फ़्रांसिस डे: Difference between revisions
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'''फ़्रांसिस डे''' अरमा गाँव स्थित [[अंग्रेज़]] [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] की फ़ैक्ट्री का मुखिया था। वह एक साहसिक और दूरदर्शी व्यक्ति था। उसने 1640 ई. में स्थानीय राजा से 'चेन्नापटम' या [[मसुलीपट्टम]] से 230 मील दक्षिण की ओर ज़मीन की एक पतली पट्टी प्राप्त की, साथ ही वहाँ पर एक क़िला बनाने की अनुमति भी ले ली। इस क़िले का नाम [[फ़ोर्ट सेण्ट जॉर्ज]] पड़ा।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय इतिहास कोश |लेखक= सच्चिदानन्द भट्टाचार्य|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=184|url=}}</ref> | |||
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फ़्रांसिस डे अरमा गाँव स्थित अंग्रेज़ ईस्ट इंडिया कम्पनी की फ़ैक्ट्री का मुखिया था। वह एक साहसिक और दूरदर्शी व्यक्ति था। उसने 1640 ई. में स्थानीय राजा से 'चेन्नापटम' या मसुलीपट्टम से 230 मील दक्षिण की ओर ज़मीन की एक पतली पट्टी प्राप्त की, साथ ही वहाँ पर एक क़िला बनाने की अनुमति भी ले ली। इस क़िले का नाम फ़ोर्ट सेण्ट जॉर्ज पड़ा।[1]
- चन्द्रगिरि के राजा ने भी बाद में फ़्रांसिस डे को इस अनुदान पर अपनी स्वीकृति दे दी। यह राजा उपर्युक्त स्थानीय राजा का अधीश्वर था।
- कुछ ही वर्षों में फ़ोर्ट सेण्ट जॉर्ज के चारों ओर एक शहर बस गया, जिसका नाम 'मद्रास' पड़ा, जो कि बाद में चोलमंडल तट पर ईस्ट इंडिया कम्पनी का मुख्यालय बन गया।
- फ़्रांसिस डे ने कुछ ही समय अपने साहस और कूटनीति से वहाँ विस्तार करना प्रारम्भ कर दिया। उसने ज़ोर देकर बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित कम्पनी की बस्तियों को न छोड़ने का लोगों से आग्रह किया।
- बाद की घटनाओं ने सिद्ध कर दिया कि फ़्राँसिस डे सही ढंग से सोच रहा था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 184 |
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