भूमध्यसागरीय द्रविड़

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भूमध्यसागरीय द्रविड़ /Mediterranean

इस प्रजाति की तीन शाखाएँ भारत में आईं और अब मिश्रित रूप से उसके वंशज भारत में बहुत बड़ी संख्या में हैं।

  • इनकी एक शाखा प्राचीन भूमध्यसागरीय है, जो कन्नड़, तमिल, मलयालम भाषा - भाषी प्रदेशों में रहती है।
  • दूसरी शाखा भूमध्यसागरीय है, जो पंजाब और गंगा की ऊपरी घाटी में निवास करती हैं।
  • तीसरी शाखा पूर्वी प्रकार की है, जो पंजाब, सिन्ध, राजस्थान तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाई जाती है। इनकी शारीरिक विशेषताएँ हैं - सिर लम्बे, क़द मध्यम, मुँह चौड़ा, होंठ पतले, बाल घुंघराले, त्वचा का रंग भूरा आदि। तीनों भूमध्यसागरीय शाखाएँ अन्तर्विवाह के कारण एक-दूसरे में घुलमिल गई हैं। इनमें सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी बहुत हुआ है। इनसे सम्बन्धित लोग प्रमुखत: मैदानों में रहते हैं।
  • इस जाति की अनेक शाखाओं में भारत में द्रविड़ काफ़ी महत्त्वपूर्ण थी।
शारीरिक विशेषताएँ

इस जाति के लोगों का क़द छोटा, नाक छोटी, बड़े सिर एवं रंग काला होता था।


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