विश्व अस्थमा दिवस: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 4: | Line 4: | ||
|विवरण='''विश्व अस्थमा दिवस''' [[मई]] महीने के पहले [[मंगलवार]] को पूरे विश्व में घोषित किया गया है। | |विवरण='''विश्व अस्थमा दिवस''' [[मई]] महीने के पहले [[मंगलवार]] को पूरे विश्व में घोषित किया गया है। | ||
|शीर्षक 1=तिथि | |शीर्षक 1=तिथि | ||
|पाठ 1=[[ | |पाठ 1=[[1 मई]] (2018) | ||
|शीर्षक 2=शुरुआत | |शीर्षक 2=शुरुआत | ||
|पाठ 2=[[1998]] | |पाठ 2=[[1998]] |
Revision as of 12:18, 25 March 2018
विश्व अस्थमा दिवस
| |
विवरण | विश्व अस्थमा दिवस मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में घोषित किया गया है। |
तिथि | 1 मई (2018) |
शुरुआत | 1998 |
उद्देश्य | विश्वभर के लोगों को अस्थमा बीमारी के बारे में जागरूक करना। |
संबंधित लेख | विश्व स्वास्थ्य दिवस, विश्व मलेरिया दिवस, विश्व हीमोफ़ीलिया दिवस, विश्व पोलियो दिवस, विश्व मधुमेह दिवस |
अन्य जानकारी | एक अनुमान के मुताबिक भारत में अस्थमा के रोगियों की संख्या लगभग 15 से 20 करोड़ है जिसमें लगभग 12 प्रतिशत भारतीय शिशु अस्थमा से पीड़ित हैं।[1] |
बाहरी कड़ियाँ | आधिकारिक वेबसाइट |
अद्यतन | 17:54, 24 मार्च 2015 (IST)
|
विश्व अस्थमा दिवस (अंग्रेज़ी: World Asthma Day) मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में घोषित किया गया है। अस्थमा के मरीजों को आजीवन कुछ सावधानियां अपनानी पड़ती हैं। अस्थमा के मरीज़ों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। अपने स्वास्थ्य को समझकर, अस्थमा या दमा के मरीज़ भी मौसम का मज़ा ले सकते हैं। वातावरण में मौजूद नमी अस्थमा के मरीज़ों को कई प्रकार से प्रभावित करती है।
उद्देश्य
विश्व अस्थमा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है विश्वभर के लोगों को अस्थमा बीमारी के बारे में जागरूक करना। एक अनुमान के मुताबिक भारत में अस्थमा के रोगियों की संख्या लगभग 15 से 20 करोड़ है जिसमें लगभग 12 प्रतिशत भारतीय शिशु अस्थमा से पीड़ित हैं।[1] वर्ष 2013 में 7 मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया। वर्ष 2013 हेतु विश्व दमा दिवस का विषय था- दमा को नियंत्रित रखना संभव है। विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए) द्वारा किया जाता है। वर्ष 1998 में पहली बार बार्सिलोना, स्पेन सहित 35 देशों में विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया।
अस्थमा का कारण
अस्थमा की वजह वायुमार्ग संकुचन और फेफड़ों की सूजन है। इसके मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है, बहुत ही जल्द सांस फूल जाता है। खांसी आती है, वैसे यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन हाल के वर्षों की बात की जाए तो बच्चों में यह बीमारी लगातार बढ़ती जा रही है। अस्थमा के मरीज को रात में ज्यादातर परेशानी होती है। दमा बढ़ जाने पर खांसते-खांसते और टूटी-फूटी सांस लेते हुए मरीज रात गुजार पाता है। इसकी मुख्य वजहों में व्यक्ति की जीवन शैली और शहरों में धुएं और धूल के कारण इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वैसे यह कह पाना कि अस्थमा जीवनशैली या पर्यावरण से जुड़ा है थोड़ा मुश्किल है। इसको लेकर कई सवाल भी उठते हैं जैसे क्या इसके पीछे सिगरेट या प्रदूषण है। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सिगरेट या प्रदूषण अस्थमा को बढ़ा सकते हैं लेकिन पैदा नहीं कर सकते। इसलिए आपको चाहिए कि इसे बढ़ने से रोकें। इसके लिए आप नियमित रूप से बिना छुपाए अस्थमा का पूरा इलाज कराना चाहिए।[1]
प्रमुख कारण
वायरल इंफेक्शन (विषाणु द्वारा संक्रमण) से ही अस्थमा की शुरुआत होती है। युवा यदि बार-बार सर्दी, बुखार से परेशान हों तो यह एलर्जी का संकेत है। सही समय पर इलाज करवाकर और संतुलित जीवन शैली से बच्चों को एलर्जी से बचाया जा सकता है। समय पर इलाज नहीं मिला, तो धीरे-धीरे वे अस्थमा के मरीज बन जाते हैं। thumb|250px|विश्व अस्थमा दिवस
- वातावरण के प्रति प्रतिकूलता
- आनुवांशिकी
- वायु प्रदूषण
- हवा में मौजूद परागकण
- धूम्रपान
- जीवन शैली में बदलाव
- घर के अंदर खेले जाने वाले खेलों को प्रोत्साहन[2]
बढ़ रहा है अस्थमा का ख़तरा
बदलती जीवन शैली युवाओं के लिए खतरा बन गई है। शहरों में खत्म होते खेल मैदान से बढ़ा इंडोर गेम्स का चलन युवाओं को अस्थमा का मरीज बना रहा है। हालात इतने खतरनाक हैं कि अस्थमा के कुल मरीजों में अब युवाओं और बच्चों की संख्या बड़ों से दोगुनी हो गई है। विशेषज्ञों की मानें तो खेल मैदान की कमी के चलते युवा इंडोर गेम्स को प्राथमिकता दे रहे हैं। इंडोर गेम्स के दौरान घर के पर्दे, गलीचे व कारपेट में लगी धूल उनके लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है। इससे उनमें एलर्जी और अस्थमा की समस्या हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक हम युवाओं के लिए संतुलित जीवन शैली का चुनाव नहीं करेंगे, यह समस्या ब़ढ़ती ही जाएगी। इतना ही नहीं घर की चहारदीवारी में बंद रहने वाले युवा जब कॉलेज जाने के लिए घर से बाहर निकलते हैं तो वातावरण के धूल व धुएँ के कण से भी उन्हें एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। एलर्जी और अस्थमा के लक्षण बच्चों में उस समय प्रकट होते हैं, जब मौसम में कोई बदलाव होता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि मध्यम आयु वर्ग के कुल लोगों में 5 से 10 फीसदी लोगों को एलर्जी और अस्थमा है तो किशोरों और युवाओं में इसका अनुपात 8 से 15 प्रतिशत तक है।[2]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 विश्व अस्थमा दिवस: दम रहने तक साथ निभाता है (हिन्दी) जागरण जंक्शन। अभिगमन तिथि: 24 मार्च, 2015।
- ↑ 2.0 2.1 विश्व अस्थमा दिवस (हिन्दी) वेबदुनिया। अभिगमन तिथि: 24 मार्च, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख