मसूद ग़ज़नवी: Difference between revisions
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*मसूद के गद्दी पर बैठने के समय तक [[भारत]] के शासक भी महमूद ग़ज़नवी के दिए झटके से उबर कर संघटित हो चुके थे। | *मसूद के गद्दी पर बैठने के समय तक [[भारत]] के शासक भी महमूद ग़ज़नवी के दिए झटके से उबर कर संघटित हो चुके थे। | ||
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*राजपूतों के साथ हुए युद्ध में मसूद ग़ज़नवी की न केवल करारी हार हुई, बल्कि वह मारा भी गया और उसकी लगभग सारी सेना समाप्त हो गई। | *राजपूतों के साथ हुए युद्ध में मसूद ग़ज़नवी की न केवल करारी हार हुई, बल्कि वह मारा भी गया और उसकी लगभग सारी सेना समाप्त हो गई। | ||
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*मसूद ग़ज़नवी की मृत्यु के बाद उसके बचे हुए सैनिकों ने राजा सुहेलदेव पासी से उसकी मजार बनाने की अनुमति मांगी, जो उन्हें मिल गयी। आज भी मसूद ग़ज़नवी की मजार बहराइच में है।<ref>{{cite web |url=http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/for-the-vote-and-madam/entry/%E0%A4%AE%E0%A4%B8-%E0%A4%A6-%E0%A4%97%E0%A4%9C-%E0%A4%A8%E0%A4%B5-%E0%A4%95-%E0%A4%A6-%E0%A4%B8-%E0%A4%B8-%E0%A4%B9%E0%A4%B8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%A6-%E0%A4%B7-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%A3-%E0%A4%AE |title=महमूद ग़ज़नवी का दुस्साहस और परिणाम|accessmonthday= 1 मई|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | *मसूद ग़ज़नवी की मृत्यु के बाद उसके बचे हुए सैनिकों ने राजा सुहेलदेव पासी से उसकी मजार बनाने की अनुमति मांगी, जो उन्हें मिल गयी। आज भी मसूद ग़ज़नवी की मजार बहराइच में है।<ref>{{cite web |url=http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/for-the-vote-and-madam/entry/%E0%A4%AE%E0%A4%B8-%E0%A4%A6-%E0%A4%97%E0%A4%9C-%E0%A4%A8%E0%A4%B5-%E0%A4%95-%E0%A4%A6-%E0%A4%B8-%E0%A4%B8-%E0%A4%B9%E0%A4%B8-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%A6-%E0%A4%B7-%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%A3-%E0%A4%AE |title=महमूद ग़ज़नवी का दुस्साहस और परिणाम|accessmonthday= 1 मई|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
Latest revision as of 10:25, 17 May 2013
मसूद ग़ज़नवी ग़ज़नी के शासक महमूद ग़ज़नवी का भतीजा था। उसे 'सालार मसूद ग़ाज़ी' के नाम से भी जाना जाता है। महमूद की मृत्यु के बाद वह ग़ज़नी की गद्दी का उत्तराधिकारी था। अपने चाचा के समान ही मसूद ग़ज़नवी ने भी भारत पर लूटपाट के उद्देश्य से आक्रमण किया, किंतु राजपूतों के साथ हुए एक युद्ध में वह मारा गया।
- मसूद के गद्दी पर बैठने के समय तक भारत के शासक भी महमूद ग़ज़नवी के दिए झटके से उबर कर संघटित हो चुके थे।
- महमूद की तरह ही मसूद ग़ज़नवी के मन में भी भारत में लूटपाट करने और काफ़िरों का क़त्ल करके ग़ाज़ी की उपाधि लेने की इच्छा बलवती थी।
- मसूद ग़ज़नवी ने भी अपने चाचा महमूद की तरह भारत विजय का निश्चय करके भारत पर हमला किया।
- शुरुआत में मसूद को सफलता भी मिली और वह उत्साहित होकर बहराइच, उत्तर प्रदेश तक पहुँच गया, परन्तु यहाँ पर मसूद को राजा सुहेलदेव पासी के नेतृत्व में राजपूत सेनाओं ने घेर लिया।
- राजपूतों के साथ हुए युद्ध में मसूद ग़ज़नवी की न केवल करारी हार हुई, बल्कि वह मारा भी गया और उसकी लगभग सारी सेना समाप्त हो गई।
- मुस्लिम इतिहासकारों ने इस पराजय का अधिक ज़िक्र नहीं किया है। इसलिए इस युद्ध का अधिक उल्लेख किताबों में नहीं है।
- मसूद ग़ज़नवी की मृत्यु के बाद उसके बचे हुए सैनिकों ने राजा सुहेलदेव पासी से उसकी मजार बनाने की अनुमति मांगी, जो उन्हें मिल गयी। आज भी मसूद ग़ज़नवी की मजार बहराइच में है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महमूद ग़ज़नवी का दुस्साहस और परिणाम (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 1 मई, 2013।