ध्रुवस्वामिनी (नाटक): Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (ध्रुवस्वामिनी का नाम बदलकर ध्रुवस्वामिनी (नाटक) कर दिया गया है) |
गोविन्द राम (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
'''ध्रुवस्वामिनी ''' [[भारत]] के प्रसिद्ध साहित्यकार [[जयशंकर प्रसाद]] की प्रमुख रचनाओं में से प्रसिद्ध नाटक है। [[रंगमंच]] की दृष्टि से तीन अंकों का यह नाटक प्रसाद का सर्वोत्तम नाटक है। इसके पात्रों की संख्या सीमित है। इसके संवाद भी पात्रों के अनुकूल और लघु हैं। भाषा, पात्रों की भाषा के अनुकूल है। मसलन ध्रुवस्वामिनी की भाषा में वीरांगना की ओजस्विता है। इस नाटक में अनेक स्थलों पर अर्धवाक्यों की योजना है जो नाटक में सौंदर्य और गहरे अर्थ की सृष्टि करती है। | '''ध्रुवस्वामिनी ''' [[भारत]] के प्रसिद्ध साहित्यकार [[जयशंकर प्रसाद]] की प्रमुख रचनाओं में से प्रसिद्ध नाटक है। | ||
* [[रंगमंच]] की दृष्टि से तीन अंकों का यह नाटक प्रसाद का सर्वोत्तम नाटक है। | |||
* इसके पात्रों की संख्या सीमित है। इसके संवाद भी पात्रों के अनुकूल और लघु हैं। | |||
* भाषा, पात्रों की भाषा के अनुकूल है। मसलन ध्रुवस्वामिनी की भाषा में वीरांगना की ओजस्विता है। | |||
* इस नाटक में अनेक स्थलों पर अर्धवाक्यों की योजना है जो नाटक में सौंदर्य और गहरे अर्थ की सृष्टि करती है। | |||
Latest revision as of 13:56, 15 November 2012
ध्रुवस्वामिनी भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाओं में से प्रसिद्ध नाटक है।
- रंगमंच की दृष्टि से तीन अंकों का यह नाटक प्रसाद का सर्वोत्तम नाटक है।
- इसके पात्रों की संख्या सीमित है। इसके संवाद भी पात्रों के अनुकूल और लघु हैं।
- भाषा, पात्रों की भाषा के अनुकूल है। मसलन ध्रुवस्वामिनी की भाषा में वीरांगना की ओजस्विता है।
- इस नाटक में अनेक स्थलों पर अर्धवाक्यों की योजना है जो नाटक में सौंदर्य और गहरे अर्थ की सृष्टि करती है।
|
|
|
|
|