अलाउद्दीन ख़ाँ: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 13: Line 13:
|संतान=[[अली अकबर ख़ाँ]]
|संतान=[[अली अकबर ख़ाँ]]
|कर्म भूमि=
|कर्म भूमि=
|कर्म-क्षेत्र=[[संगीत|शास्त्रीय संगीत]]  
|कर्म-क्षेत्र=[[सरोद]] वादक
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य फ़िल्में=
|मुख्य फ़िल्में=
Line 20: Line 20:
|विद्यालय=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्म भूषण]], [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]], [[पद्म विभूषण]]   
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्म भूषण]], [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]], [[पद्म विभूषण]]   
|प्रसिद्धि=[[सरोद वादक]]
|प्रसिद्धि=
|विशेष योगदान=अलाउद्दीन ख़ाँ [[सरोद]] वादक थे और उन्होंने [[संगीत|भारतीय संगीत]] के सबसे बड़े घरानों में से एक मैहर घराने की भी नींव रखी थी।  
|विशेष योगदान=अलाउद्दीन ख़ाँ [[सरोद]] वादक थे और उन्होंने [[संगीत|भारतीय संगीत]] के सबसे बड़े घरानों में से एक मैहर घराने की भी नींव रखी थी।  
|नागरिकता=भारतीय  
|नागरिकता=भारतीय  

Revision as of 12:20, 15 July 2013

अलाउद्दीन ख़ाँ
पूरा नाम उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ
प्रसिद्ध नाम अलाउद्दीन ख़ाँ
अन्य नाम बाबा अलाउद्दीन ख़ाँ
जन्म सन 1881
जन्म भूमि बांग्लादेश
मृत्यु 6 सितम्बर, 1972
संतान अली अकबर ख़ाँ
कर्म-क्षेत्र सरोद वादक
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्म विभूषण
विशेष योगदान अलाउद्दीन ख़ाँ सरोद वादक थे और उन्होंने भारतीय संगीत के सबसे बड़े घरानों में से एक मैहर घराने की भी नींव रखी थी।
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख पन्नालाल घोष, अली अकबर ख़ाँ, अमजद अली ख़ाँ, शिवकुमार शर्मा
अन्य जानकारी अलाउद्दीन ख़ाँ ने पंडित रविशंकर और अल्ला रक्खा ख़ाँ को भी शास्त्रीय संगीत सिखाया था फिर इन्होंने संगीत को देश के बाहर पूरी दुनिया में प्रचार-प्रसार करने का काम किया था।
अद्यतन‎

अलाउद्दीन ख़ाँ (जन्म सन 1881, मृत्यु 6 सितम्बर, 1972) सरोद वादक थे और उन्होंने भारतीय संगीत के सबसे बड़े घरानों में से एक मैहर घराने की भी नींव रखी थी। अलाउद्दीन ख़ाँ को सन 1958 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

जीवन परिचय

अलाउद्दीन ख़ाँ का जन्म सन 1881 में शिवपुर गांव में हुआ था जो भारत की आज़ादी के बाद बांग्लादेश में चला गया था। उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ के पिता का नाम हुसैन ख़ाँ था, जिसे लोग साधू ख़ाँ के नाम से भी जानते थे। महान उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ भारतीय संगीत के सबसे बड़े घरानों में से एक मैहर घराने की नींव रखी थी। इस घराने का का नाम मैहर राज्य की वजह से पड़ा जहाँ उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ ने अपना ज़्यादातर जीवन बिताया था।

लोकप्रिय संगीतकार

उस्ताद अलाउद्दीन ख़ाँ दरबारी संगीतकार होने के बावजूद आमजनों में संगीत को लोकप्रिय बनाने का जतन करते रहते थे। उन्होंने कुछ लोगों को विविध वाद्ययंत्र बजाना सिखाना शुरू किया, इन वाद्ययंत्रों में कई तो उन्होंने ही बनाए थे। सितार और सरोद के मेल से बैंजो सितार, बंदूक की नलियों से नलतरंग, उनकी मौलिक रचनाओं में शामिल हैं। 90 साल पुराने मैहर बैंड को अब 'वाद्य-वृंद' के रूप में जाना जाता है, वाद्य-वृंद में हारमोनियम, वायलिन, सितार, तबला, नलतरंग, इसराज जैसे वाद्ययंत्र बजाए जाते हैं।

उस्ताद अली अकबर ख़ाँ भारत में शास्त्रीय संगीत परंपरा के पितामह कहे जाने वाले बाबा अलाउद्दीन ख़ाँ साहेब के बेटे हैं, उन्हीं के संरक्षण में मैहर घराने की विरासत संभालते हुए अली अकबर ख़ान ने अपने पिता से संगीत सीखा। अलाउद्दीन ख़ाँ ने पंडित रविशंकर और अल्ला रक्खा ख़ाँ को भी शास्त्रीय संगीत सिखाया था। इन्होंने संगीत को देश के बाहर पूरी दुनिया में प्रचार-प्रसार करने का काम किया था।

सम्मान और पुरस्कार

निधन

अलाउद्दीन ख़ाँ की मृत्यु 6 सितम्बर, 1972 में हुई थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख