हिरोशिमा दिवस: Difference between revisions

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'''हिरोशिमा दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]:) 6 अगस्त को कहा जाता है। [[अमेरिका]] ने [[6 अगस्त]], [[1945]] के दिन [[जापान]] के हिरोशिमा नगर पर ‘लिटिल मैन’ नामक यूरेनियम बम गिराया था। इस बम के प्रभाव से 13 वर्ग कि.मी. में तबाही फ़ैल गयी थी। हिरोशिमा की 3.5 लाख आबादी में से एक लाख चालीस हज़ार लोग एक झटके में मरे गए थे। ये सब सैनिक नहीं थे। इनमें से अधिकाँश साधारण नागरिक, बच्चे, बूढ़े, औरतें, थीं। इसके बाद भी अनेक वर्षों तक अनगिनत लोग विकीर्ण के प्रभाव से मरते रहे। अमेरिका की क्रूरता का अंत इतने पर ही नहीं हो गया। उसे एक अन्य प्रकार के बम के प्रभावों को अभी और आज़माना था। इसलिए इस अमानवीय विनाश के तीन दिन बाद [[9 अगस्त]] को ‘फैट मैन’ नामक प्लूटोनियम बम नागासाकी पर गिराया गया जिस में अनुमानित 74 हज़ार लोग विस्फोट व गर्मी के कारण मारे गए। इनमें भी अधिकाँश निरीह नागरिक थे।  
'''हिरोशिमा दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Hiroshima Day'') '6 अगस्त' को कहा जाता है। [[अमेरिका]] ने [[6 अगस्त]], [[1945]] के दिन [[जापान]] के हिरोशिमा नगर पर ‘लिटिल बॉय’ नामक यूरेनियम बम गिराया था। इस बम के प्रभाव से 13 वर्ग कि.मी. में तबाही फ़ैल गयी थी। हिरोशिमा की 3.5 लाख की आबादी में से एक लाख चालीस हज़ार लोग एक झटके में ही मारे गए। ये सब सैनिक नहीं थे। इनमें से अधिकाँश साधारण नागरिक, बच्चे, बूढ़े तथा औरतें थीं। इसके बाद भी अनेक वर्षों तक अनगिनत लोग विकिरण के प्रभाव से मरते रहे। [[अमरीका]] इतने पर ही नहीं रुका। उसे एक अन्य प्रकार के बम के प्रभावों को अभी और आज़माना था। इसलिए इस अमानवीय विनाश के तीन दिन बाद ही [[9 अगस्त]] को ‘फैट मैन’ नामक प्लूटोनियम बम नागासाकी पर गिराया गया, जिसमें अनुमानित 74 हज़ार लोग विस्फोट व गर्मी के कारण मारे गए। इनमें भी अधिकाँश निरीह नागरिक थे।<ref>{{cite web |url=http://www.pravakta.com/general-destruction-hiroshima-day|title= महाविनाश 'हिरोशिमा दिवस'|accessmonthday= 28 जुलाई|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=प्रवक्ता.कॉम |language= हिन्दी}}</ref>
* इन दोनों बमों की विषैली गैसों का प्रभाव 18000 वर्ग कि.मी. तक फ़ैल गया था। बमों के विस्फोट से 20 ,000 फारेनहाईट गर्मी पैदा हुई थी जिसके प्रभाव से मकान आदि सबकुछ कागज़ की तरह जलने लगे थे। जंगल, मनुष्य और सभी प्राणी कुछ ही क्षणों में जल गए। पानी के सभी स्रोत कुछ ही क्षणों में भाप बन कर उड़ गए। जो पहले झटके में मरे उन्हें अधिक कष्ट नहीं उठाना पडा पर जो दूरी पर थे, वे बहुत देर तक मर्मान्तक पीड़ा को भुगतते रहे। विकीर्ण के कारण बाद में पैदा होने वाले विकृत, अपंग, विकलांग संतानों की पीड़ा का तो अनुमान लगाना भी कठिन है। जापान की देशभक्त जनता का एक कमाल है जो इस महा विनाश के बाद भी कुछ ही वर्षों में अपने पाँव पर खड़े हो गए, एक शक्तिशाली देश के रूप में अपनी पहचान बना ली।
==इतिहास==
हिरोशिमा को [[6 अगस्त]], [[1945]] तक [[जापान]] के एक औद्योगिक नगर के रूप में जाना जाता था। दूसरे विश्वयुद्ध के समय जापानी सेना की 5वीं डिविजन का यहाँ मुख्यालय था। यहाँ सैनिक छावनी भी थी और यह सैनिक आपूर्ति मार्ग का महत्वपूर्ण पड़ाव था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान 6 अगस्त से पूर्व इस नगर पर अमरीका ने बमबारी नहीं की थी, ताकि अणुबम से होने वाले नुकसान का सटीक आकलन किया जा सके। विश्व में पहली बार 6 अगस्त, 1945 को जब इस शहर पर 'लिटिल बॉय' नाम का अणुबम गिराया गया, तब जापान सरकार के राशन आपूर्ति के आँकड़ों के अनुसार शहर में कुल आबादी 2,55,000 थी। लेकिन इस शहर में लगातार सैनिक और सहायक मजदूर आ-जा रहे थे। गैर आधिकारिक आंकडों के अनुसार नगर की तत्कालीन आबादी 3,81,000 के आस-पास थी।<ref name="aa">{{cite web |url=https://antarbharti.wordpress.com/2009/08/30/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B8-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%87%E0%A4%B7/|title= निर्मम हमला या संहारक अस्त्र का परीक्षण ?|accessmonthday= 28 जुलाई|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=आंतर भारती |language= हिन्दी}}</ref>
====अमरीका की विमान कार्यवाही====
कमाण्डर कर्नल पॉल टिबेट्स की कमान में 6 अगस्त को अमरीकी सेना के विमान एनोला गे (बी-29) ने दक्षिण प्रशान्त के वायु सैनिक अड्डे 'टिनियन' से दो अन्य बी-29 विमानों के साथ उड़ान भरी। विमान का नाम 'एनोला गे' उसके पायलट पॉल टिबेट्स की माँ के नाम पर रखा गया था। साथ उड़ान भरने वाले विमानों में एक का नाम था- 'ग्रेट आर्टिस्ट'। अणुबम का प्रभाव नापने वाले यंत्रों-उपकरणों से सज्जित इस विमान को मेजर चार्ल्स स्वीनी उड़ा रहे थे। दूसरे अनाम विमान, बाद में जिसका नाम 'नेसेसरी इविल' रखा गया, में दुनिया को अणुबम की संहारक क्षमता और अमरीकी शक्ति के प्रमाण जुटाने के लिये उच्च क्षमता के कैमरे लगे हुए थे, इसके पायलट थे कैप्टन जॉर्ज मैक्वार्ड। टिनियन से उड़ान भरने के बाद तीनों विमानों ने इवोजिमा होते हुए जापान की वायुसीमा में प्रवेश किया। उस वक्त विमान 8,000 फिट की ऊँचाई पर उड़ रहे थे। हिरोशिमा के पास पहुँच कर विमान की उँचाई 32,300 फिट हो गयी। उड़ान के दौरान जलसेना के कैप्टन विलियम पार्सन्स ने विमान में लिटिल बॉय को फिट किया और लक्ष्य पर पहुँचने के 30 मिनिट पूर्व उनके सहायक सेकेण्ड लेफ्टिनेंट टेनेण्ट मॉरिस जैप्सन ने उस अणुबम पर लगे सुरक्षा उपकरणों को हटाकर उसे सक्रिय किया।
==हिरोशिमा पर हमला==
[[जापान]] के चेतावनी रडार ने हमले के लगभग एक घण्टे पूर्व दक्षिण जापान की ओर बढ़ रहे इन अमरीकी विमानों को चिन्हित करके सम्भावित हवाई हमले की रेडीयो से चेतावनी दे दी थी। सुबह लगभग 8 बजे हिरोशिमा के रडार चालक ने देखा कि विमानों की संख्या केवल तीन ही है, इसलिये उसने माना कि यह टोही विमान हैं और कोई हमला नहीं होने जा रहा। अपने ईधन और हवाई जहाजों को बचाने की दृष्टि से जापानी वायुसेना ने अमरीकी जहाजों पर प्रतिरोधी हवाई आक्रमण नहीं किया। अगर जापान के रडार पहचान लेते कि ये बमवर्षक विमान हैं तो शायद अधिक गम्भीर प्रयास किये जाते। लक्ष्य पर स्थानीय समय के अनुसार सुबह 8:15 पर बम फैंका गया।
 
