राष्ट्रीय पोषाहार दिवस (सप्ताह): Difference between revisions

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राष्ट्रीय पोषाहार दिवस (सप्ताह)
विवरण 'राष्ट्रीय पोषण सप्ताह दिवस' लोगों के बेहतर स्वास्थ्य और भलाई के बारे में उनको जागरुक करने के लिये मनाया जाता है।
उद्देश्य वर्तमान और सफल पीढ़ियों के लिए जीवन, स्वास्थ्य और विकास का मुख्य विषय पोषण है
अन्य जानकारी पर्याप्त पोषण का सेवन करने वाले व्यक्ति अधिक कार्य करते हैं। वहीं दूसरी ओर, ख़राब पोषण प्रतिरक्षा में कमी, बीमारी के ज़ोखिम को बढ़ाने, शारीरिक और मानसिक विकास को क्षीण करने तथा कार्यक्षमता में कमी पैदा कर सकता हैं।
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राष्ट्रीय पोषाहार दिवस (सप्ताह) प्रतिवर्ष 1 सितंबर से 7 सितंबर तक मनाया जाता है। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह दिवस लोगों के बेहतर स्वास्थ्य और भलाई के बारे में उनको जागरुक करने के लिये मनाया जाता है। स्वास्थ्य और कल्याण का केन्द्रीय बिन्दु पोषण है। यह आपको काम करने के लिए शक्ति और उर्जा प्रदान करता हैं तथा तन्दुरुस्त और अच्छा महसूस करने में भी सहायता करता हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, "पोषण का संबंध शरीर की आवश्यकतानुसार आहार के सेवन को माना जाता है। वर्तमान और सफल पीढ़ियों के लिए जीवन, स्वास्थ्य और विकास का मुख्य विषय पोषण है[1]

इतिहास

पोषण शिक्षा के द्वारा अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1982 में केन्द्रीय सरकार द्वारा पहली बार इस अभियान की शुरुआत की गयी क्योंकि राष्ट्रीय विकास के लिये मुख्य रुकावट के रुप में कुपोषण है। इसी लक्ष्य के लिये लोगों को बढ़ावा देने के लिये, खाद्य और पोषण बोर्ड की 43 ईकाई (महिला और बाल विभाग, स्वास्थ्य और एनजीओ) पूरे देश में कुशलता से कार्य कर रही है।पैदा हुए नवजात शिशु को एक बड़े स्तर की प्रतिरक्षा और स्वस्थ जीवन उपलब्ध कराने के लिये 6 महीनों तक माँ का दूध या नवदुग्ध के रुप में जाना जाने वाला पहला दूध अपने नवजात को पिलाने के लिये दूध पिलाने वाली माँ को बहुत प्रोत्साहित किया जाता है। बैंगलोर, मिलर रोड के भगवान महावीर जैन अस्पताल में पोषण और आहार के लिये एक जागरुकता कार्यक्रम रखने के लिये बैंगलोर से भारतीय आहार समीति ने फैसला लिया जिसमें हृदय संबंधी बीमारी, डॉयबिटीज़, तथा बच्चों और महिलाओं के आहार को भी शामिल किया जायेगा। अच्छे स्वास्थ्य की आधारशिला नियमित शारीरिक गतिविधियों के साथ अच्छा पोषण है। स्वस्थ बच्चे बेहतर तरीकें से सीखते हैं।[1]पर्याप्त पोषण का सेवन करने वाले व्यक्ति अधिक कार्य करते हैं। वहीं दूसरी ओर, ख़राब पोषण प्रतिरक्षा में कमी, बीमारी के ज़ोखिम को बढ़ाने, शारीरिक और मानसिक विकास को क्षीण करने तथा कार्यक्षमता में कमी पैदा कर सकता हैं।[2]

लक्ष्य

  1. समुदाय में विभिन्न पोषण और आहार की समस्या की आवृत्ति का पुनरीक्षण करना।
  2. गहन शोध के द्वारा पोषण संबंधी समस्याओं को नियंत्रित और बचाव के लिये उचित तकनीक का आँकलन करना।
  3. आहार और पोषण के लिये देश के स्थिति की निगरानी करना।
  4. राष्ट्रीय पोषण कार्यक्रम को लागू करने और योजना के लिये प्रक्रिया संबंधी शोध पर कार्य करना।
  5. स्वास्थ्य और पोषण के बारे में अनुकूलन प्रशिक्षण के द्वारा लोगों को जागरुक करना।[1]

क्रिया-कलाप

  1. राष्ट्रीय पोषण सप्ताह को पूरे सप्ताह मनाने के द्वारा विभिन्न पोषण संबंधी शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम द्वारा लोगों को प्रोत्साहन दिया जाता है।
  2. पोषण संबंधी शिक्षा और प्रशिक्षण साजो-सामानों के वितरण के द्वारा लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है।
  3. फल, सब्जी और घरों के दूसरे खाद्य पदार्थों के बचाव के लिये लोगों को उचित प्रशिक्षण दिया जाता है।
  4. सरकारी और गैर-सरकरी स्वास्थ्य संगठनों द्वारा बड़ी संख्या में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है।
  5. भोजन के विश्लेषण और मानकीकरण के बारे में लोगों को ठीक प्रशिक्षण दिया जाता है।
  6. राष्ट्रीय पोषण सप्ताह उत्सव के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय पोषण नीतियाँ चलायी जाती है।[1]

सुझाव

  1. कम से कम प्रसंस्करण आहार के साथ ताज़ा खाना ज़रूर खाएं।
  2. जब भी संभव हो कच्चे फल और सब्जियां का सेवन अवश्य करें क्योंकि पकाने से कई पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
  3. खाने से पहले फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं तथा उन्हें छिलका समेत खाएं।
  4. जब तक आप फल और सब्जियों को खाने के लिए तैयार न हो तब तक उन्हें न काटें।
  5. फास्ट फूड की तुलना में घर में बने पारंपरिक आहार के सेवन को प्राथमिकता दें।
  6. अपने मुख्य आहार के स्थान पर अल्पाहार (स्नैक्स) का सेवन करने से बचें।
  7. चीनी और अस्वस्थ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में करें।[2]
पिछले कुछ वर्षो में विषय-वस्तु (थीम) इस प्रकार है।-
  1. 2011 का विषय था “शुरुआत से ही अच्छा भोजन”।
  2. 2012 का विषय था “पोषण जागरुकता- स्वस्थ राष्ट्र का समाधान”।
  3. 2013 का विषय था “प्रोजेक्ट डीनरटाईम- बनाओ, खाओ और आनन्द उठाओ”।
  4. 2014 का विषय था “पोषक आहार देश का आधार”।
  5. 2015 का विषय था "बेहतर पोषण: विकास के लिए महत्वपूर्ण"।
  6. 2016 का विषय था मेरा भोजन तथा टेक होम राशन” ।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 राष्ट्रीय पोषण सप्ताह 2016 (हिन्दी) huntnews.in। अभिगमन तिथि: 17 नवम्बर, 2016।
  2. 2.0 2.1 राष्ट्रीय पोषण सप्ताह २०१५ (हिन्दी) hi.nhp.gov.in। अभिगमन तिथि: 17 नवम्बर, 2016।

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