baiswari) kaha hai, vah vastut: 'purani avadhi' hi hai. isilie ve (ya bims bhi) tulasi ki bhasha ko 'purani baisava di' kahate haian.
  • kuchh logoan ne 'baisava di' ke aantargat 'avadhi' aur 'bagheli' donoan ko rakha hai. is prakar ek prayog mean yah 'avadhi' ka samanarthi hai, to doosare mean usase bhi vyapak. kiantu ab yah nam, uparyukt donoan ke, kisi bhi arth mean prayukt nahian hota.
  • 'baisava di' ab avadhi ki ek upaboli mani jati hai, jo unnav evan rayabareli ziloan ke bich ke kshetr mean boli jati hai|
  • 'bais' rajapootoan ke pradhany ke karan, is pradesh ko 'baisava da' kahate haian. 'baisava da' kshetr mean unnav aur rayabareli ke bich ke rayabareli, bachharavaan, dalamu, liroan, saroni, moravaan, purava, panahan, patan, mag dayar, ghatamapur, bhagavantapur, bihar aur doan diya- khera adi 14- 15 paragane ate haian.
  • ise 'baisava di avadhi' bhi kahate haian. logoan ka kahana hai ki 'baisava di' avadhi ke any roopoan ki tulana mean kuchh karnakatu hai.
  • 'baisava di' ka sahity mean prayog nahian hua hai.
  • isake adhunik kaviyoan mean chandrabhooshan dvivedi 'ramee kaka' prasiddh haian. unaki pramukh pustakean 'bauchhar', 'phuhar' evan 'ratauandhi adi haian. 'barati' bhi isake achchhe sahityakar haian.



panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani

sanbandhit lekh

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