60 किलोग्राम यूरेनियम-235 वाले लिटिल बॉय नामक अणुबम को हवाई जहाज से फैंके जाने के बाद शहर से लगभग 2,000 फिट की, फटने की ऊँचाई, तक पहुंचने में 57 सेकण्ड लगे। हवा के विपरीत बहाव के कारण यह अपने निर्धारित लक्ष्य 'इयोई ब्रिज' से करीब 800 फिट दूर 'शीमा सर्जिकल क्लिनिक' के ऊपर फटा। धमाका लगभग 13 किलोटन टी.एन.टी. के बराबर था। परिणामस्वरूप लगभग 1.6 कि.मी. का इलाका पूरी तरह ध्वस्त हो गया। 11 वर्ग कि.मी. का क्षेत्र आग की लपटों में घिरकर जल गया। अमरीकी अधिकारियों के अनुसार इस बम से 12 वर्ग कि.मी. का इलाका पूरी तरह ध्वस्त हुआ था। जापानी अधिकारियों ने दावा किया कि हिरोशिमा नगर की 69 प्रतिशत इमारतें पूरी तरह नष्ट हो गयीं और इसके अलावा 6-7 प्रतिशत भवनों को आंशिक क्षति पहुँची। इसके बावजूद अमरीकी वैज्ञानिकों के अनुसार यू-235 वाला यह अस्त्र नाकाम रहा, क्योंकि इसने ईधन के केवल 1.38 प्रतिशत का ही सक्रिय उपयोग किया था।
 
