आसफ खाँ चतुर्थ: Difference between revisions
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'''आसफ खाँ चतुर्थ''' आक़ा मुल्लांद के पुत्र और आसफ खाँ जफरबेग के चाचा। शहंशाह अकबर के शासनकाल में यह 'बख्शी' पद पर नियुक्त हुए। सन् 1573 ई. में इन्होंने गुजरात पर विजय प्राप्त की जिसके उपलक्ष्य में इन्हें 'अब्बास खाँ' की उपाधि से विभूषित किया गया। 1581 ई. में इनका देहावसान हो गया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=461 |url=}}</ref> | '''आसफ खाँ चतुर्थ''' आक़ा मुल्लांद के पुत्र और आसफ खाँ जफरबेग के चाचा। शहंशाह अकबर के शासनकाल में यह 'बख्शी' पद पर नियुक्त हुए। सन् 1573 ई. में इन्होंने गुजरात पर विजय प्राप्त की जिसके उपलक्ष्य में इन्हें 'अब्बास खाँ' की उपाधि से विभूषित किया गया। 1581 ई. में इनका देहावसान हो गया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=461 |url=}}</ref> | ||
Latest revision as of 12:23, 24 June 2018
- आसफ़ ख़ाँ एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें: आसफ़ ख़ाँ
आसफ खाँ चतुर्थ आक़ा मुल्लांद के पुत्र और आसफ खाँ जफरबेग के चाचा। शहंशाह अकबर के शासनकाल में यह 'बख्शी' पद पर नियुक्त हुए। सन् 1573 ई. में इन्होंने गुजरात पर विजय प्राप्त की जिसके उपलक्ष्य में इन्हें 'अब्बास खाँ' की उपाधि से विभूषित किया गया। 1581 ई. में इनका देहावसान हो गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 461 |