तित्तिरदेश: Difference between revisions

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<blockquote>'मारुता धेनुका श्चैव तंगणा: परतंगणा:, बाह्लीकास्तित्तिराश्चैव चोला: पांड्याश्च भारत'<ref>[[महाभारत]], [[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]], 50, 31.</ref></blockquote>
<blockquote>'मारुता धेनुका श्चैव तंगणा: परतंगणा:, बाह्लीकास्तित्तिराश्चैव चोला: पांड्याश्च भारत'<ref>[[महाभारत]], [[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]], 50, 31.</ref></blockquote>
*तित्तिर निवासियों का तंगण, परतंगण व बाह्लीक लोगों के साथ वर्णन होने से उनका निवास स्थान इनके निकट ही सूचित होता है।
*तित्तिर निवासियों का तंगण, परतंगण व बाह्लीक लोगों के साथ वर्णन होने से उनका निवास स्थान इनके निकट ही सूचित होता है।
*[[महाभारत सभापर्व]]<ref>[[महाभारत सभापर्व]] 52, 2-3</ref> में तंगण परतंगणों आदि को शैलोदा या [[खोतन नदी]] के प्रदेश में निवसित बताया गया है।
*[[महाभारत सभापर्व]]<ref>[[महाभारत सभापर्व]] 52, 2-3</ref> में तंगण परतंगणों आदि को [[शैलोदा नदी|शैलोदा]] या [[खोतन नदी]] के प्रदेश में निवसित बताया गया है।
*इसी प्रदेश को तित्तिरों का इलाका समझना चाहिए।
*इसी प्रदेश को तित्तिरों का इलाका समझना चाहिए।



Latest revision as of 10:34, 26 August 2014

तित्तिरदेश तित्तिर लोगों का निवास स्थान था। बहुत संभव है कि तित्तिर 'तातर' का संस्कृत रूपांतरण हो। तातरों का देश वर्तमान दक्षिणी रूस के इलाके में था। तित्तिर लोग महाभारत के युद्ध में पांडवों के साथ थे।

'मारुता धेनुका श्चैव तंगणा: परतंगणा:, बाह्लीकास्तित्तिराश्चैव चोला: पांड्याश्च भारत'[1]

  • तित्तिर निवासियों का तंगण, परतंगण व बाह्लीक लोगों के साथ वर्णन होने से उनका निवास स्थान इनके निकट ही सूचित होता है।
  • महाभारत सभापर्व[2] में तंगण परतंगणों आदि को शैलोदा या खोतन नदी के प्रदेश में निवसित बताया गया है।
  • इसी प्रदेश को तित्तिरों का इलाका समझना चाहिए।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 400 |

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