हमले के बाद [[7 अगस्त]] से [[9 अगस्त]] के बीच [[जापान]] के सम्राट हिरोहितो व उनकी युद्ध सलाहकार समिति समर्पण के स्वरूप और शर्तों पर विचार कर रही थी, लेकिन अमरीकी सरकार को अपने एक और बम का परीक्षण कर प्रभाव का सटीक आकलन करना था और उसे दुनिया को दिखाना भी था। इसलिए जापान के समर्पण तैयारी को जानते हुए भी [[9 अगस्त]] को दक्षिणी जापान के बन्दरगाह नगर नागासाकी पर 11 बजकर, 1 मिनट पर 6.4 किलो प्लूटोनियम-239 वाला 'फैट मैन' नाम का दूसरा बम गिराया गया। 43 सेकण्ड के बाद जमीन से 1,540 फिट की ऊँचाई पर यह बम फटा और इससे 21 किलोटन टी.एन.टी. के बराबर धमाका हुआ। परिणामस्वरूप 3,900 डिग्री सेल्सीयस की ऊष्मा उत्पन्‍न हुई और हवा की [[गति]] 1005 कि.मी. प्रतिघण्टे तक पहुँच गयी। इससे तत्काल हुई मौतों की संख्या का अनुमान 40,000 से 75,000 के बीच था। [[1945]] के अन्त तक यह आँकड़ा 80,000 तक जा पहुँचा।
====जापान का समर्पण====
[[17 अगस्त]] या [[8 अगस्त]] को [[जापान]] पर तीसरा अणु हमला होना था। इसी क्रम से [[सितम्बर]] में तीन और [[अक्टूबर]] में 3 हमले करने की भी योजना थीं। उधर जापान के सम्राट स्थिति को तुरन्त काबू में करना चाहते थे, जबकि सोवियत संघ ने भी जापान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। अन्तत: जापान ने [[14 अगस्त]] को समर्पण कर दिया। इस प्रकार जापान के समर्पण के साथ ही विश्व इतिहास के सर्वाधिक निर्मम आक्रमण और सर्वाधिक संहारक अस्त्र के परीक्षण का पटाक्षेप हुआ।




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==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://nishamittal.jagranjunction.com/2014/08/04/%E0%A4%AE%E0%A5%8C%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%B9%E0%A4%BF/ मौत के मुहाने पर विश्व, हिरोशिमा दिवस 6 अगस्त पर विशेष]
*[http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/5447/4/127#.VbdOMLOqpHw हिरोशिमा दिवस के अवसर पर : नाभिकीय ऊर्जा की असलियत]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
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Revision as of 11:32, 28 July 2015

