शिवकुमार शर्मा: Difference between revisions
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}} | }}'''शिवकुमार शर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shivkumar Sharma'', जन्म- [[13 जनवरी]], [[1938]]; मृत्यु- [[10 मई]], [[2022]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध [[संतूर]] वादक थे। आज संतूर की लोकप्रियता का सर्वाधिक श्रेय शिवकुमार शर्मा को ही जाता है। उन्होंने संतूर को [[भारतीय शास्त्रीय संगीत]] के अनुकूल बनाने के लिये इसमें कुछ परिवर्तन भी किये थे। शिवकुमार शर्मा ने अपने पिता उमादत्त शर्मा से शिक्षा प्राप्त करके सन्तूर वादन की ‘तकनीक और टोन‘ को उन्नत बनाया और अपने चिन्तन तथा प्रयोगों से इस कश्मीरी लोक वाद्य को व्यापकता प्रदान की थी, जिससे यह शास्त्रीय संगीत रागदारी की सर्वांगीण प्रस्तुति में पूर्णत: सक्षम वाद्य बन गया। शिवकुमार शर्मा जी को [[ध्रुपद]], [[ख्याल]] तथा [[ठुमरी]] आदि की शिक्षा भी मिली थी। | ||
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==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को [[जम्मू]] में हुआ था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय गायिका थीं जो बनारस घराने से संबंध रखती थीं। 4 वर्ष कि अल्पायु से ही शिवकुमार शर्मा ने अपने पिता से गायन व [[तबला]] वादन सीखना प्रारंभ कर दिया था। शिवकुमार शर्मा ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनकी माँ का यह सपना था कि वे भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजाने वाले प्रथम संगीतज्ञ बनें। इस प्रकार उन्होंने 13 वर्ष की आयु में संतूर सीखना शुरू कर दिया तथा अपनी माँ का सपना पूरा किया। | शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को [[जम्मू]] में हुआ था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय गायिका थीं जो [[बनारस घराना|बनारस घराने]] से संबंध रखती थीं। 4 वर्ष कि अल्पायु से ही शिवकुमार शर्मा ने अपने पिता से गायन व [[तबला]] वादन सीखना प्रारंभ कर दिया था। शिवकुमार शर्मा ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनकी माँ का यह सपना था कि वे भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजाने वाले प्रथम संगीतज्ञ बनें। इस प्रकार उन्होंने 13 वर्ष की आयु में संतूर सीखना शुरू कर दिया तथा अपनी माँ का सपना पूरा किया। | ||
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शिवकुमार शर्मा ने अपनी प्रथम सार्वजनिक प्रस्तुति [[मुंबई]] में वर्ष 1955 में दी। | शिवकुमार शर्मा ने अपनी प्रथम सार्वजनिक प्रस्तुति [[मुंबई]] में वर्ष 1955 में दी। | ||
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==सम्मान एवं पुरस्कार== | ==सम्मान एवं पुरस्कार== | ||
शिवकुमार शर्मा को कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका | शिवकुमार शर्मा को कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है- | ||
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==पिता-पुत्र की जुगलबंदी== | ==पिता-पुत्र की जुगलबंदी== | ||
शिवकुमार शर्मा ने अपने पुत्र राहुल शर्मा को अपना शिष्य बनाया और संतूर-वादन में पारंगत किया। शिवकुमार शर्मा ने अपने अनोखे संतूर वादन की कला अपने सुपुत्र राहुल को प्रदान की। [[पिता]]-[[पुत्र]] की यह जोड़ी वर्ष 1996 से साथ-साथ संतूर-वादन में जुगलबंदी करते रहे हैं। | शिवकुमार शर्मा ने अपने पुत्र राहुल शर्मा को अपना शिष्य बनाया और संतूर-वादन में पारंगत किया। शिवकुमार शर्मा ने अपने अनोखे संतूर वादन की कला अपने सुपुत्र राहुल को प्रदान की। [[पिता]]-[[पुत्र]] की यह जोड़ी वर्ष 1996 से साथ-साथ संतूर-वादन में जुगलबंदी करते आ रहे हैं। | ||
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शिवकुमार शर्मा [[संतूर]] के महारथी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी थे। एकमात्र उन्हें संतूर को लोकप्रिय शास्त्रीय वाद्य बनाने में पूरा श्रेय जाता है। उन्होंने संगीत साधना आरंभ करते समय कभी संतूर के विषय में सोचा भी नहीं था, इनके पिता ने ही निश्चय किया कि ये संतूर बजाया करें। इनका प्रथम एकल एल्बम [[19600 में आया था। [[1965]] में उन्होंने निर्देशक वी. शांताराम की नृत्य-संगीत के लिए प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म 'झनक झनक पायल बाजे' का संगीत दिया था। सन [[1967]] में शिवकुमार शर्मा ने प्रसिद्ध बांसुरी वादक [[पंडित हरिप्रसाद चौरसिया]] और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से एल्बम 'कॉल ऑफ द वैली' बनाया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है। उन्होंने पं. हरिप्रसाद चौरसिया के साथ कई हिन्दी फिल्मों में संगीत दिया। | |||
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Latest revision as of 09:46, 10 May 2022
शिवकुमार शर्मा
