विश्व मौसम विज्ञान दिवस: Difference between revisions

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Revision as of 05:39, 23 March 2018

विश्व मौसम विज्ञान दिवस
विवरण 'विश्व मौसम विज्ञान दिवस' विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की स्थापना दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
तिथि 23 मार्च
स्थापना सन् 1950 में 23 मार्च के दिन संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई के रूप में विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की स्थापना हुई थी और जिनेवा में इसका मुख्यालय खोला गया था।
उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों में बैठकें, संगोष्ठियों में मौसमविज्ञानी आपस में विचार एवं अनुभव बांटते हैं तथा इस पर चर्चा करते हैं कि इस उभरते विज्ञान के ज्ञान का न केवल भारतीयों बल्कि मानवजाति के कल्याण के लिए कैसे बेहतर उपयोग किया जाए।
संबंधित लेख विश्व जल दिवस, विश्व पर्यावरण दिवस, विश्व ओज़ोन दिवस
अन्य जानकारी विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा वर्ष 2013 में विश्व मौसम विज्ञान दिवस का विषय था 'जीवन और संपत्ति के संरक्षण हेतु मौसम का अवलोकन'।
बाहरी कड़ियाँ आधिकारिक वेबसाइट (विश्व मौसम विज्ञान संगठन)

विश्व मौसम विज्ञान दिवस (अंग्रेज़ी: World Meteorological Day) प्रतिवर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization, डब्ल्यूएमओ) द्वारा वर्ष 2011 में विश्व मौसम विज्ञान दिवस के अवसर पर 'जलवायु हमारे लिए' (Climate for You) विषय पर जोर दिया गया। जबकि वर्ष 2013 में इसका विषय था- जीवन और संपत्ति के संरक्षण हेतु मौसम का अवलोकन। इस दिवस पर देश के विभिन्न हिस्सों में बैठकें, संगोष्ठियां और अन्य कार्यक्रम होते हैं जिनमें मौसमविज्ञानी आपस में विचार एवं अनुभव बांटते हैं तथा इसपर चर्चा करते हैं कि इस उभरते विज्ञान के ज्ञान का न केवल भारतीयों बल्कि मानवजाति के कल्याण के लिए कैसे बेहतर उपयोग किया जाए।

विश्व मौसम संगठन की स्थापना

सन् 1950 में 23 मार्च के दिन संयुक्त राष्ट्र की एक इकाई के रूप में विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की स्थापना हुई थी और जिनेवा में इसका मुख्यालय खोला गया था। संगठन की स्थापना का उद्देश्य मानव के दुखदर्द को कम करना और संपोषणीय विकास को बढावा देना है। thumb|left|विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) का प्रतीक चिह्नपहले के विपरीत वर्तमान में मौसम विज्ञान में केवल मौसम संबंधी विधा शामिल नहीं है बल्कि इसमें पूरा भू-विज्ञान है। इसका इस्तेमाल बाढ़, सूखा और भूकंप जैसे प्राकृतिक आपदा का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग नाविकों, समुद्री जहाजों और उन लोगों द्वारा भी किया जाता है जो सड़क एवं विमान यातायात का प्रबंधन संभालते हैं। ये सारी बातें मौसम पर्यवेक्षण टावरों, मौसम गुब्बारों, रडारों, कृत्रिम उपग्रहों, उच्च क्षमता वाले कंप्यूटरों और भिन्न-भिन्न अंकगणितीय मॉडलों से भी संभव हो पाती हैं।[1]

भारतीय मौसम और जलविज्ञान

मौसम पर्यवेक्षण के लिए अंतरिक्ष में बड़ी संख्या में उपग्रह तैनात करने के अलावा भारतीय वैज्ञानिक मौसम और जलविज्ञान अध्ययन के लिए 1981 से ही अंटार्कटिका पर जाते रहे हैं। सागरीय प्रक्रियाओं को समझने के लिए और उससे प्राप्त अनुभवों का हिंद महासागर क्षेत्र के लोगों तक लाभ पहुंचाने के लिए भारत ने वैश्विक समुद्री पर्यवेक्षण तंत्र (आईओजीओओएस) के हिंद महासागर अवयव की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। फिलहाल वह हिंद महासागर पर एक अंतराष्ट्रीय परियोजना के साथ भी तालमेल स्थापित कर रहा है। आईओजीओओएस की भांति ही डब्ल्यूएमओ भी दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन की परिघटना को बेहतर ढंग से समझने के लिए कई अन्य कार्यक्रमों को प्रायोजित कर रहा है। इसके कार्यक्रमों के तीन लक्ष्य हैं-

  1. व्यवस्थित मौसम एवं जलवायु पर्यवेक्षण में सुधार और पिछली जलवायु अवधियों का पुनर्निर्माण।
  2. दीर्घकालीन जलवायु अनुमान में विद्यमान अनिश्चितता को घटाने के लिए जलवायु मॉडलों का पुनर्परिभाषित करना।
  3. यह सुनिश्चत करना कि जलवायु विज्ञान में प्रगति संपोषणीय विकास में योगदान।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 आज है विश्व मौसम विज्ञान दिवस (हिन्दी) पल पल इंडिया। अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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