हिरोशिमा दिवस (अंग्रेज़ी: Hiroshima Day) '6 अगस्त' को कहा जाता है। अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 के दिन जापान के हिरोशिमा नगर पर ‘लिटिल बॉय’ नामक यूरेनियम बम गिराया था। इस बम के प्रभाव से 13 वर्ग कि.मी. में तबाही फ़ैल गयी थी। हिरोशिमा की 3.5 लाख की आबादी में से एक लाख चालीस हज़ार लोग एक झटके में ही मारे गए। ये सब सैनिक नहीं थे। इनमें से अधिकाँश साधारण नागरिक, बच्चे, बूढ़े तथा औरतें थीं। इसके बाद भी अनेक वर्षों तक अनगिनत लोग विकिरण के प्रभाव से मरते रहे। अमरीका इतने पर ही नहीं रुका। उसे एक अन्य प्रकार के बम के प्रभावों को अभी और आज़माना था। इसलिए इस अमानवीय विनाश के तीन दिन बाद ही 9 अगस्त को ‘फैट मैन’ नामक प्लूटोनियम बम नागासाकी पर गिराया गया, जिसमें अनुमानित 74 हज़ार लोग विस्फोट व गर्मी के कारण मारे गए। इनमें भी अधिकाँश निरीह नागरिक थे।[1]

इतिहास

हिरोशिमा को 6 अगस्त, 1945 तक जापान के एक औद्योगिक नगर के रूप में जाना जाता था। दूसरे विश्वयुद्ध के समय जापानी सेना की 5वीं डिविजन का यहाँ मुख्यालय था। यहाँ सैनिक छावनी भी थी और यह सैनिक आपूर्ति मार्ग का महत्वपूर्ण पड़ाव था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान 6 अगस्त से पूर्व इस नगर पर अमरीका ने बमबारी नहीं की थी, ताकि अणुबम से होने वाले नुकसान का सटीक आकलन किया जा सके। विश्व में पहली बार 6 अगस्त, 1945 को जब इस शहर पर 'लिटिल बॉय' नाम का अणुबम गिराया गया, तब जापान सरकार के राशन आपूर्ति के आँकड़ों के अनुसार शहर में कुल आबादी 2,55,000 थी। लेकिन इस शहर में लगातार सैनिक और सहायक मजदूर आ-जा रहे थे। गैर आधिकारिक आंकडों के अनुसार नगर की तत्कालीन आबादी 3,81,000 के आस-पास थी।[2]

अमरीका की विमान कार्यवाही

कमाण्डर कर्नल पॉल टिबेट्स की कमान में 6 अगस्त को अमरीकी सेना के विमान एनोला गे (बी-29) ने दक्षिण प्रशान्त के वायु सैनिक अड्डे 'टिनियन' से दो अन्य बी-29 विमानों के साथ उड़ान भरी। विमान का नाम 'एनोला गे' उसके पायलट पॉल टिबेट्स की माँ के नाम पर रखा गया था। साथ उड़ान भरने वाले विमानों में एक का नाम था- 'ग्रेट आर्टिस्ट'। अणुबम का प्रभाव नापने वाले यंत्रों-उपकरणों से सज्जित इस विमान को मेजर चार्ल्स स्वीनी उड़ा रहे थे। दूसरे अनाम विमान, बाद में जिसका नाम 'नेसेसरी इविल' रखा गया, में दुनिया को अणुबम की संहारक क्षमता और अमरीकी शक्ति के प्रमाण जुटाने के लिये उच्च क्षमता के कैमरे लगे हुए थे, इसके पायलट थे कैप्टन जॉर्ज मैक्वार्ड। टिनियन से उड़ान भरने के बाद तीनों विमानों ने इवोजिमा होते हुए जापान की वायुसीमा में प्रवेश किया। उस वक्त विमान 8,000 फिट की ऊँचाई पर उड़ रहे थे। हिरोशिमा के पास पहुँच कर विमान की उँचाई 32,300 फिट हो गयी। उड़ान के दौरान जलसेना के कैप्टन विलियम पार्सन्स ने विमान में लिटिल बॉय को फिट किया और लक्ष्य पर पहुँचने के 30 मिनिट पूर्व उनके सहायक सेकेण्ड लेफ्टिनेंट टेनेण्ट मॉरिस जैप्सन ने उस अणुबम पर लगे सुरक्षा उपकरणों को हटाकर उसे सक्रिय किया।

