फ़ख़रुद्दीन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:47, 23 June 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "पश्चात " to "पश्चात् ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search

फ़ख़रुद्दीन सुल्तान बलबन के शासन काल में दिल्ली का कोतवाल था। वह बड़ा ऐशपरस्त था और प्रतिदिन पोशाक बदलता था। जब बलबन ने अमीरों की शक्ति को कुचलने के लिए दोआब के दो हज़ार शमसी घुड़सवारों की भूमि के पट्टों का नियमन और भुमि के पुराने अनुदानों को इस आधार पर रद्द करना आरम्भ कर दिया कि उन लोगों ने सैनिक सेवा प्रदान करना बंद कर दिया है, तो उस समय फ़ख़रुद्दीन भूस्वामियों के हितों का मुख्य संरक्षक और प्रवक्ता बन गया।

  • एक दिन फ़ख़रुद्दीन सुल्तान के पास ग़मगीन शक्ल लिये हुए पहुँच गया।
  • सुल्तान के पूछने पर उसने जवाब दिया कि शमसी घुड़सवारों की ज़मीन वापस ली जा रही हैं।
  • अब मुझे चिन्ता हो गई है, कि बुढ़ापे में ज़िंदगी कैसे कटेगी।
  • फ़ख़रुद्दीन के इस चतुरतापूर्ण कथन से सुल्तान को बड़ी दया आ गई।
  • सुल्तान बलबन ने शमसी घुड़सवारों से ज़मीन वापस लेने के आदेश को रद्द कर दिया।
  • 1287 ई. में बलबन की मृत्यु के पश्चात् फ़ख़रुद्दीन ने पहले कैकुबाद को गद्दी पर बिठाने में मदद की।
  • 1290 ई. में उसने कैकुबाद को गद्दी से उतार कर जलालुद्दीन ख़िलजी को उस पर बैठाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।
  • सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी को 1301 ई. में संदेह हुआ कि फ़ख़रुद्दीन ने हाज़ी मौला को विद्रोह करने के लिए उक़साया है।
  • इस पर अलाउद्दीन ख़िलजी ने उसे सपरिवार मरवा दिया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 252 |


संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः