विश्व आघात दिवस: Difference between revisions

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'''विश्व आघात दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''World Trauma Day'') प्रतिवर्ष [[17 अक्टूबर]] को मनाया जाता है। जीवन को सबसे नाज़ुक समय के दौरान बचाने और सुरक्षा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने तथा आघात से होने वाली मृत्यु से बचाने व बचने के लिये पूरे विश्व में यह मनाया जाता है। [[भारत]] में हर छह मिनट पर एक व्यक्ति सड़क दुर्घटना के कारण मौत का शिकार हो जाता है। [[दिल्ली]] की सड़कों पर फर्राटा भर रहे वाहनों ने वर्ष 2015 में छह सौ से अधिक लोगों की जान ले ली। वहीं आंकड़ों के मुताबिक [[जनवरी 2016]] से [[सितंबर]] तक करीब छह सौ लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2014 में यहां दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 546 थी। यह आंकड़े ट्रैफिक पुलिस से प्राप्त हुए है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन हादसों से बचने के लिए अगर वाहन चालक सिर्फ ट्रैफिक नियम का पालन करें तो 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।<ref name="Traumma">{{cite web |url=http://m.patrika.com/news/lucknow/world-trauma-day-2016-1-person-died-in-every-6-minute-due-to-road-accident-in-up-1422334/|title= विश्व ट्रॉमा दिवस|accessmonthday= 18 सितम्बर|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=patrika.com|language=हिन्दी}}</ref>
'''विश्व आघात दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''World Trauma Day'') प्रतिवर्ष [[17 अक्टूबर]] को मनाया जाता है। जीवन को सबसे नाज़ुक समय के दौरान बचाने और सुरक्षा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने तथा आघात से होने वाली मृत्यु से बचाने व बचने के लिये पूरे विश्व में यह दिवस मनाया जाता है। [[भारत]] में हर छह मिनट पर एक व्यक्ति सड़क दुर्घटना के कारण मौत का शिकार हो जाता है। [[दिल्ली]] की सड़कों पर फर्राटा भर रहे वाहनों ने वर्ष 2015 में छह सौ से अधिक लोगों की जान ले ली। वहीं आंकड़ों के मुताबिक [[जनवरी 2016]] से [[सितंबर]] तक करीब छह सौ लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2014 में यहां दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 546 थी। यह आंकड़े ट्रैफिक पुलिस से प्राप्त हुए है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन हादसों से बचने के लिए अगर वाहन चालक सिर्फ ट्रैफिक नियम का पालन करें तो 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।<ref name="Traumma">{{cite web |url=http://m.patrika.com/news/lucknow/world-trauma-day-2016-1-person-died-in-every-6-minute-due-to-road-accident-in-up-1422334/|title= विश्व ट्रॉमा दिवस|accessmonthday= 18 सितम्बर|accessyear= 2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=patrika.com|language=हिन्दी}}</ref>


संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर संजय बिहारी और प्रो.अरुण श्रीवास्तव के अनुसार सड़क हादसों के कारण होने वाली मौत में 70 फीसद लोगों की आयु 45 साल से कम होती है। सड़क दुर्घटना से लोगों को निजी व व्यावसायिक चालकों के व्यवहार में परिवर्तन लाकर, वैरियर, गति अवरोधक, सीट बेल्ट व हेलमेट लगाने की बाध्यता, चिकित्सकीय व आकस्मिक सेवाओं में सुधार, ब्रेथ (शराब पीने) परीक्षण सहित दूसरे उपायों पर जोर देकर ही बचाया जा सकता है।
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर संजय बिहारी और प्रो.अरुण श्रीवास्तव के अनुसार सड़क हादसों के कारण होने वाली मौत में 70 फीसद लोगों की आयु 45 साल से कम होती है। सड़क दुर्घटना से लोगों को निजी व व्यावसायिक चालकों के व्यवहार में परिवर्तन लाकर, वैरियर, गति अवरोधक, सीट बेल्ट व हेलमेट लगाने की बाध्यता, चिकित्सकीय व आकस्मिक सेवाओं में सुधार, ब्रेथ (शराब पीने) परीक्षण सहित दूसरे उपायों पर जोर देकर ही बचाया जा सकता है।
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==क्या न करें==
==क्या न करें==
#गाड़ी में बैठे अन्य लोगों से बातचीत करने से बचें।
#गाड़ी चलाते समय गाड़ी में बैठे अन्य लोगों से बातचीत करने से बचें।
#गाड़ी में लगे नियंत्रक उपकरणों में तालमेल रखें।
#गाड़ी में लगे नियंत्रक उपकरणों में तालमेल रखें।
#कुछ खाने या पीने से बचें।
#कुछ खाने या पीने से बचें।
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#वाहन चलाते समय स्टीरियो में कैसेट या सीडी न बदलें।<ref name="Traumma"/>
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==क्या करें==
==क्या करें==
#जहां तक संभव हो मानसिक तनाव देने वाली बातचीत से बचे
#जहां तक संभव हो मानसिक तनाव देने वाली बातचीत से बचे।
#एंटी एलर्जिक दवाओं का सेवन करने के बाद गाड़ी मत चलाए
#एंटी एलर्जिक दवाओं का सेवन करने के बाद गाड़ी मत चलाएं।
#सेल फोन पर बात करना हो तो पहले गाड़ी सुरक्षित स्थान पर खड़ी करें
#सेल फोन पर बात करना हो तो पहले गाड़ी सुरक्षित स्थान पर खड़ी करें।
#सीट बेल्ट व हेलमेट के प्रयोग में कोताही न बरतें
#सीट बेल्ट व हेलमेट के प्रयोग में कोताही न बरतें।
#शराब या दूसरे किसी नशे का सेवन कर गाड़ी कभी मत चलाए
#शराब या दूसरे किसी नशे का सेवन कर गाड़ी कभी मत चलाए।
#दुर्घटना में शिकार व्यक्ति को उठाने में सावधानी बरतें, बाहरी रक्तस्नाव को रोकने के लिए उस स्थान पर कपड़ा बांध दें।
#दुर्घटना में शिकार व्यक्ति को उठाने में सावधानी बरतें, बाहरी रक्तस्नाव को रोकने के लिए उस स्थान पर कपड़ा बांध दें।
#अपने मोबाइल फोन को ऐसी जगह रखे जहां से आसानी से देख सकें
#अपने मोबाइल फोन को ऐसी जगह रखे जहां से आसानी से देख सकें।
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==सावधानी बरतें==
==सावधानी बरतें==

