ग़ोर के सुल्तान: Difference between revisions
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Revision as of 12:45, 17 May 2011
- ग़ोर के सुल्तान पूर्वी ईरानी वंश के और आरम्भ में ग़ज़नी के सुल्तानों के सामन्त थे।
- ग़ज़नवी वंश के अशक्त हो जाने पर ग़ोर के शासक स्वाधीन होने का लगातार प्रयास करते रहे और ग़ज़नी के सुल्तानों से लड़ते रहे।
- अंत में 1151 ई. में अलाउद्दीन हुसेन ग़ोरी ने ग़ज़नी पर चढ़ाई करके उसे लूटा और जलाकर ख़ाक कर दिया। इस प्रकार उसने ग़ोर को ग़ज़नी से पूर्णतया स्वाधीन कर सुल्तान की उपाधि ग्रहण की।
- यद्यपि उसका पुत्र सैफ़ुद्दीन महमूद गद्दी पर बैठने के कुछ समय बाद ही गुज़्ज़ तुर्कमानों से युद्ध में मारा गया तथापि उसका चचेरा भाई ग़यासुद्दीन महमूद एक सफल शासक सिद्ध हुआ।
- ग़यासुद्दीन महमूद ने 1173 ई. में ग़ज़नी पर क़ब्ज़ा कर लिया और अपने छोटे भाई शहाबुद्दीन को वहाँ का हाक़िम नियुक्त किया, जो मुईजुद्दीन मुहम्मद बिन साम अथवा मुहम्मद ग़ोरी के नाम से विख्यात हुआ।
- ग़ज़नी को ही आधार बनाकर शहाबुद्दीन ने भारत पर आक्रमण शुरू किये।
- शहाबुद्दीन का पहला आक्रमण 1175 ई. में मुल्तान पर हुआ।
- दूसरे हमले के दौरान 1192 ई. में तराइन के युद्ध में उसने पृथ्वीराज चौहान को हराया। इसी हमले के फलस्वरूप भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना हुई।
- 1203 ई. में सुल्तान ग़यासुद्दीन ग़ोरी मर गया और शहाबुद्दीन ग़ोर, ग़ज़नी और उत्तर भारत का शासक बन गया।
- शहाबुद्दीन ने बहुत थोड़े समय ही शासन किया।
- 1206 ई. में खोकरों ने शहाबुद्दीन को मार डाला।
- उसके वंश में कोई पुरुष उत्तराधिकारी नहीं बचा था, फलत: उसकी मृत्यु के बाद ग़ोरी वंश का अंत हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- (पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-134