चिश्ती सम्प्रदाय: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 11: Line 11:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{इस्लाम धर्म}}{{धर्म}}
{{इस्लाम धर्म}}{{धर्म}}
[[Category:इस्लाम धर्म]][[Category:इस्लाम धर्म कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इस्लाम धर्म]][[Category:इस्लाम धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]][[Category:इतिहास कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Revision as of 13:17, 21 March 2014

चिश्ती सम्प्रदाय भारत का सबसे प्राचीन सिलसिला है। यह 'बा-शर सिलसिला' की एक शाखा था। भारत में यह सम्प्रदाय सबसे अधिक प्रसिद्ध है। इनके आध्यात्मिक केन्द्र भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में फैले हुए हैं। ख़्वाजा अबू ईसहाक़ सामी चिश्ती (मृत्यु 940 ई.) या उनके शिष्य ख़्वाजा अबू अहमद अब्दाल चिश्त (874-965 ई.) का नाम इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक के रूप में लिया जाता है। अफ़ग़ानिस्तान के 'चिश्त' नामक नगर में इस सम्प्रदाय की नींव रखी गई थी। यह नगर हेरात के निकट हरी-रोद के घाट पर स्थित है।

स्थापना

1192 ई. में मुहम्मद ग़ोरी के साथ ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भारत आये थे। उन्होंने यहाँ ‘चिश्तिया परम्परा’ की स्थापना की। उनकी गतिविधियों का मुख्य केन्द्र अजमेर था। इन्हें 'गरी-ए-नवाज' भी कहा जाता है। साथ ही अन्य केन्द्र नारनौल, हांसी, सरबर, बदायूँ तथा नागौर थे। कुछ अन्य सूफ़ी सन्तों में 'बाबा फ़रीद, 'बख्तियार काकी' एवं 'शेख़ बुरहानुद्दीन ग़रीब' थे। ख्वाजा बख्तियार काकी, इल्तुतमिश के समकालीन थे। उन्होंने फ़रीद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था।

प्रसिद्ध संत

बाबा फ़रीद का निम्न वर्ग के लोगों से अधिक लगाव था। उनकी अनेक रचनायें 'गुरु ग्रंथ साहिब' में भी शामिल हैं। बाबा फ़रीद को ग़यासुद्दीन बलबन का दामाद माना जाता है। उनके दो महत्त्वपूर्ण शिष्य हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया एवं हज़रत अलाउद्दीन साबिर थे। शेख़ निज़ामुद्दीन औलिया ने सात सुल्तानों का कार्यकाल देखा था, परन्तु वे किसी के दरबार से सम्बद्ध नहीं रहे। शेख़ निज़ामुद्दीन औलिया को 'महबूब-ए-इलाही' और 'सुल्तान-उल-औलिया' की उपाधियाँ दी गयी थीं। उनके प्रमुख शिष्य शेख सलीम चिश्ती थे। ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती ने हमीदुद्दीन नागौरी को 'सुल्तान-ए-तारकीन'[1] की उपाधि प्रदान की थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संन्यासियों के सुल्तान

संबंधित लेख