हिरोशिमा पर हमला

जापान के चेतावनी रडार ने हमले के लगभग एक घण्टे पूर्व दक्षिण जापान की ओर बढ़ रहे इन अमरीकी विमानों को चिन्हित करके सम्भावित हवाई हमले की रेडीयो से चेतावनी दे दी थी। सुबह लगभग 8 बजे हिरोशिमा के रडार चालक ने देखा कि विमानों की संख्या केवल तीन ही है, इसलिये उसने माना कि यह टोही विमान हैं और कोई हमला नहीं होने जा रहा। अपने ईधन और हवाई जहाजों को बचाने की दृष्टि से जापानी वायुसेना ने अमरीकी जहाजों पर प्रतिरोधी हवाई आक्रमण नहीं किया। अगर जापान के रडार पहचान लेते कि ये बमवर्षक विमान हैं तो शायद अधिक गम्भीर प्रयास किये जाते। लक्ष्य पर स्थानीय समय के अनुसार सुबह 8:15 पर बम फैंका गया।

60 किलोग्राम यूरेनियम-235 वाले लिटिल बॉय नामक अणुबम को हवाई जहाज से फैंके जाने के बाद शहर से लगभग 2,000 फिट की, फटने की ऊँचाई, तक पहुंचने में 57 सेकण्ड लगे। हवा के विपरीत बहाव के कारण यह अपने निर्धारित लक्ष्य 'इयोई ब्रिज' से करीब 800 फिट दूर 'शीमा सर्जिकल क्लिनिक' के ऊपर फटा। धमाका लगभग 13 किलोटन टी.एन.टी. के बराबर था। परिणामस्वरूप लगभग 1.6 कि.मी. का इलाका पूरी तरह ध्वस्त हो गया। 11 वर्ग कि.मी. का क्षेत्र आग की लपटों में घिरकर जल गया। अमरीकी अधिकारियों के अनुसार इस बम से 12 वर्ग कि.मी. का इलाका पूरी तरह ध्वस्त हुआ था। जापानी अधिकारियों ने दावा किया कि हिरोशिमा नगर की 69 प्रतिशत इमारतें पूरी तरह नष्ट हो गयीं और इसके अलावा 6-7 प्रतिशत भवनों को आंशिक क्षति पहुँची। इसके बावजूद अमरीकी वैज्ञानिकों के अनुसार यू-235 वाला यह अस्त्र नाकाम रहा, क्योंकि इसने ईधन के केवल 1.38 प्रतिशत का ही सक्रिय उपयोग किया था।

हमले के बाद 7 अगस्त से 9 अगस्त के बीच जापान के सम्राट हिरोहितो व उनकी युद्ध सलाहकार समिति समर्पण के स्वरूप और शर्तों पर विचार कर रही थी, लेकिन अमरीकी सरकार को अपने एक और बम का परीक्षण कर प्रभाव का सटीक आकलन करना था और उसे दुनिया को दिखाना भी था। इसलिए जापान के समर्पण तैयारी को जानते हुए भी 9 अगस्त को दक्षिणी जापान के बन्दरगाह नगर नागासाकी पर 11 बजकर, 1 मिनट पर 6.4 किलो प्लूटोनियम-239 वाला 'फैट मैन' नाम का दूसरा बम गिराया गया। 43 सेकण्ड के बाद जमीन से 1,540 फिट की ऊँचाई पर यह बम फटा और इससे 21 किलोटन टी.एन.टी. के बराबर धमाका हुआ। परिणामस्वरूप 3,900 डिग्री सेल्सीयस की ऊष्मा उत्पन्‍न हुई और हवा की गति 1005 कि.मी. प्रतिघण्टे तक पहुँच गयी। इससे तत्काल हुई मौतों की संख्या का अनुमान 40,000 से 75,000 के बीच था। 1945 के अन्त तक यह आँकड़ा 80,000 तक जा पहुँचा।

जापान का समर्पण

17 अगस्त या 8 अगस्त को जापान पर तीसरा अणु हमला होना था। इसी क्रम से सितम्बर में तीन और अक्टूबर में 3 हमले करने की भी योजना थीं। उधर जापान के सम्राट स्थिति को तुरन्त काबू में करना चाहते थे, जबकि सोवियत संघ ने भी जापान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। अन्तत: जापान ने 14 अगस्त को समर्पण कर दिया। इस प्रकार जापान के समर्पण के साथ ही विश्व इतिहास के सर्वाधिक निर्मम आक्रमण और सर्वाधिक संहारक अस्त्र के परीक्षण का पटाक्षेप हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाविनाश 'हिरोशिमा दिवस' (हिन्दी) प्रवक्ता.कॉम। अभिगमन तिथि: 28 जुलाई, 2015।
  2. निर्मम हमला या संहारक अस्त्र का परीक्षण ? (हिन्दी) आंतर भारती। अभिगमन तिथि: 28 जुलाई, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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