सी. एन. आर. राव: Difference between revisions

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==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
डॉ. सी. एन. आर. राव राव का जन्म [[30 जून]] [[1934]] को [[बंगलुरू]] में हुआ। वह अपने माता पिता की इकलौती संतान हैं। स्कूली दिनों से ही उनका रुझान [[रसायन विज्ञान|रसायनशास्त्र]] की ओर हो गया और इसी को उन्होंने कैरियर के रूप में अपनाया। सन [[1947]] में राव ने अपनी हाईस्कूल परीक्षा पास की और [[विज्ञान]] में गहरी रुचि के कारण सेंट्रल कॉलेज बंगलुरू में दाखिला लिया। सिर्फ 17 की उम्र में ही बीएससी परीक्षा पास कर उन्होंने सबको चौंका दिया। बीएससी के बाद एमएससी के दौरान उन्हें रसायनज्ञ पलिंग की पुस्तक, नेचर अफ दी केमिकल बांड को पहली बार पढ़ने का मौका मिला। इस पुस्तक ने राव के मन में अणुओं के संसार के प्रति गहरी उत्सुकता जगा दी।<ref name="amar"/>
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Revision as of 11:46, 17 November 2013

सी. एन. आर. राव
पूरा नाम चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव
अन्य नाम सीएनआर राव
जन्म 30 जून 1934
जन्म भूमि बंगलौर, कर्नाटक
पति/पत्नी इन्दुमति राव
कर्म-क्षेत्र वैज्ञानिक
शिक्षा एमएससी
विद्यालय सेंट्रल कॉलेज बंगलुरू
पुरस्कार-उपाधि ह्युजेस पदक (2000), भारत विज्ञान पुरस्कार (2004), अब्दुस सलाम पदक (2008), डैन डेविड पुरस्कार (2005), लीजन ऑफ़ ऑनर (2005), पद्म श्री, पद्म विभूषण एवं भारत रत्न
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी बीते पांच दशकों में राव 'सॉलिड स्टेट' और 'मटेरियल कैमिस्ट्री' पर 45 किताबें लिख चुके हैं और इन्हीं विषयों पर उनके 1400 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं।

चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव (अंग्रेज़ी:Chintamani Nagesa Ramachandra Rao, जन्म: 30 जून, 1934 बंगलौर) एक रसायन वैज्ञानिक हैं जिन्होंने घन-अवस्था और संरचनात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम किया है। इन्हें सी. एन. आर. राव के नाम से अधिक जाना जाता है। वर्तमान में वह भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। इन्होंने लगभग 1400 शोध पत्र और 45 वैज्ञानिक पुस्तकें लिखी हैं। 16 नवंबर 2013 को भारत सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया। चंद्रशेखर वेंकट रामन और अब्दुल कलाम के बाद इस पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले वे तीसरे वैज्ञानिक हैं।[1]

जीवन परिचय

डॉ. सी. एन. आर. राव राव का जन्म 30 जून 1934 को बंगलुरू में हुआ। वह अपने माता पिता की इकलौती संतान हैं। स्कूली दिनों से ही उनका रुझान रसायनशास्त्र की ओर हो गया और इसी को उन्होंने कैरियर के रूप में अपनाया। सन 1947 में राव ने अपनी हाईस्कूल परीक्षा पास की और विज्ञान में गहरी रुचि के कारण सेंट्रल कॉलेज बंगलुरू में दाखिला लिया। सिर्फ 17 की उम्र में ही बीएससी परीक्षा पास कर उन्होंने सबको चौंका दिया। बीएससी के बाद एमएससी के दौरान उन्हें रसायनज्ञ पलिंग की पुस्तक, नेचर अफ दी केमिकल बांड को पहली बार पढ़ने का मौका मिला। इस पुस्तक ने राव के मन में अणुओं के संसार के प्रति गहरी उत्सुकता जगा दी।[1]

शोध क्षेत्र

  • ट्रांजीशन मेटल ऑक्साइड सिस्टम
  • मेटल इंसुलेटर ट्रांजीशन
  • सीएमआर मैटेरियल
  • सुपरकंडक्टिविटी
  • मल्टीफेरोक्सि
  • हाइब्रिड मैटेरियल
  • नैनोट्यूब और ग्राफीन नैनोमैटेरियल