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पूरा नाम | पंडित शिवकुमार शर्मा |
जन्म | 13 जनवरी, 1938 |
जन्म भूमि | जम्मू, भारत |
मृत्यु | 10 मई, 2022 |
अभिभावक | उमा दत्त शर्मा |
पति/पत्नी | मनोरमा |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | संगीत |
मुख्य फ़िल्में | फासले, सिलसिला, लम्हे, चांदनी, डर आदि |
पुरस्कार-उपाधि | संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म विभूषण |
प्रसिद्धि | संतूर वादक |
नागरिकता | भारतीय |
सक्रिय वर्ष | 1955-2022 |
प्रथम प्रस्तुति | मुंबई में वर्ष 1955 में |
शिवकुमार शर्मा (अंग्रेज़ी: Shivkumar Sharma, जन्म- 13 जनवरी, 1938; मृत्यु- 10 मई, 2022) भारत के प्रसिद्ध संतूर वादक थे। आज संतूर की लोकप्रियता का सर्वाधिक श्रेय शिवकुमार शर्मा को ही जाता है। उन्होंने संतूर को भारतीय शास्त्रीय संगीत के अनुकूल बनाने के लिये इसमें कुछ परिवर्तन भी किये थे। शिवकुमार शर्मा ने अपने पिता उमादत्त शर्मा से शिक्षा प्राप्त करके सन्तूर वादन की ‘तकनीक और टोन‘ को उन्नत बनाया और अपने चिन्तन तथा प्रयोगों से इस कश्मीरी लोक वाद्य को व्यापकता प्रदान की थी, जिससे यह शास्त्रीय संगीत रागदारी की सर्वांगीण प्रस्तुति में पूर्णत: सक्षम वाद्य बन गया। शिवकुमार शर्मा जी को ध्रुपद, ख्याल तथा ठुमरी आदि की शिक्षा भी मिली थी।
जीवन परिचय
शिवकुमार शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1938 को जम्मू में हुआ था। शिवकुमार शर्मा की माता जी श्रीमती उमा दत्त शर्मा स्वयं एक शास्त्रीय गायिका थीं जो बनारस घराने से संबंध रखती थीं। 4 वर्ष कि अल्पायु से ही शिवकुमार शर्मा ने अपने पिता से गायन व तबला वादन सीखना प्रारंभ कर दिया था। शिवकुमार शर्मा ने एक साक्षात्कार में बताया था कि उनकी माँ का यह सपना था कि वे भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजाने वाले प्रथम संगीतज्ञ बनें। इस प्रकार उन्होंने 13 वर्ष की आयु में संतूर सीखना शुरू कर दिया तथा अपनी माँ का सपना पूरा किया।
प्रथम प्रस्तुति
शिवकुमार शर्मा ने अपनी प्रथम सार्वजनिक प्रस्तुति मुंबई में वर्ष 1955 में दी।
फ़िल्मों में संगीत
शिवकुमार शर्मा ने फासले, सिलसिला, लम्हे, चांदनी, डर आदि हिन्दी फ़िल्मों में प्रसिद्ध संगीत दिया है।
सम्मान एवं पुरस्कार
शिवकुमार शर्मा को कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है-
- सन 1985 में उन्हें अमरीका के बोल्टिमोर शहर की सम्माननीय नागरिकता प्रदान की गई।
- सन 1986 में शिवकुमार शर्मा को 'संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- सन 1991 में उन्हें 'पद्मश्री पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- सन 2001 में उन्हें 'पद्म विभूषण पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
पिता-पुत्र की जुगलबंदी
शिवकुमार शर्मा ने अपने पुत्र राहुल शर्मा को अपना शिष्य बनाया और संतूर-वादन में पारंगत किया। शिवकुमार शर्मा ने अपने अनोखे संतूर वादन की कला अपने सुपुत्र राहुल को प्रदान की। पिता-पुत्र की यह जोड़ी वर्ष 1996 से साथ-साथ संतूर-वादन में जुगलबंदी करते आ रहे हैं।
अच्छे गायक
शिवकुमार शर्मा संतूर के महारथी होने के साथ साथ एक अच्छे गायक भी थे। एकमात्र उन्हें संतूर को लोकप्रिय शास्त्रीय वाद्य बनाने में पूरा श्रेय जाता है। उन्होंने संगीत साधना आरंभ करते समय कभी संतूर के विषय में सोचा भी नहीं था, इनके पिता ने ही निश्चय किया कि ये संतूर बजाया करें। इनका प्रथम एकल एल्बम [[19600 में आया था। 1965 में उन्होंने निर्देशक वी. शांताराम की नृत्य-संगीत के लिए प्रसिद्ध हिन्दी फिल्म 'झनक झनक पायल बाजे' का संगीत दिया था। सन 1967 में शिवकुमार शर्मा ने प्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया और पंडित बृजभूषण काबरा की संगत से एल्बम 'कॉल ऑफ द वैली' बनाया, जो शास्त्रीय संगीत में बहुत ऊंचे स्थान पर गिना जाता है। उन्होंने पं. हरिप्रसाद चौरसिया के साथ कई हिन्दी फिल्मों में संगीत दिया।
मृत्यु
पंडित शिवकुमार शर्मा का निधन 10 मई, 2022 को हुआ। पिछले ढाई साल से लॉकडाउन और कोविड काल में तो पंडित जी घर से भी बहुत कम निकले। पिछले छह महीनों से उनको गुर्दे से संबंधित परेशानी थी। हालांकि उम्र संबंधी परेशानियों और किडनी की समस्या की वजह से उन्हें डायलिसिस भी करानी पड़ी थी। शिवकुमार शर्मा का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ।
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वीथिका
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शिवकुमार शर्मा
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शिवकुमार शर्मा
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जुगलबंदी करते शिवकुमार शर्मा और राहुल शर्मा
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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