Revision as of 10:43, 18 October 2016

विश्व आघात दिवस
विवरण विश्व आघात दिवस प्रतिवर्ष 17 अक्टूबर को मनाया जाता है। जीवन को सबसे नाज़ुक समय के दौरान बचाने और सुरक्षा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने तथा आघात से होने वाली मृत्यु से बचाने व बचने के लिये पूरे विश्व में यह मनाया जाता है।
उद्देश्य दुनिया भर में लोगों को किसी भी मानसिक या शारीरिक चोट के प्रति जागरूक करना और जनहित को ध्यान में रखते हुए सरकार को स्वास्थ्य नीतियों के निर्माण के लिए प्रेरित करना।
तिथि 17 अक्टूबर
संबंधित लेख विश्व स्वास्थ्य दिवस
अन्य जानकारी जनवरी 2016 से सितंबर तक करीब छह सौ लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2014 में यहां दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 546 थी। यह आंकड़े ट्रैफिक पुलिस से प्राप्त हुए है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन हादसों से बचने के लिए अगर वाहन चालक सिर्फ ट्रैफिक नियम का पालन करें तो 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
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विश्व आघात दिवस (अंग्रेज़ी: World Trauma Day) प्रतिवर्ष 17 अक्टूबर को मनाया जाता है। जीवन को सबसे नाज़ुक समय के दौरान बचाने और सुरक्षा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने तथा आघात से होने वाली मृत्यु से बचाने व बचने के लिये पूरे विश्व में यह दिवस मनाया जाता है। भारत में हर छह मिनट पर एक व्यक्ति सड़क दुर्घटना के कारण मौत का शिकार हो जाता है। दिल्ली की सड़कों पर फर्राटा भर रहे वाहनों ने वर्ष 2015 में छह सौ से अधिक लोगों की जान ले ली। वहीं आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2016 से सितंबर तक करीब छह सौ लोगों की मौत हो चुकी है। वर्ष 2014 में यहां दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 546 थी। यह आंकड़े ट्रैफिक पुलिस से प्राप्त हुए है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन हादसों से बचने के लिए अगर वाहन चालक सिर्फ ट्रैफिक नियम का पालन करें तो 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।[1]

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर संजय बिहारी और प्रो.अरुण श्रीवास्तव के अनुसार सड़क हादसों के कारण होने वाली मौत में 70 फीसद लोगों की आयु 45 साल से कम होती है। सड़क दुर्घटना से लोगों को निजी व व्यावसायिक चालकों के व्यवहार में परिवर्तन लाकर, वैरियर, गति अवरोधक, सीट बेल्ट व हेलमेट लगाने की बाध्यता, चिकित्सकीय व आकस्मिक सेवाओं में सुधार, ब्रेथ (शराब पीने) परीक्षण सहित दूसरे उपायों पर जोर देकर ही बचाया जा सकता है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, देश में हर साल दस लाख लोग हेड इंजरी के शिकार होते हैं, जिनमें से 75 से 80 फीसद लोगों में सड़क दुर्घटना के कारण होती है। हेड इंजरी के शिकार 50 फीसद लोग मर जाते हैं तो 25 फीसद लोग विकलांग हो जाते हैं। यह आंकड़े आपको डराने के लिए नहीं बल्कि सचेत करने के लिए बताए जा रहे हैं। इन आंकड़ों में आप की सावधानी कमी ला सकती है। पिछले दो दशकों में सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मौत व बीमारियों में 64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।[1]