शोध जगत के शतकवीर

दुनियाभर की प्रमुख वैज्ञानिक संस्थाएं, रसायन शास्त्र के क्षेत्र में उनकी मेधा का लोहा मानती हैं। ये दुनियाभर के उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से एक हैं जो तमाम प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थाओं के सदस्य हैं। बीते पांच दशकों में राव 'सॉलिड स्टेट' और 'मटेरियल कैमिस्ट्री' पर 45 किताबें लिख चुके हैं और इन्हीं विषयों पर उनके 1400 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं। वैज्ञानिकों की जमात मानती है कि राव की उपलब्धियां, सचिन तेंदुलकर के सौ अंतरराष्ट्रीय शतकों के बराबर है। राव की मेधा और लगन का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके साथ काम करने वाले अधिकतर वैज्ञानिक सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन वे 79 साल की उम्र में भी सक्रिय हैं और प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद में अध्यक्ष के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रोफेसर राव सॉलिड स्टेट और मैटेरियल केमिस्ट्री में अपनी विशेषज्ञता की वजह से जाने जाते हैं। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच बुनियादी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है।[2]

नीति निर्माता

विज्ञान के क्षेत्र में भारत की नीतियों को गढ़ने में अहम भूमिका निभाने वाले राव, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के भी सदस्य थे। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी, एचडी दैवेगोड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के कार्यकाल में परिषद के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था। अमरीका से अपनी डॉक्टरेट की उपाधि लेने के बाद राव ने कैलिफोर्निया और बर्कले यूनिवर्सिटी में रिसर्च एसोसिएट की हैसियत से काम किया और वर्ष 1959 में भारत लौटकर बंगलौर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में काम करना शुरू किया। इसके बाद वे आईआईटी कानपुर चले गए लेकिन वर्ष 1959 में दोबारा बंगलौर आ गए जहां उन्होंने मटेरियल साइंस सेंटर और सॉलिड स्टेट कैमिकल यूनिट स्थापित की थी। उनकी इस पहल को वैज्ञानिक जगत में महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।[2]

सम्मान और पुरस्कार

  • रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के लिए दुनिया भर की विज्ञान अकादमियों में उनकी पहचान है और ज्यादातर उन्हें अपनी सदस्यता और फेलोशिप से नवाज चुके हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
  • डॉ. राव न सिर्फ न केवल बेहतरीन रसायनशास्त्री हैं बल्कि उन्होंने देश की वैज्ञानिक नीतियों को बनाने में भी अहम भूमिका निभाई है। इस समय डॉ. राव प्रधानमंत्री की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष हैं। वह सन 1985 में पहली बार और सन 2005 में दूसरी बार इस समिति के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं।
  • डॉ. राव को दुनिया भर के 60 विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त है।
  • एच-इंडेक्स में पहुँचने वाले भारतीय वैज्ञानिक हैं। पद्म श्री,
  • सन 1964 में उन्हें इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज का सदस्य नामित किया गया।
  • सन 1967 में फैराडे सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड ने राव को मार्लो मेडल दिया।
  • सन 1968 में डॉ. राव भटनागर अवार्ड से नवाजे गए।
  • भारत सरकार ने इन्हें 1974 में पद्म श्री और 1985 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
  • सन 1988 में जवाहरलाल नेहरू अवार्ड से सम्मनित हुए।
  • सन 1999 में वह इंडियन साइंस कांग्रेस के शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित हुए।
  • डॉ. राव को कर्नाटक सरकार ने कर्नाटक रत्न की उपाधि दी।
  • सन् 2000 में रायल सोसाइटी ने ह्युजेस पदक से सम्मानित किया।
  • सन् 2004 में भारतीय विज्ञान पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय वैज्ञानिक हैं।
  • भारत-चीनी विज्ञान सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाने के लिए जनवरी 2013 में चीन के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित हुए।
  • 16 नवंबर 2013 को भारत सरकार ने डॉ. राव को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा की।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 वैज्ञानिक सीएनआर राव को भारत रत्न (हिंदी) अमर उजाला। अभिगमन तिथि: 17 नवम्बर, 2013।
  2. 2.0 2.1 वैज्ञानिक शोध जगत के शतकवीर हैं सीएनआर राव (हिंदी) बीबीसी हिंदी। अभिगमन तिथि: 17 नवम्बर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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