विश्व कठपुतली दिवस: Difference between revisions
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'''विश्व कठपुतली दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''World Puppetry Day'') प्रत्येक वर्ष [[21 मार्च]] को मनाया जाता है। '[[कठपुतली]]' का खेल अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल है, जो समस्त सभ्य संसार में [[प्रशांत महासागर]] के पश्चिमी तट से पूर्वी तट तक-व्यापक रूप प्रचलित रहा है। यह खेल गुड़ियों अथवा पुतलियों (पुत्तलिकाओं) द्वारा खेला जाता है। गुड़ियों के नर मादा रूपों द्वारा जीवन के अनेक प्रसंगों की, विभिन्न विधियों से, इसमें अभिव्यक्ति की जाती है और जीवन को नाटकीय विधि से मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। कठपुतलियाँ या तो लकड़ी की होती हैं या पेरिस-प्लास्टर की या [[काग़ज़]] की लुग्दी<ref>पेपर मैशे</ref> की। उसके शरीर के भाग इस प्रकार जोड़े जाते हैं कि उनसे बँधी डोर खींचने पर वे अलग-अलग हिल सकें। | '''विश्व कठपुतली दिवस''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''World Puppetry Day'') प्रत्येक वर्ष [[21 मार्च]] को मनाया जाता है। '[[कठपुतली]]' का खेल अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल है, जो समस्त सभ्य संसार में [[प्रशांत महासागर]] के पश्चिमी तट से पूर्वी तट तक-व्यापक रूप प्रचलित रहा है। यह खेल गुड़ियों अथवा पुतलियों (पुत्तलिकाओं) द्वारा खेला जाता है। गुड़ियों के नर मादा रूपों द्वारा जीवन के अनेक प्रसंगों की, विभिन्न विधियों से, इसमें अभिव्यक्ति की जाती है और जीवन को नाटकीय विधि से मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। कठपुतलियाँ या तो लकड़ी की होती हैं या पेरिस-प्लास्टर की या [[काग़ज़]] की लुग्दी<ref>पेपर मैशे</ref> की। उसके शरीर के भाग इस प्रकार जोड़े जाते हैं कि उनसे बँधी डोर खींचने पर वे अलग-अलग हिल सकें। | ||
==कठपुतली कला== | ==कठपुतली कला== | ||
कुछ समय पहले तक लोग कठपुतली कला को केवल मनोरंजन का एक साधन मानते थे परंतु अब यह कला करियर का रूप लेती जा रही है। अब यह मनमोहक कला [[भारत]] के साथ-साथ विदेशों में भी लोकप्रिय होती जा रही है। कठपुतली का खेल दिखाने वाले को कठपुतली कलाकार या पपेटियर कहते हैं। वर्तमान में कठपुतली शो टेलीविजन एवं फिल्मों में | कुछ समय पहले तक लोग कठपुतली कला को केवल मनोरंजन का एक साधन मानते थे परंतु अब यह कला करियर का रूप लेती जा रही है। अब यह मनमोहक कला [[भारत]] के साथ-साथ विदेशों में भी लोकप्रिय होती जा रही है। कठपुतली का खेल दिखाने वाले को कठपुतली कलाकार या पपेटियर कहते हैं। वर्तमान में कठपुतली शो टेलीविजन एवं फिल्मों में काफ़ी लोकप्रिय हो रहे हैं जैसे एनडीटीवी का पपेट शो 'गुस्ताखी माफ' तथा स्टार वन के लाफ्टर शो का रेंचो आदि। | ||
Revision as of 11:00, 5 July 2017
विश्व कठपुतली दिवस
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विवरण | 'कठपुतली' का खेल अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल है, जो समस्त सभ्य संसार में प्रशांत महासागर के पश्चिमी तट से पूर्वी तट तक-व्यापक रूप प्रचलित रहा है। |
तिथि | 21 मार्च |
पहली बार | वर्ष 2013 |
अन्य जानकारी | भारत में पारंपरिक पुतली नाटकों की कथावस्तु में पौराणिक साहित्य, लोककथाएँ और किवदंतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। पहले अमर सिंह राठौड़, पृथ्वीराज, हीर-रांझा, लैला-मजनूं और शीरीं-फ़रहाद की कथाएँ ही कठपुतली खेल में दिखाई जाती थीं। |
विश्व कठपुतली दिवस (अंग्रेज़ी: World Puppetry Day) प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। 'कठपुतली' का खेल अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल है, जो समस्त सभ्य संसार में प्रशांत महासागर के पश्चिमी तट से पूर्वी तट तक-व्यापक रूप प्रचलित रहा है। यह खेल गुड़ियों अथवा पुतलियों (पुत्तलिकाओं) द्वारा खेला जाता है। गुड़ियों के नर मादा रूपों द्वारा जीवन के अनेक प्रसंगों की, विभिन्न विधियों से, इसमें अभिव्यक्ति की जाती है और जीवन को नाटकीय विधि से मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। कठपुतलियाँ या तो लकड़ी की होती हैं या पेरिस-प्लास्टर की या काग़ज़ की लुग्दी[1] की। उसके शरीर के भाग इस प्रकार जोड़े जाते हैं कि उनसे बँधी डोर खींचने पर वे अलग-अलग हिल सकें।
कठपुतली कला
कुछ समय पहले तक लोग कठपुतली कला को केवल मनोरंजन का एक साधन मानते थे परंतु अब यह कला करियर का रूप लेती जा रही है। अब यह मनमोहक कला भारत के साथ-साथ विदेशों में भी लोकप्रिय होती जा रही है। कठपुतली का खेल दिखाने वाले को कठपुतली कलाकार या पपेटियर कहते हैं। वर्तमान में कठपुतली शो टेलीविजन एवं फिल्मों में काफ़ी लोकप्रिय हो रहे हैं जैसे एनडीटीवी का पपेट शो 'गुस्ताखी माफ' तथा स्टार वन के लाफ्टर शो का रेंचो आदि।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पेपर मैशे
बाहरी कड़ियाँ
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