चैत्य गृह: Difference between revisions

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[[चित्र:Chaitya Griha, Karle.jpg|thumb|300px|[[बौद्ध]] चैत्य गृह, कार्ले]]
*'''चैत्य गृह''', जिन्हें प्राय: 'गुहा मन्दिर' के नाम से भी जाना जाता है।
*'''चैत्य गृह''', जिन्हें प्राय: 'गुहा मन्दिर' के नाम से भी जाना जाता है।
*[[बौद्ध धर्म]] में [[बुद्ध]] की मूर्ति के निर्माण का विधान न होने से बुद्ध के प्रतीक के रूप में [[स्तूप]] पूजे जाते थे।
*[[बौद्ध धर्म]] में [[बुद्ध]] की मूर्ति के निर्माण का विधान न होने से बुद्ध के प्रतीक के रूप में [[स्तूप]] पूजे जाते थे।

Revision as of 14:56, 22 June 2011

[[चित्र:Chaitya Griha, Karle.jpg|thumb|300px|बौद्ध चैत्य गृह, कार्ले]]

  • चैत्य गृह, जिन्हें प्राय: 'गुहा मन्दिर' के नाम से भी जाना जाता है।
  • बौद्ध धर्म में बुद्ध की मूर्ति के निर्माण का विधान न होने से बुद्ध के प्रतीक के रूप में स्तूप पूजे जाते थे।
  • पूजार्थक स्तूप को सम्भवतः चैत्य कहा जाता था।
  • चैत्य गृह ध्यान, वन्दना आदि के लिए प्रयोग होता था।
  • चैत्य गृहों के समीप ही भिक्षु-भिक्षुणियों के निवास के लिए विहार का भी निर्माण होता था।

प्रकार

चैत्य गृह प्राय: दो प्रकार के हुआ करते थे-

  1. संरचनात्मक चैत्यगृह
  2. शैलकृत चैत्यगृह
  • शैलकृत चैत्यगृह को भी दो भागों में बाँटा जा सकता है-
  1. हीनयान परम्परा से सम्बन्धित चैत्यगृह
  2. महायान परम्परा से सम्बन्धित चैत्यगृह
  • दागोब - चैत्यों के अन्दर बने छोटे स्तूपों को दागोब कहा जाता था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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