एल्बरफ़ील्ड: Difference between revisions

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'''एल्बरफ़ील्ड''' जर्मनी का एक औद्योगिक नगर है। यह बुपर नदी की घाटी तक विस्तृत है। बार्मेन में सम्मिलित कर लेने के बाद इसका नाम बदलकर वुपरतल हो गया। शहर के मध्य भाग में टेढ़ी-मेढ़ी संकीर्ण गलियाँ हैं। बहुतेरे गंदे मकानों को तोड़कर भव्य भवन निर्मित हुए हैं। यहाँ एक अजायबघर और चिड़ियाखाना है। यह जर्मनी के वस्त्रोद्योग का एक मुख्य केंद्र है। यहाँ बिसातखाने की हर प्रकार की वस्तुएँ, रंग, अच्छे रासायनिक पदार्थ, रबड़ और चमड़े के सामन तथा कागज और काँच के सामान बनते हैं। द्वितीय महासमर काल में यह नगर लगातार बमबाजी के कारण प्राय: पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया था। पुनर्निर्माण कार्य युद्धोपरांत बड़ी तेजी से हुआ है। शीघ्र ही पूर्ववत्‌ अवस्था में आ रही है।
'''एल्बरफ़ील्ड''' जर्मनी का एक औद्योगिक नगर है। यह बुपर नदी की घाटी तक विस्तृत है। बार्मेन में सम्मिलित कर लेने के बाद इसका नाम बदलकर वुपरतल हो गया। शहर के मध्य भाग में टेढ़ी-मेढ़ी संकीर्ण गलियाँ हैं। बहुतेरे गंदे मकानों को तोड़कर भव्य भवन निर्मित हुए हैं। यहाँ एक अजायबघर और चिड़ियाखाना है। यह जर्मनी के वस्त्रोद्योग का एक मुख्य केंद्र है। यहाँ बिसातखाने की हर प्रकार की वस्तुएँ, रंग, अच्छे रासायनिक पदार्थ, रबड़ और चमड़े के सामन तथा कागज और काँच के सामान बनते हैं। द्वितीय महासमर काल में यह नगर लगातार बमबाजी के कारण प्राय: पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया था। पुनर्निर्माण कार्य युद्धोपरांत बड़ी तेज़ीसे हुआ है। शीघ्र ही पूर्ववत्‌ अवस्था में आ रही है।


वुपर नदी का स्वच्छ जल सूत धोने में बड़ा ही सहायक सिद्ध हुआ, इसलिए व्यापार और जनसंख्या बढ़ गई तथा सन्‌ 1532 ई. में यह एक नगर बन गया था। सन्‌ 1640ई. में इसके प्राचीर का निर्माण हुआ। सन्‌ 1760 ई. में रेशम वस्त्रोद्योग चालू हुआ और लाल (टर्की रेड) रंग से सूत की रँगाई का काम होने लगा। तब से यह जर्मनी का एक प्रमुख वस्त्रोद्योगिक केंद्र बन गया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=254 |url=}}</ref>  
वुपर नदी का स्वच्छ जल सूत धोने में बड़ा ही सहायक सिद्ध हुआ, इसलिए व्यापार और जनसंख्या बढ़ गई तथा सन्‌ 1532 ई. में यह एक नगर बन गया था। सन्‌ 1640ई. में इसके प्राचीर का निर्माण हुआ। सन्‌ 1760 ई. में रेशम वस्त्रोद्योग चालू हुआ और लाल (टर्की रेड) रंग से सूत की रँगाई का काम होने लगा। तब से यह जर्मनी का एक प्रमुख वस्त्रोद्योगिक केंद्र बन गया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=254 |url=}}</ref>  

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एल्बरफ़ील्ड जर्मनी का एक औद्योगिक नगर है। यह बुपर नदी की घाटी तक विस्तृत है। बार्मेन में सम्मिलित कर लेने के बाद इसका नाम बदलकर वुपरतल हो गया। शहर के मध्य भाग में टेढ़ी-मेढ़ी संकीर्ण गलियाँ हैं। बहुतेरे गंदे मकानों को तोड़कर भव्य भवन निर्मित हुए हैं। यहाँ एक अजायबघर और चिड़ियाखाना है। यह जर्मनी के वस्त्रोद्योग का एक मुख्य केंद्र है। यहाँ बिसातखाने की हर प्रकार की वस्तुएँ, रंग, अच्छे रासायनिक पदार्थ, रबड़ और चमड़े के सामन तथा कागज और काँच के सामान बनते हैं। द्वितीय महासमर काल में यह नगर लगातार बमबाजी के कारण प्राय: पूर्ण रूप से ध्वस्त हो गया था। पुनर्निर्माण कार्य युद्धोपरांत बड़ी तेज़ीसे हुआ है। शीघ्र ही पूर्ववत्‌ अवस्था में आ रही है।

वुपर नदी का स्वच्छ जल सूत धोने में बड़ा ही सहायक सिद्ध हुआ, इसलिए व्यापार और जनसंख्या बढ़ गई तथा सन्‌ 1532 ई. में यह एक नगर बन गया था। सन्‌ 1640ई. में इसके प्राचीर का निर्माण हुआ। सन्‌ 1760 ई. में रेशम वस्त्रोद्योग चालू हुआ और लाल (टर्की रेड) रंग से सूत की रँगाई का काम होने लगा। तब से यह जर्मनी का एक प्रमुख वस्त्रोद्योगिक केंद्र बन गया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 254 |

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