विश्व थैलेसिमिया दिवस

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:52, 2 January 2018 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "जरूर" to "ज़रूर")
Jump to navigation Jump to search
विश्व थैलेसिमिया दिवस
विवरण थैलेसिमिया रोग के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यह बीमारी आनुवांशिक है, रिश्तेदारी के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है।
तिथि 8 मई
संबंधित लेख विश्व अस्थमा दिवस, विश्व क्षयरोग दिवस, विश्व कैंसर दिवस, विश्व एड्स दिवस, विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस, विश्व पोलियो दिवस, विश्व मलेरिया दिवस, विश्व मधुमेह दिवस
अन्य जानकारी एक शोध के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष लगभग 8 से 10 थैलेसिमिया रोगी जन्म लेते हैं। वर्तमान में भारत में लगभग 2,25,000 बच्चे थैलेसिमिया रोग से ग्रस्त हैं।

विश्व थैलेसिमिया दिवस (अंग्रेज़ी: World Thalassemia Day) प्रत्येक वर्ष 8 मई को मनाया जाता है। थैलेसिमिया रोग के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। यह बीमारी आनुवांशिक है, रिश्तेदारी के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। बीमारी का जन्म शिशु के साथ होता है, जो उम्रभर साथ नहीं छोड़ती। इसका सिर्फ एक समाधान है, रिश्तों में सावधानी। यह बीमारी कुछ विशेष समुदायों में है। उन समुदायों के रिवाज ही इस बीमारी को रोक सकते हैं।

थैलेसिमिया

  1. REDIRECTसाँचा:मुख्य

थैलेसिमिया एक आनुवांशिक बीमारी है, जो माता-पिता से संतान को होती है। इस बीमारी से ग्रस्त शरीर में लाल रक्त कण बनने बंद हो जाते हैं। इससे शरीर में रक्त की कमी आ जाती है। बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है। रंग पीला पड़ जाता है। इस रोग से बच्चों में जिगर, तिल्ली और हृदय की साइज बढ़ने, शरीर में चमड़ी का रंग काला पड़ने जैसी विकट स्थितियां पैदा होती हैं। इस रोग को लेकर महिला के प्रसव से पूर्व ध्यान रखने की ज़रूरत है। एक शोध के मुताबिक भारत में प्रति वर्ष लगभग 8 से 10 थैलेसिमिया रोगी जन्म लेते हैं। वर्तमान में भारत में लगभग 2,25,000 बच्चे थैलेसिमिया रोग से ग्रस्त हैं। बच्चे में 6 माह, 18 माह के भीतर थैलेसिमिया का लक्षण प्रकट होने लगता है। बच्चा पीला पड़ जाता है, पूरी नींद नहीं लेता, खाना-पीना अच्छा नहीं लगता है, बच्चे को उल्टियां, दस्त और बुखार से पीड़ित हो जाता है। आनुवांशिक मार्गदर्शन और थैलेसिमिया माइनर का दवाइयों से उपचार संभव है। थैलेसिमिया रोग से बचने के लिए माता-पिता का डीएनए परीक्षण कराना अनिवार्य होता है। साथ ही रिश्तेदारों का भी डीएनए परीक्षण करवाकर रोग पर प्रभावी नियंत्रण संभव है। विवाह से पूर्व जन्मपत्री मिलाने के साथ-साथ दूल्हे और दुल्हन का एचबीए- 2 का टेस्ट कराना चाहिए।[1]

सावधानियाँ

रोगी को बार-बार खून चढ़ाने से शरीर में लौह तत्त्व की मात्रा बढ़ जाती है। इसलिए रोगी को हरी पत्तेदार सब्जी, गुड़, मांस, अनार, तरबूज, चीकू कम देना चाहिए।

इलाज

बोन मेरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplantation) से इसका इलाज संभव है। इलाज की यह पद्धति काफ़ी महंगी है। अब वैज्ञानिक नई तकनीक पर प्रयोग कर रहे हैं, जिसका नाम स्टेम सैल थैरेपी है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आनुवांशिक रोग है थैलेसिमिया (हिन्दी) दैनिक भास्कर। अभिगमन तिथि: 11 मई, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः