देबल बन्दरगाह: Difference between revisions
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*तत्कालीन ग्रंथों के अध्ययन से पता चलता है कि मध्यकाल में यहाँ के निवासी देश-विदेश की अनेक व्यापारिक वस्तुओं का संग्रह करते थे और बाद में उनको ऊँचे दामों पर बेचकर लाभ कमाते थे। | *तत्कालीन ग्रंथों के अध्ययन से पता चलता है कि मध्यकाल में यहाँ के निवासी देश-विदेश की अनेक व्यापारिक वस्तुओं का संग्रह करते थे और बाद में उनको ऊँचे दामों पर बेचकर लाभ कमाते थे। | ||
*मोरलैण्ड ''इण्डिया एट दि डेथ ऑफ अकबर'' में लिखा है कि मानसून की [[दृष्टि]] से इस बन्दरगाह की स्थिति ठीक नहीं थी। | *मोरलैण्ड ''इण्डिया एट दि डेथ ऑफ अकबर'' में लिखा है कि मानसून की [[दृष्टि]] से इस बन्दरगाह की स्थिति ठीक नहीं थी। | ||
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- देबल बन्दरगाह सिंधु नदी के मुहाने पर समुद्र के किनारे स्थित था।
- अरब भूगोलवेत्ता सिंधु में देबल बन्दरगाह से परिचित थे। परंतु बाढ़ में नष्ट होकर इसका नाम विलीन हो गया और बाद में दीदूल सिंध के नाम से जाना जाने लगा। लेकिन इसका वास्तविक नाम लारी बन्दरगाह था।
- देबल का थट्टा, मुल्तान और लाहौर से सीधा सम्पर्क था।
- इब्नबतूता ने भी देबल का ज़िक्र किया है।
- तत्कालीन ग्रंथों के अध्ययन से पता चलता है कि मध्यकाल में यहाँ के निवासी देश-विदेश की अनेक व्यापारिक वस्तुओं का संग्रह करते थे और बाद में उनको ऊँचे दामों पर बेचकर लाभ कमाते थे।
- मोरलैण्ड इण्डिया एट दि डेथ ऑफ अकबर में लिखा है कि मानसून की दृष्टि से इस बन्दरगाह की स्थिति ठीक नहीं थी।
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