सड़क दुर्घटना के कारण मौतें

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर साल जितने लोग बीमार होते हैं उनमें से 2.6 प्रतिशत लोग सड़क दुर्घटना के कारण बीमार होते हैं।
  • प्रतिवर्ष कुल जितनी मौत होती हैं उनमें से 23 प्रतिशत लोग सड़क दुर्घटना के शिकार होते हैं।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क दुर्घटना के कुल 41 फीसद मामलों में वाहन की तेज गति मौत का कारण बनता है।
  • सड़क दुर्घटना के कारण मौत के शिकार होने वाले 30 फीसद मामलों में दो पहिया वाहन होते है और साइकिल तीन फीसद होती है।
  • हेलमेट पहने से सिर पर गंभीर चोट की आशंका 72 फीसद और मौत की आशंका 39 फीसद तक कम हो जाती है।[1]

उल्लेखनीय तथ्य

  • दुर्घटना ग्रस्त 85 से 90 फीसद लोगों की मौत की कमी का कारण शरीर में आक्सीजन की कमी देखी गई है।
  • 160 फीसद में हेड इंजरी 1 सड़क दुर्घटना के शिकार 60 प्रतिशत लोगों को हेड इंजरी होती है।
  • 30 प्रतिशत लोगों की रीढ़ की हड्डी में आघात होता है। 10 प्रतिशत लोगों के हाथ-पैर में फ्रैक्चर होता है।
  • हेड इंजरी व रीढ़ की हड्डी में चोट ही व्यक्ति को मौत की तरफ ले जाती है।
  • श्वसन तंत्र बाधित होने के कारण दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति का इलाज प्रभावित होता है।[1]

क्या न करें

  1. गाड़ी चलाते समय गाड़ी में बैठे अन्य लोगों से बातचीत करने से बचें।
  2. गाड़ी में लगे नियंत्रक उपकरणों में तालमेल रखें।
  3. कुछ खाने या पीने से बचें।
  4. नींद आने पर गाड़ी को सड़क किनारे रोक दें।
  5. मोबाइल फोन पर बात करते हुए गाड़ी न चलाएं।
  6. वाहन चलाते समय स्टीरियो में कैसेट या सीडी न बदलें।[1]

क्या करें

  1. जहां तक संभव हो मानसिक तनाव देने वाली बातचीत से बचे।
  2. एंटी एलर्जिक दवाओं का सेवन करने के बाद गाड़ी मत चलाएं।
  3. सेल फोन पर बात करना हो तो पहले गाड़ी सुरक्षित स्थान पर खड़ी करें।
  4. सीट बेल्ट व हेलमेट के प्रयोग में कोताही न बरतें।
  5. शराब या दूसरे किसी नशे का सेवन कर गाड़ी कभी मत चलाए।
  6. दुर्घटना में शिकार व्यक्ति को उठाने में सावधानी बरतें, बाहरी रक्तस्नाव को रोकने के लिए उस स्थान पर कपड़ा बांध दें।
  7. अपने मोबाइल फोन को ऐसी जगह रखे जहां से आसानी से देख सकें।
  8. गाड़ी चलाते समय हैंड फ्री सेट का प्रयोग करें[1]

सावधानी बरतें

  1. दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट का प्रयोग करें।
  2. चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट का अवश्य लगाएं।
  3. 40 से अधिक स्पीड में वाहन न चलाएं।
  4. बायें से ओवरटेक न करें।
  5. शराब पीकर वाहन कतई न चलाएं।
  6. ब्रेकर पर स्पीड धीमी कर दें।
  7. साइड मिलने पर ही ओवरटेक करें।
  8. ट्रैफिक सिग्नल का पालन करें।
  9. वाहनों में फाग लाइट का प्रयोग करें।
  10. हाईवे पर 20-30 की स्पीड में ही वाहन चलाएं।
  11. सड़क किनारे वाहन पार्क करते समय आगे पीछे के डिपर जला कर रखें।
  12. वाहन चलाते समय लो बीम लाइट का प्रयोग करें।
  13. वाहन चलाते समय सड़क पर बनी रोड साइन (पीले रंग पट्टी) को देखते हुए चलें, क्योंकि पीली पट्टी लाइट पड़ने पर चमकती है। इससे आपको सड़क के गड्ढे और ऊबड़-खाबड़ होने के बारे में पता चलता है।
  14. सर्दी आते ही शहर के बाहरी इलाकों समेत अंदर की सड़कों पर घना कोहरा छा जाता है, जिस कारण वाहन चलाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 1.3 1.4 1.5 1.6 विश्व ट्रॉमा दिवस (हिन्दी) patrika.com। अभिगमन तिथि: 18 सितम्बर, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

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